टाटा मोटर्स अपने ट्रकों पर छूट देने में संयम बरत रही है जबकि वाणिज्यिक वाहन बाजार की रफ्तार सुस्त बनी हुई है। कंपनी के वाणिज्यिक वाहन कारोबार इकाई के प्रमुख गिरीश वाघ ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ट्रक बाजार की अग्रणी कंपनी ने लगभग एक तिहाई छूट वापस ले ली है क्योंकि उसे सख्त उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन के लिए बदलाव करना पड़ा है।
वाघ ने कहा, ‘हमने बीएस-6 बदलाव के दौरान काफी साहसिक निर्णय लिया था। हमने बढ़ी हुई लागत का आधे हिस्से की भरपाई कीमत में वृद्धि के जरिये की जबकि शेष आधी लागत की भरपाई छूट में कमी के जरिये किया गया। इसलिए हमने छूट में 30 से 35 फीसदी तक की कटौती की है।’
हालांकि वाघ के इस दावे से कई लोग सहमत नहीं हैं। इंडियन फाउंडेशन ऑफ रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के वरिष्ठ फेलो एसपी सिंह का कहना है कि छूट बहुत अधिक है। सिंह ने कहा, ‘उन्होंने (ट्रक विनिर्माताओं) बीएस-6 वाहनों की कीमत में काफी (15 से 30 फीसदी) वृद्धि की है ताकि छूट के लिए पर्याप्त गुंजाइश बरकरार रहे।’ सिंह का कहना है कि टाटा मोटर्स की प्रमुख प्रतिस्पर्धी अशोक लीलैंड कहीं अधिक आक्रामक है। वह इस बाजार में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी नई कंपनियों के लिए राह को अपेक्षाकृत कठिन बना रही है।
वाघ ने कहा कि अधिक टन भार वाले ट्रकों को अर्थव्यवस्था में नरमी का अधिक झटका लगा है। लेकिन अब इस श्रेणी में भी क्रमिक सुधार दिखना शुरू हो गया है। इसे ग्रामीण भारत में दमदार मांग, बुनियादी ढांचा, खनन एवं ई-कॉमर्स में तेजी से रफ्तार मिली है। वाघ ने कहा कि हल्के, छोटे और मझोले वाणिज्यिक वाहनों की मजबूत मांग के बावजूद समग्र वाणिज्यिक वाहन बाजार वित्त वर्ष 2020-21 को 25 फीसदी की सालाना गिरावट के साथ अलविदा करेगा। उन्होंने कहा कि इस सुधार के अलावा पिछले साल के कमजोर आधार को भी ध्यान में रखना होगा।
वित्त वर्ष 2019 एमऐंडएचसीवी ट्रकों के लिए एक रिकॉर्ड वर्ष था। उसके बाद वित्त वर्ष 2020 में 50 फीसदी की गिरावट आई। वित्त वर्ष 2021 के पहले आठ महीनों में यह सालाना आधार पर लगभग 50 फीसदी घट गया। इसके अलावा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान अथवा सेमीकंडक्टर की कमी ने सुधार को पटरी से उतार दिया।
लागत में कटौती के उपायों और नकदी संरक्षण की रणनीति के साथ वैश्विक महामारी के तुरंत बाद व्यापार निरंतरता की योजना ने कंपनी को संकट से उबरने में मदद की। उन्होंने कहा, ‘हमने लागत के हरेक पहलू पर काफी बारीकी से गौर किया और लागत को नियंत्रित करने के लिए नए उपाय किए।’ इससे कंपनी को दूसरी तिमाही में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली। वाघ ने कहा कि तीसरी तिमाही में इससे वॉल्यूम बढ़ाने में मदद मिलेगी।
