अर्थव्यवस्था कोविड की मुट्ठी में | अरूप रायचौधरी और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली August 04, 2020 | | | | |
वित्त मंत्रालय को देश की अर्थव्यवस्था में सुधार तो नजर आ रहा है, लेकिन उसे डर है कि कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और देश के अलग-अलग हिस्सों में बार-बार लॉकडाउन लगाए जाने से इस पर प्रतिकूल असर हो सकता है। मंत्रालय ने आज जारी जुलाई महीने की आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल में लुढ़कने के बाद देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई है और सरकार की सक्रियता तथा केंद्रीय बैंक की नीतियों से उसे सहारा भी मिला है। मगर कोविड-19 के मामले बढऩे और बार-बार लॉकडाउन लागू होने से सुधार की उम्मीदें पुख्ता नहीं हो पाई हैं। इसलिए अर्थव्यवस्था पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।
आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना इस बात पर निर्भर करेगा कि तमाम राज्यों में कोविड-19 संक्रमण की चाल कैसी रहती है। देश में कोविड-19 के 85 फीसदी मामले उन 12 राज्यों में हैं, जो भारत की वृद्घि में सबसे ज्यादा योगदान करते हैं। इनमें भी 40 फीसदी मामले आर्थिक वृद्घि के लिए सबसे अहम महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं। देश के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन खत्म हुआ और जुलाई के अंत में कोविड के सक्रिय मामले 5.6 लाख तक पहुंच गए, जो जून अंत की तुलना में 166 फीसदी की रफ्तार से बढ़े थे। जुलाई में सक्रिय मामलों में सबसे ज्यादा तेजी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और झारखंड में दिखी। आज दोपहर तक भारत में कोविड के पुष्ट मामले 18.5 लाख के पार पहुंच गए थे और इस मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर था।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड की आज ही जारी इकोस्कोप रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 18 से 20 फीसदी लुढ़कने वाला सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल जुलाई के मुकाबले इस जुलाई में 5 फीसदी तक लुढ़क गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरी तिमाही में सुधार आने से पहले दूसरी तिमाही में जीडीपी 2-3 फीसदी घट सकता है।
देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन के कारण विनिर्माण क्षेत्र पर बुरा असर हुआ है। इस कारण आईएचएस मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स जुलाई में फिसलकर 46 रह गया, जो जून में 47.2 पर था। मगर एसबीआई कंपोजिट इंडेक्स जून में 35.9 का निम्नतम आंकड़ा छूने के बाद जुलाई में उछलकर 46 पर पहुंच गया। मासिक सूचकांक भी अप्रैल में 24 तक फिसलने के बाद जुलाई में 40.5 पर आ गया। इस सूचकांक के आधार पर एसबीआई रिसर्च ने अनुमान जताया कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और विनिर्माण पीएमआई जून में 15 से 18 फीसदी तथा जुलाई में 5-7 फीसदी लुढ़क सकता है।
पिछले महीने रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान जताया। इससे पहले रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी में केवल 5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था। मगर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में उम्मीद की किरण भी दिखी है। रिपोर्ट के अनुसार बुरा दौर अब पीछे छूट गया लगता है और कुछ अहम आर्थिक गतिविधियों में अप्रैल और मई के मुकाबले जून में सुधार के संकेत मिले हैं। सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, बिजली खपत, पेट्रोल एवं डीजल उपभोग, टोल संग्रह में तेजी का हवाला दिया है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था में सुधार में अहम भूमिका निभाएगा।
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