बीमा कंपनियों में वेतन व कार्यकाल पर मसौदा आया | सुब्रत पांडा / मुंबई January 04, 2022 | | | | |
देश के बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों के एमडी और सीईओ का कार्यकाल 15 साल तय करने का प्रस्ताव किया है। यह भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के शीर्ष पदों पर तय कार्यकाल के अनुरूप होगा। इसमें बीमा कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन के पद पर नियुक्त लोगों के भुगतान में बदलाव का भी प्रस्ताव किया गया है, जिससे बेहतर वेतन सुनिश्चित हो सके और अपर्याप्त वेतन ढांचे या प्रोत्साहन योनजाओं के कारण बहुत ज्यादा जोखिम लेने के व्यवहार जैसी स्थिति से बचा जा सके।
एक मसौदे में नियामक ने कहा है कि एमडी और सीईओ पद या पूर्णकालिक निदेशकों (डब्ल्यूटीडी) के पद पर 15 साल से ज्यादा के लिए नियुक्ति नहीं हो। 15 साल पद पर रहने के बाद पदासीन व्यक्ति 3 साल के अंतराल के बाद सिर्फ कंपनी का सीईओ नियुक्त हो सकता है। वह व्यक्ति किसी भी तरीके से कंपनी या उसके समूह की इकाइयों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ नहीं रह सकता।
आगे नियामक ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति एमडी और सीईओ या डब्ल्यूटीडी के पद पर 70 साल से ऊपर की उम्र तक नहीं रह सकता। साथ ही अगर एमडी और सीईओ या डब्ल्यूटीडी बीमा कंपनी का प्रवर्तक है या बड़ा शेयरधारक (5 प्रतिशत से ज्यादा) है तो वह उन पदों पर 12 साल से ज्यादा नहीं रह सकता, जब तक कि नियामक किसी व्यक्ति विशेष को 15 साल तक काम करने की अनुमति न दे दे।
इंडिया फस्र्ट लाइफ इंश्योरेंस के डिप्टी सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा, 'कार्यकाल तय करने का प्रस्ताव बदलाव के लाभों के लिए लाया गया है, जिसमें बदलाव करने के लिए नेतृत्व को पर्याप्त अवसर होगा। 15 साल के बाद बदलाव सुनिश्चित करना किसी भी संगठन के लिए बेहतर है और यह बेहतर प्रशासन के मुताबिक है। यह भी अहम है कि बैंकिं ग क्षेत्र के नियमों के अनुरूप है।'
आईआरडीएआई के पूर्व सदस्य नीलेश साठे के मुताबिक, 'मसौदे के पीछे मकसद यह है कि बीमा कंपनियां उत्तराधिकार की योजना लेकर चलें और नियामक ने उन्हें ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय दिया है। नियामक की मंशा व्यवधान डालने की नहीं है। एमडी और सीईओ के लिए 15 साल वक्त पर्याप्त होगा।'
आश्विन पारेख एडवाइजरी सर्विसेज के मैनेजिंग पार्टनर आश्विन पारेख ने कहा, 'बैंकिंग मॉडल का अनुकरण करने के लिए आईआरडीएआई का प्रयास दूर की कौड़ी लगता है। बैंकों के मामले में ऋण संपत्तियां बनाई जाती हैं और बैंकिंग व्यवस्था के कुछ खराब उदाहरणों को बीमा नियनामक को उसी तरह के निशानिर्देश का आधार नहीं बनाना चाहिए। किसी भी मामले में मुझे नहीं लगता कि नियामक पूर्वव्यापी आधार पर नए नियमों को लागू करने पर विचार नहीं करेगा।'
इन पदों पर दिए जाने वाले वेतन भत्ते के बारे में नियामक ने कहा है कि यह नियत भुगतान, अनुलाभ और परिवर्तनीय वेतन में विभाजित होगा।
पारिश्रमिक के नियत भुगतान वाले हिस्से में अनुलाभ सहित सभी नियत मदें शामिल होंगी। परिवर्तनीय वेतन, पारिश्रमिक संरचना का कम से कम 50 प्रतिशत या निर्धारित वेतन का अधिकतम 300 प्रतिशथ होगा। इसके अलावा नियामक के प्रस्ताव के मुताबिक बीमाकर्ता के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट आने पर एमडी और सीईओ के परिवर्तनीय वेतन को कम, यहां तक कि शून्य किया जा सकता है।
बीमा नियामक ने वैरिएबल भुगतान फॉर्मूला भी सुझाया है, जिसके तहत 70 प्रतिशत भार मात्रात्मक मानकों जैसे प्रीमियम वृद्धि बाजार हिस्सेदारी बढऩे, मुनाफा और परसिस्टेंसी रेशियो पर निर्भर होगा, वहीं 30 प्रतिशत भारत गुणात्मक मानकों पर होगा। नियामक ने कहा है कि एमडी, सीईओ डब्ल्यूटीडी के व्यक्तिगत सालाना पारिश्रमिक 1.5 करोड़ रुपये (सभी अनुलाभ व बोनस सहित) से ज्यादा होती है तो इस तरह की अतिरिक्त राशि शेयधारकों के खाते से वहन की जाएगी।
गैर कार्यकारी निदेशकों के मामले में बैठने के शुल्क और अन्य व्यय के अलावा पारिश्रममिक व्यक्तिगत स्तरपर निदेशक के दायित्वों व समय पर मांग के मुताबिक होगा। मसौदे में कहा गया है कि इस तरह का पारिश्रमिक चेयरमैन को छोड़कर ऐसे प्रत्येक डायरेक्टर के लिए 20 लाख रुपये सालाना से ज्यादा नहीं होगा। बोर्ड के चेयरमैन के पारिश्रमिक के बारे में संबंधित कंपनी का निदेशक मंडल फैसला कर सकता है।
आगे नियामक ने कहा है कि बोर्ड के चेयरमैन सहित एनईडी के लिए ऊपरी उम्र की सीमा 75 साल होगी। 75 साल उम्र पूरी हो पर कोई भी व्यक्ति उल्लिखित पद पर बना नहीं रह सरकता। एनईडी का कुलकार्यकाल लगातार या किसी भी तरीके से 8 साल से ज्यादा नहीं होगा। भारत के बीमाकर्ताओं के शीर्ष निकाय ने सभी शेयरधारकों से कहा है कि वे मसौदे पर 19 जनवरी तक प्रतिक्रिता दें।
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