आयोग ने कहा कि एएफएसपीए को न्यायेत्तर हत्याओं के लिए खलनायक बना दिया गया है जिसमें से अधिकतर को अंजाम पुलिस द्वारा दिया जाता है।
शिविर सुनवायी के निष्कर्षों को साझा करते हुए मानवाधिकार आयोग ने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना, आंगनवाड़ी एवं अस्पताल कार्य नहीं कर रहे हैं तथा राज्य सरकार की ओर से गत डेढ़ वर्ष के दौरान कोई भी दवा खरीदी या बेची नहीं गई।
आयोग के सदस्य सत्यव्रत पाल ने कहा, न्यायेत्तर हत्याओं के संबंध में काफी शिकायतें आने के बाद हमने इंफाल में 44 मामलों को जांच के लिए अपने हाथ में लिया। इसमें से हम किसी भी मामले को इस निष्कर्ष के साथ बंद नहीं कर पाये कि हमें दी गई रिपोर्ट सही थी और वह असली मुठभेड़ थी। हमें अभी तक किसी भी मामले में यह निष्कर्ष नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून :एएफएसपीए: को न्यायेत्तर हत्याओं में खलनायक बनाया जाता है लेकिन अधिकतर मुठभेड़ों को पुलिस ने अंजाम दिया।