स्लरी पाइपलाइन परियोजना का विरोध कर रहे ग्रामीण | बीएस संवाददाता / जगदलपुर February 05, 2016 | | | | |
करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत वाली एनएमडीसी की महात्त्वाकांक्षी स्लरी पाइप लाइन परियोजना के लिए भौगोलिक सर्वेक्षण का कुछ ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले के ग्राम धुरली, पाढ़ापुर, गामावाड़ा और मध्य बस्तर में डिलमिली और मावलीभाटा आदि आधा दर्जन गांवों में सर्वेक्षण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों मेकॉन और वाप्कोष के संयुक्त सर्वे दल को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे ज्यादा विरोध धुरली में है, जहां घुसने के लिए सर्वे टीम अभी तक आधा दर्जन से अधिक बार प्रयास कर चुकी है पर सफलता नहीं मिली। एनएमडीसी के अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि स्लरी पाइप लाइन के मार्ग में आने वाली वनभूमि का सर्वे अंतिम चरण में है और निजी भूमि, जहां से होकर पाइप लाइन गुजरना है, वहां का भौतिक सर्वे किया जा रहा है। लेकिन कुछ इलाकों में विरोध के कारण परेशानी आ रही है। दंतेवाड़ा और बस्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध से अवगत करा दिया गया है। बचेली से नगरनार तक 138 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई जानी है। विरोध करने वाले गांवों के लोगों का कहना है कि स्लरी पाइप लाइन बिछाने से उनकी जमीन चली जाएगी।
60 फीसदी किसान कर्जमाफी से बाहर!
सूखे की मार से परेशान उन्हीं किसानों को शासन की राहत मिलेगी, जो राजस्व पुस्तिका के दायरे में आ रहे हैं। ऐसे किसानों की संख्या संभाग में 25 हजार ही है, जबकि 63 हजार से अधिक किसानों ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्ज ली है। लेकिन आरबीसी में नाम नहीं होने के कारण कर्ज माफी के लिए अन्य किसान भटक रहे हैं। खरीफ सीजन में कम बारिश से अंचल में कम उत्पादन हुआ और समर्थन मूल्य पर पिछले साल से 33 फीसदी कम खरीदी लैंप्सों में हुई। इस बीच शासन ने सूखा प्रभावित किसानों को 75 फीसदी राशि जमा करने पर 25 फीसदी राशि माफी की घोषणा की। इसका लाभ संभाग के कर्जदार किसानों में से करीब 40 फीसदी किसानों को ही मिल पाएगा। राजस्व और कृषि विभाग के सर्वे के बाद तैयार राजस्व पुस्तिका 6 (4) के दायरे में संभाग के 25 हजार 340 किसान ही आ पाए हैं। विभिन्न जिलों के भी 50 से 60 फीसदी किसान आरबीसी 6 (4) के दायरे में नहीं आ पा रहे हैं, जिससे कर्ज माफी का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे किसान कर्ज माफी पाने के लिए लैंप्सों के चक्कर लगा रहे हैं।
राज्य शासन ने पहले संभाग के बास्तानार को छोड़कर सभी तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। किसानों के आंदोलन के बाद बास्तानार को भी सूखा प्रभावित बताया गया, लेकिन अंतिम अनावारी रिपोर्ट आने के बाद कांकेर जिले के बड़ेकापसी, पखांजूर और सुकमा तहसील को भी सूखा प्रभावित नहीं माना गया है। इसी आधार पर इन तीनों जिलों के किसानों को राजस्व पुस्तिका के खंड 6 (4) में शामिल नहीं किया गया है।
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