टाटा मोटर्स देश में बिजली से चलने वाले वाहन (ई-वाहन) क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में तेजी से प्रयास करेगी। टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि कंपनी 2025 तक अपने व्यावसायिक एवं यात्री वाहन श्रेणियों में बैटरी से चलने वाले 10 नए वाहन उतारेगी।
कंपनी यह कदम तब उठा रही है, जब सरकार कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए देश में वाहन विनिर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने ऐसे वाहन बनाने वाली कंपनियों को सब्सिडी एवं रियायत देने की नीति भी तैयार की है।
वित्त वर्ष 2022 के बजट में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही ऐसे वाहन खरीदने वाले लोगों को आयकर में छूट देने की भी पेशकश की गई है।
टाटा मोटर्स देश में इलेक्ट्रिक वाहन खंड की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी आने वाले दशक में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत और यूरोप में लीथियम बैटरी बनाने पर निवेश करेगी। चंद्रशेखरन ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत में हमारे वाहन कारोबार में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी इस साल बढ़कर 2 प्रतिशत हो गई है और हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसमें और इजाफा होगा। टाटा मोटर्स भारत में इस नई श्रेणी में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है। वर्ष 2025 तक टाटा मोटर्स बैटरी से चलने वाले 10 नए वाहन लेकर आएगी।’
कंपनी देश में इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी की सबसे बड़ी कंपनी है और इस समय इसके दो वाहन नेक्सन ईवी और टिगॉर ईवी फर्राटे भर रहे हैं। अल्ट्रॉज का इलेक्ट्रिक संस्करण आने वाले महीनों में सड़कों पर दिख सकता है। नेक्सन ईवी भारत में सर्वाधिक बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। जनवरी 2020 में यह कार उतारी गई थी और अब तक इसकी बिक्री का आंकड़ा 4,000 पहुंच चुका है।
नेक्सन ईवी को बाजार में उतारते समय चंद्रशेखरन ने कहा था कि टाटा समूह की सात कंपनियां – टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स, क्रोमा, टाटा ऑटो कम्पोनेंट्स और टाटा मोटर्स फाइनैंस – इलेक्ट्रिक वाहनों का ताना-बाना तैयार करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगी। टाटा केमिकल्स बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक शोध कार्य करेगी और टाटा ऑटो कम्पोनेंट्स बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम के साथ बैटरी तैयार करने में अपना योगदान देगी। चंद्रशेखरन ने कहा था, ‘हम इसके लिए टाटा यूनिवर्स नाम से एक पहल कर रहे हैं, जिसके तहत हमारी समूह की कंपनियों ने पिछले 18 महीनों में कठिन परिश्रम किया है। इससे हमें इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी के लिए जरूरी सेवाएं देने में सफलता मिली है।’
