facebookmetapixel
1 करोड़ का घर खरीदने के लिए कैश दें या होम लोन लें? जानें चार्टर्ड अकाउंटेंट की रायदुनियाभर में हालात बिगड़ते जा रहे, निवेश करते समय….‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक ने निवेशकों को क्या सलाह दी?SEBI की 12 सितंबर को बोर्ड मीटिंग: म्युचुअल फंड, IPO, FPIs और AIFs में बड़े सुधार की तैयारी!Coal Import: अप्रैल-जुलाई में कोयला आयात घटा, गैर-कोकिंग कोयले की खपत कमUpcoming NFO: पैसा रखें तैयार! दो नई स्कीमें लॉन्च को तैयार, ₹100 से निवेश शुरूDividend Stocks: 100% का तगड़ा डिविडेंड! BSE 500 कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट इसी हफ्तेUpcoming IPOs: यह हफ्ता होगा एक्शन-पैक्ड, 3 मेनबोर्ड के साथ कई SME कंपनियां निवेशकों को देंगी मौकेरुपये पर हमारी नजर है, निर्यातकों की सहायता लिए काम जारी: सीतारमणमहंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारी

इलेक्ट्रिक कार के लिए आसान नहीं आगे की राह

Last Updated- December 12, 2022 | 9:26 AM IST

इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली अमेरिकी कंपनी टेस्ला मोटर्स के भारतीय बाजार में प्रवेश करने की खबर आने के बाद 8 जनवरी को लोगों ने ट्विटर पर अपने टाइमलाइन में एलन मस्क की तस्वीर के साथ भारत में स्वागत का संदेश जारी करना शुरू कर दिया था। दुनिया की सबसे प्रशंसित और मूल्यवान वाहन कंपनी के लिए यह सवाल बिल्कुल सटीक है कि क्या यह दशक कारों के लिए अलग होगा?
मुंबई के एक कारोबारी अमेय जोशी से मिलिए। इन्होंने मई में टाटा नेक्सन ईवी खरीदा था। अब करीब आठ महीने के बाद उनका कहना है कि उनका अनुभव काफी संतोषजनक रहा है। रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी (आरईसीसी) के संस्थापक चेतन मैनी द्वारा भारत को पहली इलेक्ट्रिक कार दिए जाने के दो दशक बाद जोशी जैसे खरीदारों की उस पर मुहर लगी है। हालांकि रेवा लोगों को आकर्षित करने में विफल रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के यात्री कार बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) का विकास समय के साथ-साथ नहीं हुआ और इसलिए अगले दशक के दौरान इसे सीमित स्वीकार्यता मिल सकती है। ग्राहकों की कमजोर चाहत, चार्जिंग बुनियादी ढांचे का अभाव, नीतिगत रूपरेखा में अस्पष्टता और कीमत वसूली की लंबी अवधि आदि तमाम कारक यात्री कार बाजार में इलेक्ट्रिक कार की राह में बाधा बनकर मौजूद हैं।
काफी हद तक कार विनिर्माता अभी भी उन्हीं समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनके कारण रेवा को सफलता नहीं मिली। इन समस्याओं में खरीद की ऊंची लागत, बैटरी की लागत, रेंज की चिंता, बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे और कीमत वसूली की लंबी अवधि शामिल हैं।
आगे की राह
केपीएमजी इंडिया का मानना है कि अन्य श्रेणियों की तुलना में यात्री कार श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहनों की रफ्तार सुस्त रहेगी। प्रमुख कारकों के विश्लेषण के आधार पर इस सलाहकार फर्म ने उम्मीद जताई है कि यात्री कार श्रेणी में इलेक्ट्रिक कारों की शुरुआती रफ्तार 10 से 20 फीसदी रह सकती है।
अन्य सलाहकार फर्मों के विशेषज्ञों ने भी इससे सहमति जताई है। सलाहकार फर्म कार्नी के पार्टनर राहुल मिश्रा ने कहा, ‘स्टीकर कीमतों पर इलेक्ट्रिक कार सस्ती हो सकती है लेकिन उसकी उपलब्धता लगातार चुनौतीपूर्ण रहेगी। जो लोग इलेक्ट्रिक कार खरीद सकते हैं उनके लिए हम इसे दूसरी या तीसरी कार के रूप में देख सकते हैं।’
केंद्र और राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को रफ्तार देने के लिए पिछले छह वर्षों के दौरान विभिन्न उपाय किए हैं। केंद्र सरकार की फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम 2) योजना इसका एक उदाहरण है।
केपीएमजी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार के प्रोत्साहन से मूल्य शृंखला में आपूर्ति पक्ष की समस्याएं दूर हो सकती हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हो होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को आईसीई वाहनों के साथ अंतर को कम करने के लिए मांग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन को व्यक्तिगत उपयोग के लिए सस्ते एवं आकर्षक ईवी मॉडल में बदलना अभी बाकी है। अब तक केवल तीन विनिर्माता हैं जो 300 किमी से अधिक रेंज वाले मॉडल बनाते हैं। सबसे सस्ती और सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक वाहन फिलहाल टाटा नेक्सन ईवी है जिसकी कीमत 14 से 16 लाख रुपये के बीच है।
हुंडई की कोना इलेक्ट्रिक कार की कीमत 24 लाख रुपये से शुरू होती है और बाजार में इसकी प्रमुख प्रतिस्पर्धी एमजी जेडएस ईवी है जिसकी कीमत 21 लाख रुपये से शुरू होती है। नेक्सन ईवी एकमात्र ऐसा मॉडल है जो खरीदारों के एक बड़े हिस्से को अपनी ओर आकर्षित करने करने में कामयाब रहा है।
मारुति अभी होड़ से दूर
यात्री कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी अभी इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी से काफी दूर है। मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव का कहना है कि निकट भविष्य के लिए भी कंपनी की ऐसी कोई योजना नहीं है।
भार्गव ने कहा, ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं जो पिछले साल नहीं हुआ वह इस साल हो जाएगा? कुछ भी नहीं बदला है। कोई भी भारत में बैटरी नहीं बना रहा है या बैटरी बनाने वाले संयंत्र में निवेश भी नहीं कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में लोगों के न उतरने का मुख्य कारण अधिक लागत और बुनियादी ढांचे का अभाव है। भार्गव ने कहा, ‘डेढ़ साल पहले लोगों ने दावा किया था कि लीथियम बैटरी की लागत में भारी कमी आएगी। क्या ऐसा हुआ है?’ भारत में कारोबार करने वाली जापान की अन्य कार कंपनी की स्थानीय इकाई ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। उनका मानना है कि भारत जैसे बाजार के लिए इलेक्ट्रिक वाहन के बजाय हाइब्रिड कहीं अधिक व्यावहारिक विकल्प है।
हालांकि टाटा मोटर्स के अध्यक्ष (यात्री कार श्रेणी) शैलेश चंद्र यात्री इलेक्ट्रिक कार को लेकर काफी आशान्वित हैं। शुरुआती बिक्री को देखते हुए उन्होंने यह उम्मीद जताई है। टाटा मोटर्स ने कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के बावजूद अब तक करीब 2,000 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कर चुकी है।
कोरिया की कार कंपनी हुंडई और किया मोटर्स भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अपनी योजना को आगे बढ़ा सकती हैं। किया 2027 तक सात इलेक्ट्रिक कार को वैश्विक स्तर पर उतारने की योजना बना रही है। हुंडई भी 2019 में भारत में उतारी गई कोना एसयूवी को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित है।
रेनो और फोक्सवैगन जैसी यूरोपीय कार कंपनियां भी भारत में उभर रहे इलेक्ट्रिक कार बाजार पर करीबी नजर रख रही हैं। लेकिन इन दोनों में से किसी ने भी फिलहाल अपनी योजना का खुलासा नहीं किया है।

First Published - January 20, 2021 | 11:40 PM IST

संबंधित पोस्ट