भारत का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल ब्रांड एक संख्या ‘800’ है। यह ब्रांड मारुति सुजुकी इंडिया द्वारा स्थापित किया गया।
‘फ्रंटी’ और ‘अल्टो’ नाम से इस छोटी कार ने विभिन्न अवसरों पर और विभिन्न देशों में निरंतर नवीनता, उच्च उत्पादन और दक्षता के जरिये कीमतों में कटौती और स्वामित्व की कम लागत आदि के कारण आदर्श दर्जा प्राप्त किया और अपनी श्रेणी में श्रेष्ठता के साथ डटी रही।
कुछ ही वर्षों में भारतीय मोटरिंग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली यह कार अब इतिहास का हिस्सा बनने जा रही है। मारुति सुजुकी ने ओमनी सहित इस कार की बिक्री बंद करने का फैसला किया है। कंपनी ने 11 शहरों मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, सूरत, कानपुर, हैदराबाद, पुणे, आगरा और अहमदाबाद में अगले साल से इसकी बिक्री बंद करने की घोषणा कर दी है।
नए उत्सर्जन नियमों के तहत इन शहरों में सिर्फ यूरो-4 मानक पर खरे उतरने वाले मॉडल ही बेचे जा सकेंगे और मारुति 800 या ओमनी की अपग्रेडिंग लागत अत्यधिक होगी। पूरी तरह आयातित कलपुर्जों के साथ लॉन्च की गई 800 ने भारत में कार स्वामित्व अनुभव में परिवर्तन ला दिया। इस कार को वाहन कलपुर्जा निर्माण उद्योग का भी भरपूर समर्थन मिला।
अपनी उपलब्धियों के लिए यह कार एक सही नाम हासिल कभी नहीं कर सकी। मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आर सी भार्गव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘इस कार के नाम को लेकर कई बार चर्चा की गई और विभिन्न नाम भी सुझाए गए। लेकिन हमने महसूस किया कि इसका नाम मारुति ही होगा। काफी हद तक राजनीतिक कारणों की वजह से भी इस नाम को प्राथमिकता दी गई।
हम उस वक्त की बात कर रहे हैं जब 1983 में श्रीमती इंदिरा गांधी सत्ता में आई थीं और अरुण नेहरू इस परियोजना को देख रहे थे।’ एक विज्ञापन एजेंसी के अभिषेक दत्त, जो अब लंदन में बस चुके हैं, याद करते हुए बताते हैं कि जापानी सिटी कार ‘केई’ को भारत में कुछ बदलावों के साथ पेश किया गया। 800 ने लॉन्च के बाद कारों की बिक्री के लिए नए मानक स्थापित किए।
वे बताते हैं, ‘इसकी बिक्री के लिए फॉर्म बैंकों के जरिये बेचे गए थे और दस्तावेजी प्रक्रिया के बाद कम्प्यूटर से एक नंबर निकाला गया ताकि हरेक आवेदक डिलीवरी की तारीख की जानकारी हासिल कर सके। इसके साथ ही एंबी या पदमिनी खरीदने के लिए संपर्क के इस्तेमाल की पारंपरिक तरीके हमेशा के लिए समाप्त हो गए।’ वे बताते हैं कि हालांकि कुछ विशेष मामलों के लिए निदेशक कोटा चलन में बना रहा।
कीमत के ढांचे में भी बदलाव किया गया। कार की एक्स-शोरूम कीमत के अलावा खरीदारों को इसे अपने शहर में ले जाने के लिए डिलीवरी चार्ज का भुगतान करना पड़ता था। अंतत: मारुति वैन (बाद में ओमनी बन गई) के साथ 800 को लॉन्च कर दिया गया और खरीदार एक निश्चित तारीख के अंदर मॉडलों को बदल सकते थे। इसके साथ ही भारतीय कार की खरीदारी में एक नया विकल्प पुन: शामिल हो गया।
इसके बाद इसकी कीमत की बात करते हैं। प्रवात सेन, जो तब कोलकाता में एक मारुति डीलर के यहां सेवाओं के प्रमुख थे, याद करते हुए बताते हैं, ‘यह चौंका देने वाला था जब खरीदारों ने यह महसूस किया कि एम्बी की महज कुछ हजार किलोमीटर की सर्विस के बजाय 800 का सर्विस इंटरवल कम से कम 5,000 किलोमीटर से 7500 किलोमीटर था।
ऐसी खासियतों की वजह से अपनी बिक्री में तेज इजाफा करने वाली 800 को अपने 25 साल के सफर में बड़ा मार्केटिंग उछाल देखने को मिला।’ उदाहरण के लिए, जब अन्य छोटी कारें इसके दबदबे को चुनौती देने के लिए मैदान में आईं तो मारुति ने आसान फाइनैंसिंग, बेसिक मॉडल 2399 रुपये की मासिक किस्त पर उपलब्ध कराने की रियायत के साथ 800 को पुन: लॉन्च किया।
इस फाइनैंसिंग पैकेज ने लाखों की तादाद में ऐसे नए कार ग्राहकों को पैदा किया। यह दोपहिया और परिवहन पर आने वाले परिवारिक खर्च की तुलना में काफी किफायती किस्त थी। इसके बाद कंपनी ने इंजीनियरिंग नवीनता पर ध्यान दिया जिसने 800 को एक सफल कार में तब्दील कर दिया।
कंपनी समय-समय पर अपने इस मॉडल में बदलाव लाती गई। भारतीय सड़कों की खराब हालत को ध्यान में रख कर इसके इंजीनियरों ने कार के बोनट के नीचे एक एयर इनटेक पाइप को उन्नत बनाया और इसके ठीक पास में एक छोटी स्टील प्लेट लगाई गई।
मारुति सुजुकी के एक सेवानिवृत इंजीनियर ने बताया, ‘जब कार आगे बढ़ती, यह स्टील प्लेट पानी को आगे धकेल कर हवा के लिए जगह बनाती जिससे इंजन की शक्ति बरकरार रहती है।’ कार ने देश में पहली बार वाटरप्रूफ इलेक्ट्रिकल का वादा भी पूरा किया और यह पानी से भरी सड़कों पर भी अपनी करामात दिखाने में सफल रही।
हालांकि इसके छोटे आकार और खासकर इसके छोटे टायरों को देखते हुए इस तरह की नकारात्मक धारणाएं भी पैदा हुईं कि यह ऊबड़-खाबड़ यानी गङ्ढों वाली सड़कों पर सफल नहीं होगी। लेकिन वास्तविकता इससे काफी अलग थी। इसके सामने के हिस्सा और पीछे के बीम, इंजन-फ्रंट व्हील ड्राइव डिजाइन और यूनिटरी शेल बॉडी ने इसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र से निपटने में अभूतपूर्व क्षमता प्रदान की।
इसका शुरुआती मॉडल 796सीसी इंजन का था जो लगभग 34 बीएचपी शक्ति के साथ काम करता था। ईंधन किफायत के मामले में भी यह कार अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ने में सफल रही है। एम्बेसडर के 7-11 किलोमीटर और पदमिनी के 8-12 किलोमीटर प्रति लीटर के माइलेज की तुलना में इस कार की ईंधन खपत लगभग 15-18 किलोमीटर प्रति लीटर थी।
इन खूबियों के अलावा 800 की ब्रेक सुरक्षा और हेडलैम्प ने भी खरीदारों को इसके प्रति आकर्षित किया। इन सब विशेषताओं की वजह से 800 उस समय की अन्य भारतीय कारों की तुलना में कई पीढ़ी आगे थी। सीट बेल्ट और मल्टी-स्पीड एयरकंडीशनिंग जैसे छोटे-छोटे सुधारों के अलावा यह कार इलेक्ट्रॉनिक दहन प्रणाली, कैटालिक कन्वर्टर और ऑरिजनल कारब्यूरेटर की बजाय फ्यूल इंजेक्शन जैसी खूबियों से लैस हुई।
संक्षिप्त समय के लिए 800 ने तेज गति वाली मिनी कार बनने के लिए 5-स्पीड ट्रांसमिशन की भी पेशकश की। भारत में जांची-परखी गईं इनमें से कई सुविधाओं की पेशकश उन अन्य बाजारों में भी की गई जहां 800 बेची गई। उदाहरण के लिए सुजुकी फैक्टरियों के जरिये पाकिस्तान में, चांगन, जियांगबेई और जियांगनान के जरिये चीन में भी इन सुविधाओं की पेशकश की गई। यूरोप के लिए भी इसका निर्यात किया गया।