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सतर्क बनी हुई हैं वाहन कंपनियां

Last Updated- December 11, 2022 | 6:37 PM IST

वाहन कंपनियों की शुद्ध बिक्री और शुद्ध लाभ में मार्च में समाप्त तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 12 फीसदी व 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई क्योंंकि चिप की किल्लत, कच्चे माल की कीमतों में तीव्र बढ़ोतरी और कुछ क्षेत्रों में मांग में नरमी के कारण मार्जिन पर असर पड़ा। वाहन निर्माताओं को लग रहा है कि मार्जिन पर दबाव बना रहेगा क्योंकि चिप की किल्लत का समाधान शायद ही जल्द होगा। महंगाई मेंं लगातार हो रही बढ़ोतरी भी दबाव बनाए रखेगा।
टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक (यात्री वाहन) शैलेश चंद्रा ने 12 मई को नतीजे के बाद कहा था, यात्री वाहन बाजार में मजबूत मांग से उद्योग को वित्त वर्ष 23 में 34 लाख का आंकड़ा पार करने में मदद मिलेगी, जो आखिरी बार वित्त वर्ष 2019 में देखा गया था। लेकिन सेमीकंडक्टर को लेकर स्थिति अभी भी अनिश्चित है।
मारुति सुजूकी के मुख्य वित्त अधिकारी अजय सेठ ने ऐसी ही बात कही। उन्होंंने कहा, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे की आपूर्ति की स्थिति ऐसी है, जिसका अनुमान लगाना कठित है, इसका वित्त वर्ष 22-23 में उत्पादन के वॉल्यूम पर कुछ असर दिख सकता है।
अशोक लीलैंड, आयशर मोटर्स, एस्कॉट्र्स, हीरो मोटोकॉर्प, एमऐंडएम, टाटा मोटर्स (एकल), मारुति सुजूकी, टीवीएस मोटर व बजाज ऑटो की शुद्ध बिक्री बढ़कर 1,05,383 हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 94,212 रही थी। कैपिटालाइन के आंकड़ोंं से पता चलता है कि तिमाही दर तिमाही के लिहाज से भी उसमें 13.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
वाहन कंपनियों का मार्जिन हालांकि तिमाही दर तिमाही मामूली सुधरा, लेकिन एक साल साल पहले की समान तिमाही के 15.9 फीसदी के मुकाबले घटकर 15 फीसदी रह गया।
रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख मितुल शाह ने कहा, वाहन कंपनियों का सालाना व तिमाही आधार पर चौथी तिमाही (वित्त वर्ष 22) में वॉल्यूम में शानदार प्रदर्शन रहा, जिसे सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में सुधार से सहारा मिला।
ज्यादातर कंपनियों ने निवेशकों के साथ बैठक के दौरान जिंसों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को ऐसा कारक बताया, जो आगामी तिमाहियों में लाभ पर असर डाल सकती है। उदाहरण के लिए हॉट रोल्ड स्टील की कीमतें वित्त वर्ष 22 में करीब 92 फीसदी बढ़ी जबकि कोल्ड रोल्ड स्टील की कीमतों में 77 फीसदी का इजाफा हुआ।
हीरो मोटोकॉर्प के मुख्य वित्त अधिकारी निरंजन गुप्ता ने मार्च तिमाही के नतीजे के बाद निवेशकों से बातचीत में कहा, उद्योग के लिए चिंता का विषय लागत में हो रही बढ़ोतरी है, जिसे भूराजनीतिक कारणों से बल मिला है। हीरो महंगाई के दबाव को कम करने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी, लागत में बचत आदि कदम उठाएगी।
स्टील बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाने और निर्यात पर सरचार्ज से आने वाले समय में स्टील की कीमतें घट सकती हैं। इसे देखते हुए सीएलएसए जैसे ब्रोकरेज ने वाहन निर्माताओं के आय अनुमान में इजाफा किया  है। हालांकि इसका असर तत्काल नहींं दिखेगा।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषक जिनेश गांधी ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, दोपहिया ने सुधार के शुरुआती संकेत देखे हैं। लेकिन कुल वॉल्यूम अभी भी संतोषजनक स्तर से काफी दूर है। र्ईंधन की कीमतों में गिरावट खुदरा मांगों को अभी बढ़ा नहीं पाया है। रबी की कटाई के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह कुछ हद तक मांग में सुधार कर रहा है। उन्होंने कहा, स्कूल-कॉलेज खुलने से सुधार को थोड़ा सहारा मिल सकता है।

First Published - May 30, 2022 | 12:49 AM IST

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