कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से थोक महंगाई अक्टूबर के त्योहारी महीने में 12.54 फीसदी पर रही, जो पिछले पांच महीने में उसका सर्वोच्च स्तर है। सितंबर में इसका आंकड़ा 10.66 फीसदी रहा था। विशेषज्ञों ने कहा कि अब मांग सुधर रही है, इसलिए उद्योग ऊंची लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल सकते हैं। इसका खुदरा महंगाई पर भी असर पड़ सकता है। आर्थिक शब्दावली में मुख्य महंगाई कही जाने वाली गैर-खाद्य और गैर-तेल महंगाई अक्टूबर में बढ़कर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 11.9 फीसदी पर पहुंच गई। खुदरा महंगाई भी अक्टूबर में बढ़ी थी, लेकिन इसमें तेजी मामूली रही थी। यह 4.35 फीसदी से बढ़कर 4.48 फीसदी रही थी। इसकी कुछ हद तक वजह प्राथमिक खाद्य उत्पादों का थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) की तुलना में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में अधिक भारांश हो सकता है। खाद्य उत्पादों का सीपीआई में भारांश 47.25 फीसदी है, जबकि डब्ल्यूपीआई में महज 15.26 फीसदी है। प्राथमिक खाद्य उत्पादों की कीमतों में अक्टूबर में भी गिरावट जारी रही। हालांकि गिरावट की दर घटकर 1.69 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने में 4.69 फीसदी थी। जिन प्रमुख उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, उनमें फल शामिल हैं। इनकी कीमतों में वृद्धि सितंबर में 4.47 फीसदी से बढ़कर अक्टूबर में 8.14 फीसदी पर पहुंच गई। हाल के महीनों के दौरान कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्शाने वाली दालों की महंगाई घटकर अक्टूबर में 5.36 फीसदी रही, जो सितंबर में 9.42 फीसदी रही थी। सब्जियों की कीमतों में गिरावट की दर घटकर 18.49 फीसदी रह गई, जो सितंबर में 32.45 फीसदी थी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सब्जी सूचकांक में माह दर माह बढ़ोतरी हो रही है और नवंबर के शुरुआती आंकड़े दर्शाते हैं कि आलू, टमाटर और प्याज जैसी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। इसका चालू महीने में खाद्य सूचकांक में मौसमी गिरावट पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अनुकूल सांख्यिकी आधार ने खाद्य कीमतों की कीमतों में बढ़ोतरी को ढक दिया है। इस अवधि में ईंधन एवं बिजली की महंगाई दर 24.81 फीसदी से बढ़कर 37.18 फीसदी हो गई। नायर ने इसकी एक वजह कोयला उपलब्धता से संबंधित दिक्कतों को भी बताया, जिनसे बिजली की कीमतों में इजाफा हुआ है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील के सिन्हा ने कहा कि कोयले की उपलब्धता की दिक्कत दूर हो रही है, जिससे हाजिर बिजली कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी निकट अवधि में नरम पड़ सकती है। इसके अलावा पेट्रोल में महंगाई बढ़कर 64.72 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 54.85 फीसदी रही थी।
