उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन में लगाया जाएगा एमईआईएस का धन | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली August 04, 2020 | | | | |
मर्केंडाइज एक्सपोट्र्स ऑफ इंडिया स्कीम (एमईआईएस) को विस्तार देने की बजाय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने वित्तीय स्रोतों को कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में नई उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में रखने की मांग की है। उनका कहना है कि पीएलआई में वैश्विक निर्यातों के लिए पूर्ण क्षमता और संभावना होनी चाहिए। 2019-20 में एमईआईएस की लागत 43,500 करोड़ रुपये आई है।
राजस्व विभाग ने एमईआईएस को जारी रखने के खिलाफ तर्क देते हुए इसे अपर्याप्त और अनावश्यक बताया है। उसने इस योजना को जारी रखने के लिए आने वाली अनियंत्रित लागत की ओर संकेत किया है जबकि निर्यातों में कहीं से भी कोई वृद्धि नहीं हो रही है।
सरकार के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि एमईआईएस के तहत सार्वजनिक कर देयता 2015-16 के 20,232 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 43,500 करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है जिससे यह टिकाऊ नहीं रह गई है। हालांकि, निर्यात 2014-15 के 310 अरब डॉलर के मुकाबले 2019-20 में 313 अरब डॉलर पर ही अटका हुआ है।
राजस्व विभाग ने मई में विदेश व्यापार महानिदेशालय को चालू अवधि, जो 31 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो रही है, के लिए एमईआईएस के आवंटन को घटाकर 9,000 करोड़ रुपये करने के लिए कहा था। उसने वाणिज्य विभाग के उस अनुरोध का भी भारी विरोध किया है जिसमें इस योजना को अंतिम तारीख से आगे के लिए विस्तार देने की बात कही गई थी।
विदेश व्यापार नीति के तहत 2015 में शुरू हुए विशाल एमईआईएस में पांच योजनाओं का विलय किया गया था। आरंभ में निर्यातकों ने 2 फीसदी, 3 फीसदी और 5 फीसदी की नियत दरों पर शुल्क साख कमाया था। यह तीन सेट के देशों में निश्चित उत्पादों के निर्यात पर निर्भर था। मूल रूप से जहां इसमें 4,914 उत्पाद शुल्क दरों में सूचीबद्ध थे, वहीं फिलहाल इसमें 8,059 उत्पाद हैं जो कि व्यापार किए जाने वाले उत्पादों का 75 फीसदी है।
इस मामले के जानकार एक व्यक्ति ने कहा, 'धीरे धीरे योजना का कार्य क्षेत्र बढ़ता चला गया। देश के आधार पर अंतर किए जाने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया और एमईआईएस को उदारतापूर्वक बढ़ा दिया गया। एक समयावधि में एमईआईएस को 2 से 20 फीसदी तक की दरें दी गई। इस आकर्षक निवेश से यह अनुमान लगाया गया था कि निर्यात में भारी भरकम इजाफा होगा और यह नए बाजरों पर कब्जा जमाएगा। इन वर्षों में एमईआईएस की देयता बढ़ती गई। इसका दायरा बढऩे के साथ एमईआईएस की दर बढ़ी और रुपये का अवमूल्यन हुआ।'
एमईआईएस के विस्तृत दायरे का मतलब है कि बिना ध्यान दिए ही संसाधन को कई शुल्क दरों में सूचीबद्ध उत्पादों में फैला दिया गया है। इसके अलावा, एमईआईएस के स्तर पर देयताओं में निर्यात में इजाफा होने की दर के मुकाबले तेज दर से इजाफा हुआ है। हालांकि, फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस ने इशारा किया है कि योजना को अचानक से समाप्त करना उन बड़े और छोटे निर्यातकों पर आपदा आने जैसी बात होगी जिन्होंने पहले ही योजना के लाभों को चालू वित्त वर्ष के लिए लागत परिव्यय में शामिल किया था।
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