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दोपहिया को ओमिक्रोन का झटका

Last Updated- December 11, 2022 | 10:01 PM IST

घरेलू बाजार में दोपहिया वाहनों की बिक्री को एक बार फिर कोविड-19 के ओमिक्रोन वेरिएंट के प्रकोप का झटका लगा है। दोपहिया वाहन श्रेणी वैश्विक महामारी की पहली और दूसरी लहर के कारण मंदी की मार पहले ही झेल रही थी। दिसंबर तिमाही के काफी कमजोर रहने के बाद चालू वित्त वर्ष में अब तक की मात्रात्मक बिक्री भी पिछले 9 वर्षों में सबसे कमजोर दिख रही है। इतना ही नहीं जनवरी के पहले पखवाड़े में भी नरमी के संकेत दिखे हैं।
वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा, ‘हालांकि मौजूदा लहर की गंभीरता पिछली लहर जैसी नहीं है लेकिन इसने धारणा को बुरी तरह प्रभावित किया है। ऐसे में पूछताछ की बिक्री में बदलने की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गई है।’ परिणामस्वरूप डीलरों के पास स्टॉक काफी बढ़ गया है। डीलरशिप पर मौजूदा इन्वेंट्री का स्तर फिलहाल 50 दिनों का है जो सामान्य तौर पर 25 से 30 दिनों का रहता है।

दुनिया के सबसे बड़े दोपहिया बाजार को वैश्विक महामारी का तगड़ा झटका लगा है। बड़ी तादाद में दोपहिया वाहनों के खरीदार निम्न आय वर्ग से आते हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कुल खरीदारों में उनकी हिस्सेदारी 80 से 90 फीसदी तक होती है। इसके अलावा भारत की असमान असर्थिक वृद्धि और लोगों की आमदनी जबरदस्त असमानता के कारण क्रय शक्ति प्रभावित हुई है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री एवं प्रमुख (सार्वजनिक वित्त) देवेंद्र पंत ने कहा, ‘दोपहिया वाहनों की बिक्री से अर्थव्यवस्था में मजबूती का पता चलता है लेकिन पिछले तीन वर्षों के दौरान इसमें गिरावट हुई है। लगातार हो रही गिरावट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2018 से लगातार सुस्त हो रही आर्थिक वृद्धि उचित नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में वेतन वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है और महंगाई के अनुरूप उसमें वृद्धि नहीं हुई जबकि अधिकांश दोपहिया वाहनों की बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों में ही होती है।’

बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने भी इससे सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘असमानता बढ़ रही है। पिरामिड के निचले स्तर पर मौजूद लोगों की स्थिति काफी खराब हो गई है। दोपहिया वाहनों के अधिकतर खरीदार ऐसे लोग होते हैं जिनकी मासिक आय 30,000 से 40,000 रुपये के दायरे में होती है।’ शर्मा के अनुसार, वैश्विक महामारी से गिरावट की रफ्तार केवल बढ़ी है।
 

पंत के अनुसार, बिक्री को तब तक रफ्तार नहीं मिलेगी जब तक अर्थव्यवस्था स्थिर वृद्धि की राह पर न लौट आए और आय में उचित वृद्धि न हो। दोपहिया वाहनों के लिए जीएसटी में 5 से 10 फीसदी की कटौती से कोई खास असर पडऩे की संभावना नहीं है। इससे मांग को मामूली सहारा मिलेगा। पिछले कई महीनों से बिक्री में साल दर साल गिरावट से पता चलता है कि दोपहिया विनिर्माता वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखते हुए डीलरशिप के लिए आपूर्ति में कटौती कर रहे हैं। हालांकि देश भर के खुदरा विक्रेताओं यहां बिना बिके वाहनों का काफी स्टॉक अब भी मौजूद है जो उनके लिए चिंता की बात है।
वैश्विक महामारी से पहले की अवधि में बीएस4 से बीएस6 में बदलाव करने की चुनौतियां बिक्री को प्रभावित कर रही थीं। वैश्विक महामारी संबंधी अनिश्चितताओं के अलावा अधिक खरीद लागत, ग्रामीण बिक्री में सुस्ती, ईंधन कीमतों में तेजी और मॉडलों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से बिक्री को झटका लगा है।

First Published - January 16, 2022 | 10:31 PM IST

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