नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने इलेक्ट्रिक वाहन योजना पर आगे बढऩे के लिए वाहन निर्माताओ का आह्वान किया है। उन्होंने आगाह भी किया है कि स्थापित कंपनियां इस दिशा में आगे नहीं आईं तो स्टार्टअप तेजी से इस क्षेत्र में विस्तार कर सकते हैं और उनकी हिस्सेदारी में सेंध लगा सकते हैं। उन्होंने ई-वाहन के लिए स्वदेशी मार्ग अपनाने की जरूरत पर भी बल दिया। कांत ने कहा कि हमें आपूर्ति शृंखला को उन्नत बनाना होगा और चीन पर आयात निर्भरता घटानी होगी।
वाहन कलपुर्जा विनिर्माओं के संगठन एक्मा को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, ‘घरेलू विनिर्माताओं को यह अहसास होना चाहिए कि हम सबसे बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। आपको अच्छा लगे या न लगे, ई-वाहन तो नहीं टलेंगे।’ भारतीय विनिर्माताओं को इसे समझना चाहिए और इस क्षेत्र के अवसरों का लाभ उठाने की रणनीति बनानी चाहिए।
कांत के अनुसार ई-वाहन और उसके पुर्जों को देश में बनाने पर जोर देना चाहिए तथा व्यापक स्तर पर लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा, ‘ई-वाहन उद्योग को सौर ऊर्जा क्षेत्र की तरह आयात पर निर्भर नहीं होना चाहिए। भारतीय कलपुर्जा उद्योग को जोखिम-मुक्त, विविधता भरा बनना होगा और उसे वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भागीदारी करनी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप ई-स्कूटर उतार रहे हैं। ओला इलेक्ट्रिक ने भी अपना ई-स्कूटर बाजार में उतारा है। पेट्रोल के दाम लगातार चढऩे और केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा ई-स्कूटर विनिर्माताओं की मदद के लिए नीतियां लाए जाने के कारण कंपनियां पेट्रोल-डीजल से चलने वाले मॉडल की तुलना में थोड़ी अधिक कीमत पर ई-स्कूटर लाने में सफल रही हैं। मांग बढऩे से ई-स्कूटर विनिर्माता अपनी क्षमता में विस्तार के लिए भी प्रेरित होंगे।
मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, ‘मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि भारत में ई-वाहन तभी जोर पकड़ेंगे, जब ग्राहक को ई-वाहन पेट्रोल-डीजल वाहन की तुलना में ज्यादा आकर्षक और किफायती लगेगा। बुनियादी ढांचे को देखते हुए इसे भारत में बहुत तेजी से अपनाना आसान नहीं होगा और इसमें थोड़ा वक्त लगेगा।’
कांत ने स्वीकार किया कि भारत में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 21 कार हैं, जबकि अमेरिका में प्रति 1000 पर 960 कारें हैं। ऐसे में देश में पेट्रोल-डीजल वाहन से ई-वाहन की ओर जाना आसान होगा क्योंकि पुरानी गाडिय़ों के निपटारे की समस्या ज्यादा नहीं होगी। भारत ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 25 फीसदी तक घटाने का वादा किया गया है। ई-वाहन इस लक्ष्य का हासिल करने का एक तरीका हो सकता है। इस बीच नीति आयोग के प्रमुख ने वाहन उद्योग के प्रतिनिधियों को कलपुर्जों को स्थानीय स्तर पर बनाने में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया।
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के अध्यक्ष और मारुति सुजूकी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा कि एक्मा और सायम साथ मिलकर वाहन उद्योग के स्थानीयकरण का खाका तैयार करेंगे।