लक्जरी कार बनाने वाली कंपनियां कल-पुर्जे के लिए भारत को एक आउटसोर्सिंग हब के तौर पर तरजीह दे रही हैं।
मुंबई के एक ऑटोमोबाइल विश्लेषक ने कहा, ‘अपने प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सॉफ्टवेयर और इंजीनिरिंग क्षेत्र में जबर्दस्त प्रतिस्पद्र्धा बनाए रखने की वजह से भारत ऑटो कल पुर्जों के उभरते बाजार के रूप में स्थापित हो रहा है।’
जर्मनी की लक्जरी कार बनाने वाली कंपनी बीएमडब्ल्यू इस साल के अंत तक स्थानीय वेंडरों के साथ पहला सोर्सिंग करार कर सकती है। अभी इन स्थानीय वेंडरों की गुणवत्ता मानकों की जांच की जा रही है।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमलोग डिजाइन और टूलिंग क्षेत्र में भारतीय वेंडरों के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ कल पुर्जों की खरीदारी करना नहीं है। बीएमडब्ल्यू इसमें एक बड़ी संभावना दिख रही है।’
फिलहाल बीएमडब्ल्यू अपनी 3 और 5 शृंखला की सेडान मॉडलों के लिए हॉर्न टियर-2 आपूर्तिकर्ता से खरीदती है, जबकि मोटर बाइक के लिए हैंडल बार और डाई कास्ट वेंडरों से सीधे खरीदती है। कंपनी अपनी दुनियाभर में फैली इकाइयों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से इंजीनियरिंग सेवा और कास्टिंग तथा फोर्जिंग से जुड़े उपकरण को खरीदने की योजना बना रही है।
इसके अलावा कंपनियां कार में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रिकल कल पुर्जे और सॉफ्टवेयर को भी भारतीय वेंडरों से खरीदने के बारे में योजना बना रही है। इस बाबत जर्मनी से एक विशेष प्रतिनिधि मंडल इन्फोसिस से बात करने के लिए आ रही है।
पिछले साल दिल्ली में बीएमडब्ल्यू ने एक अंतरराष्ट्रीय खरीद कार्यालय स्थापित की थी, जो भारतीय ऑपरेशन से बिल्कुल स्वतंत्र है और सीधे तौर पर यह कार्यालय कंपनी के म्युनिख स्थित मुख्यालय को रिपोर्ट करती है।
कंपनी चेन्नई प्लांट में 3000 बीएमडब्ल्यू-3 और 5 सीरीज की सेडान मॉडल बना रही है और इसके कल पुर्जों के लिए स्थानीय वेंडरों से बात कर रही है। वर्तमान में बीएमडब्ल्यू की कार में स्थानीय पुर्जों का 10 फीसदी इस्तेमाल होता है।