मांग और महंगाई दर दोनों के कम होने से कच्चे उत्पाद भले ही सस्ते हो गए, लेकिन दुपहिया वाहन निर्माताओं ने मोटरसाइकिल और स्कूटर की कीमतों में कमी की संभावना को साफ खारिज कर दिया है।
इन कंपनियों में हीरो होंडा, बजाज और एचएमएसआई शामिल हैं। देश की शीर्ष दुपहिया वाहन कंपनियों का यह निर्णय ऐसे समय आया है, जब मंदी के चलते देश का वाहन उद्योग मांग घटने की समस्या से दो-चार है।
साल भर पहले तक स्वाभाविक मांग वाला बाजार अब प्रोत्साहन पर निर्भर हो गया है। तकनीकी शब्दावली में ऐसी स्थिति को क्रमश: ‘पुल मार्केट’ और ‘पुश मार्केट’ कहते हैं। पहले का मतलब बाजार की उस स्थिति से है, जहां उत्पादन मांग के अनुरूप होता है।
वहीं दूसरी स्थिति का तात्पर्य मांग बिल्कुल नहीं या कम होने से है। ऐसी स्थिति में निर्माताओं को अपना माल बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी होती है। तब अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनियां डीलरों और एजेंटों की सहायता लेती हैं।
इस्पात, रबर, तेल, एल्युमीनियम और प्लास्टिक की कीमतें बीती दो तिमाहियों में काफी नीचे गई हैं। जुलाई 2008 में ज्यादातर जिंसों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई तक चली गई थीं। इसके अलावा, टाटा नैनो की लॉन्चिंग के बाद दुपहिया वाहनों की मांग थोड़ी घटने का अनुमान है।
दूसरी ओर, दुपहिया वाहन खरीदने के लिए लोन देने में बैंकों की कोई विशेष दिलचस्पी नहीं है। कुल मिलाकर, मौजूदा हालात दोपहिया वाहनों के बाजार के प्रतिकूल ही हैं। हीरो होंडा मोटर्स के मुख्य वित्त अधिकारी रवि सूद ने बताया, ”पिछले साल जब कच्चे उत्पादों की लागत काफी बढ़ गई थी, तब हमने बाइक की कीमत नहीं बढ़ाई। उस समय हमने मुनाफा मार्जिन घटाने का फैसला लिया था।
अब जब लागत कम हो गई है, तब हमने पिछले साल के कम मुनाफे की भरपाई करने का फैसला लिया है।” बजाज ऑटो ने भी पिछले साल के कम मुनाफे की भरपाई का फैसला लिया है। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान बजाज ऑटो की बिक्री में 23 फीसदी की कमी हुई थी।
