रेपो दर और नकद आरक्षी अनुपात सीआरआर में इजाफे का भारतीय रिजर्व बैंक का फैसला पहले से ही बेजार वाहन उद्योग पर और भारी पड़ने वाला है।
महंगाई की मार और ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से पहले ही ग्राहक दोपहिया और चार पहिया के ख्वाब देखना बंद कर चुके थे, रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद बचे खुचे ग्राहक भी खोने का ऑटो कंपनियों को डर सता रहा है।
यात्री कार बनाने के मामले में देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी हुंडई मोटर्स इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, ‘जबरदस्त चोट मारी है रिजर्व बैंक ने। कारों की बिक्री की रफ्तार पहले ही मंद थी, उस पर रेपो दर और सीआरआर में बढ़ोतरी तो बंटाधार ही कर देगी। पेट्रोल महंगा है, महंगाई की वजह से ग्राहक पहले ही दूर भाग रहे हैं, इसलिए अब बिक्री का गणित बिगड़ना हमें तय लग रहा है।’
उन्होंने कहा कि वाहन कंपनियां आगे चलकर हालात सुधरने की उम्मीद कर रही हैं, लेकिन मौजूदा तस्वीर को देखते हुए इनमें सुधार की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही। हालांकि कंपनी ने बिक्री बढ़ाने के लिए उत्पादों की कीमत घटाने से साफ इनकार किया। कंपनी के मुताबिक लागत पहले ही हाथ से निकलती जा रही है, उस पर कीमत कम करना तो संभव ही नहीं है।
जनरल मोटर्स के उपाध्यक्ष पी बालेंद्रन ने कहा, ‘वाहन उद्योग पर असर पड़ना तो तय है। बिक्री के मामले में सभी कंपनियों को चोट लगेगी। चौतरफा महंगाई से परेशान ग्राहक का अब कार या दोपहिया खरीदने के लिए शोरूम तक पहुंचना आसान नहीं होगा। रिजर्व बैंक का यह कदम ऑटो कारोबार के लिए तो बेहद खराब है।’ कार दिग्गज मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स के प्रवक्ताओं ने फिलहाल इस मामले में कुछ कहने से इनकार कर दिया।
लेकिन मारुति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यात्री कारों के बाजार में बादशाहत वाली इस कंपनी को आने वाले महीनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। रिजर्व बैंक की पहल के बाद बिक्री और मंद हो जाएगी। होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर्स इंडिया के एक अधिकारी ने कहा, ‘सीआरआर और रेपो रेट में इजाफा दोपहिया बाजार के लिए चिंता का सबब हैं। मोटरसाइकिल के बाजार में फाइनैंस की दर अब भी ज्यादा है, जिसकी वजह से अब बिक्री में गिरावट देखने को मिलेगी।