अधिकतर भारतीयों ने ई-वाहन के मुकाबले हाइब्रिड वाहनों को अधिक पसंद किया है। डेलॉयट के एक हालिया वैश्विक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 68 फीसदी भारतीयों ने अपनी अगली खरीदारी के दौरान पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों को प्राथमिकता देने की बात कही है। इस लिहाज से भारत दूसरे पायदान है क्योंकि अमेरिका में 74 फीसदी प्रतिभागियों ने पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों को पसंद किया है।
दिलचस्प है कि शेष 32 फीसदी भारतीयों ने वैकल्पिक ईंधन वाले वाहन खरीदने का विकल्प खुला रखा है। इनमें से 24 फीसदी लोगों ने हाइब्रिड मॉडलों को प्राथमिकता देने की बात कही है जबकि महज 4 फीसदी प्रतिभागियों ने पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों को पसंद किया है। यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे छोटा आंकड़ा है। अमेरिका में महज 16 फीसदी लोगों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी है।
यह रुझान भारत जैसे बाजार के लिए बिल्कुल विपरीत दिख रहा है क्योंकि यहां हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों फेम योजना के तहत नीति निर्माताओं द्वारा सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य सब्सिडी के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाना, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश में चार्जिंग बुनियादी ढांचे को बेहतर करना और सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण में मदद करना है। इसका उद्देश्य वाहनों से उत्सर्जन में कमी लाना और जीवाश्म र्ईंधन पर निर्भरता को कम करना भी है। देश के कई शहरों को दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित करार दिया गया है।
डेलॉयट टच तोमात्सु इंडिया के पार्टनर एवं लीडर (ऑटोमोटिव) राजीव सिंह के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जब तक पूर्ण बदलाव नहीं हो जाता है, तब तक हाइब्रिड एक बढिय़ा पुल का काम कर सकता है।
सर्वेक्षण में शामिल करीब 26 फीसदी भारतीयों ने चार्जिंग बुनियादी ढांचे की कमी को इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा माना। चार्जिंग बुनियादी ढांचे को रातोंरात तैयार नहीं किया जा सकता है और इसमें 5 से 6 साल लग जाएंगे। ऐसे में बुनियादी ढांचा तैयार होने तक की अंतरिम अवधि में हाइब्रिड एक अच्छा समाधान हो सकता है।
अधिक आयात शुल्क और सब्सिडी के अभाव के कारण हाइब्रिड वाहनों की अधिक कीमतें निश्चित तौर पर भारतीय बाजार में उसके लिए एक बड़ी बाधा रही हैं। होंडा, टोयोटा और सुजूकी जैसी जापानी कार विनिर्माताओं ने फेम योजना के तहत हाइब्रिड को लाने और उसके लिए एक अनुकूल नीति तैयार करने के लिए सरकार से आग्रह किया है। लेकिन इस योजना के पहले चरण में कुछ लाभों की घोषणा के बाद इसे बंद कर दिया गया है।