facebookmetapixel
ITR Filing2025: देर से ITR फाइल करना पड़ सकता है महंगा, जानें कितनी बढ़ सकती है टैक्स देनदारीPower Stock में बन सकता है 33% तक मुनाफा, कंपनियों के ग्रोथ प्लान पर ब्रोकरेज की नजरेंNepal GenZ protests: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा, संकट गहराया26% तक चढ़ने को तैयार Adani Green, Suzlon समेत ये 5 Energy Stocks, टेक्निकल चार्ट पर दिख रहा ब्रेकआउटसोना ₹1.1 लाख के पार, चांदी 13 साल के हाई पर: निवेशकों के लिए क्या हैं इसके मायनेUP में बड़े निवेशकों के लिए अच्छी खबर! 100 करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट्स को सिर्फ 15 दिन में मिलेगी जमीनMiniratna PSU ने डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट तय की, जानिए कब और कितनी रकम मिलेगीJane Street vs SEBI: SAT ने जेन स्ट्रीट की अपील स्वीकार की, अगली सुनवाई 18 नवंबर कोVice President Elections: पीएम मोदी और राजनाथ सिंह ने डाला वोट, देश को आज ही मिलेगा नया उप राष्ट्रपतिदिवाली शॉपिंग से पहले जान लें नो-कॉस्ट EMI में छिपा है बड़ा राज

भारतीयों ने हाइब्रिड वाहनों को पसंद किया

Last Updated- December 12, 2022 | 3:33 AM IST

अधिकतर भारतीयों ने ई-वाहन के मुकाबले हाइब्रिड वाहनों को अधिक पसंद किया है। डेलॉयट के एक हालिया वैश्विक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 68 फीसदी भारतीयों ने अपनी अगली खरीदारी के दौरान पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों को प्राथमिकता देने की बात कही है। इस लिहाज से भारत दूसरे पायदान है क्योंकि अमेरिका में 74 फीसदी प्रतिभागियों ने पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों को पसंद किया है।
दिलचस्प है कि शेष 32 फीसदी भारतीयों ने वैकल्पिक ईंधन वाले वाहन खरीदने का विकल्प खुला रखा है। इनमें से 24 फीसदी लोगों ने हाइब्रिड मॉडलों को प्राथमिकता देने की बात कही है जबकि महज 4 फीसदी प्रतिभागियों ने पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों को पसंद किया है। यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे छोटा आंकड़ा है। अमेरिका में महज 16 फीसदी लोगों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी है।
यह रुझान भारत जैसे बाजार के लिए बिल्कुल विपरीत दिख रहा है क्योंकि यहां हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों फेम योजना के तहत नीति निर्माताओं द्वारा सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य सब्सिडी के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाना, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश में चार्जिंग बुनियादी ढांचे को बेहतर करना और सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण में मदद करना है। इसका उद्देश्य वाहनों से उत्सर्जन में कमी लाना और जीवाश्म र्ईंधन पर निर्भरता को कम करना भी है। देश के कई शहरों को दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित करार दिया गया है।
डेलॉयट टच तोमात्सु इंडिया के पार्टनर एवं लीडर (ऑटोमोटिव) राजीव सिंह के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जब तक पूर्ण बदलाव नहीं हो जाता है, तब तक हाइब्रिड एक बढिय़ा पुल का काम कर सकता है।
सर्वेक्षण में शामिल करीब 26 फीसदी भारतीयों ने चार्जिंग बुनियादी ढांचे की कमी को इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा माना। चार्जिंग बुनियादी ढांचे को रातोंरात तैयार नहीं किया जा सकता है और इसमें 5 से 6 साल लग जाएंगे। ऐसे में बुनियादी ढांचा तैयार होने तक की अंतरिम अवधि में हाइब्रिड एक अच्छा समाधान हो सकता है।
अधिक आयात शुल्क और सब्सिडी के अभाव के कारण हाइब्रिड वाहनों की अधिक कीमतें निश्चित तौर पर भारतीय बाजार में उसके लिए एक बड़ी बाधा रही हैं। होंडा, टोयोटा और सुजूकी जैसी जापानी कार विनिर्माताओं ने फेम योजना के तहत हाइब्रिड को लाने और उसके लिए एक अनुकूल नीति तैयार करने के लिए सरकार से आग्रह किया है। लेकिन इस योजना के पहले चरण में कुछ लाभों की घोषणा के बाद इसे बंद कर दिया गया है।

First Published - June 17, 2021 | 11:29 PM IST

संबंधित पोस्ट