निगरानी के लिए क्षेत्रीय बोर्ड का प्रस्ताव | श्रेया नंदी / नई दिल्ली July 02, 2022 | | | | |
विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में सुधार के लिए तैयार किए गए विधेयक के मुताबिक केंद्र सरकार ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय बोर्डों की स्थापना का प्रस्ताव किया है। ये बोर्ड घरेलू शुल्क क्षेत्रों (डीटीए) से वस्तुओं की खरीद, ‘विकास केंद्रों’ में विनिर्माण इकाई स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी देने व रद्द करने जैसी गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
डेवलपमेंट इंटरप्राइज ऐंड सर्विसेज (देश) बिल, 2022 का लक्ष्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने, निवेश आकर्षित करने, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, शानदार बुनियादी ढांचा सुविधाएं तैयार करने को प्रोत्साहित करने के लिए ‘विकास केंद्रों’ की स्थापना है। इस विधेयक को मंजूरी के लिए मॉनसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इन केंद्रों में मौजूदा एसईजेड भी शामिल होंगे।
संसद में पारित होने का बाद नया विधेयक एसईजेड को संचालित करने वाले मौजूदा कानून की जगह लेगा। फरवरी में केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इसका मसौदा तैयार कर रहा था। नया कानून एसईजेड के लिए अगला अध्याय लिखेगा, जिसमें बड़े विनिर्माण और निवेश केंद्र नजर आ सकते हैं। इसमें निर्यात केंद्रित रुख से इतर जाने और एसईजेड के बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल घरेलू औद्योगिक गतिविधियों के लिए भी करना है।
इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि ये विकास केंद्र राज्यों, केंद्र सरकार या दोनों द्वारा मिलकर या किसी भी वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माताओं द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि दरअसल इलाके को चिह्नित किए जाने के बाद कोई भी व्यक्ति, जो इस तरह के केंद्र स्थापित करना चाहता है, उसे पहले संबंधित क्षेत्रीय बोर्ड को प्रस्ताव देना होगा, जिससे मंजूरी की प्रक्रिया शुरू हो सके।
इन केंद्रों के विनिर्माताओं को घरेलू बाजारों में बिक्री की अनुमति होगी, साथ ही इस तरह के क्षेत्रों से वस्तुओं के निर्यात की भी अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय बोर्डों को इन विकास केंद्रों में विनिर्माण इकाई स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने या उन्हें रद्द करने, इन केंद्रों में इकाइयों को प्रवेश करने या उन्हें बाहर निकलने की मंजूरी देने का अधिकार होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्रीय बोर्डों की स्थापना से एसईजेड के लिए मौजूदा कानून से इतर कानून लागू हो जाएगा।
केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘एसईजेड केंद्रीय कानून से चलते थे और केंद्रीय प्राधिकारी इसे चलाते थे। मसौदा देश विधेयक के तहत क्षेत्रीय बोर्डों की स्थापना और केंद्र निदेशक बनाए जाने से मौजूदा प्रशासनिक ढांचे की तुलना में बड़ा बदलाव आ जाएगा।’ सिंह ने कहा कि इससे विकास केंद्र विकसित करने में तेजी से मंजूरी मिलने में मदद मिल सकती है।
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