केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा कि वे वाहनों के लिए कबाड़ केंद्रों की स्थापना के लिए रियायती दरों पर जमीन और बिजली मुहैया कराएं। वाहन कबाड़ नीति की सफलता के लिए इन केंद्रों की स्थापना जरूरी है। इस नीति का मकसद अक्षम और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाना है।
राज्य सरकारों की ओर से रियायत दिए जाने पर कंपनियों को कबाड़ केंद्रों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार न केवल कबाड़ नीति को बढ़ावा देना चाहती है बल्कि चक्रीय अर्थव्यवथा को भी आगे बढ़ाना चाहती है जो कि प्राकृतिक संसथानों के अंधाधूंध दोहन को रोकने के लिए पुनर्चक्रण के सिद्घांत पर आधारित है।
सड़क मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने राज्य सरकारों से इन कबाड़ केंद्रों को उत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन देने को कहा है क्योंकि इनसे राज्यों में रोजगार का सृजन होगा।’ पता चला है कि विभिन्न साझेदरों के साथ चर्चा के दौरान भी केंद्र सरकार ने यही बात राज्यों को कही थी।
वाहन कंपनियों को एक पंजीकृत वाहन कबाड़ संयंत्र (आरबीएसएफ) स्थापित करने के वास्ते संयुक्त उद्यम बनाने या कोई सहायक कंपनी या विशेष उद्देश्य की कंपनी स्थापित करने या फिर सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
25,000 वाहनों की क्षमता वाला एक छोटा आरवीएसएफ या कबाड़ संयंत्र स्थापति कने के लिए 14 से 16 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं 50,000 वाहनों की क्षमता वाला संयंत्र स्थापित करने पर 18 से 20 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
अगस्त महीने में गुजरात ने निजी कंपनियों को उनकी नई वाहन कवाड़ इकाइयों को सहयोग देने के लिए उनके साथ छह समझौते किए थे। राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि वह दो नए कबाड़ वाहन पार्कों की स्थापना करेगी। एक पार्क अलांग जो कि भावनगर के निकट है और दूसरा कच्छ में स्थापित किया जाएगा।
अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति की शुरुआत की थी और कहा था कि इस पहल से एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। इस नीति का मकसद पुराने और खराब हो चुके वाहनों से कबाड़ का पनुर्चक्रण करना है। नए वाहन की खरीद पर स्थानीय कर को माफ करना और आरवीएसएफ की स्थापना के लिए प्रोत्साहन सहित इसको लागू करना राज्यों के विवेक पर निर्भर करेगा।
नीति के तहत अपने पुराने वाहन को कबाड़ में तब्दील कराने के लिए लाने वाले लोगों को सरकार की तरफ से एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा। वाहन को कबाड़ में बदलने का निर्णय वाहन के उम्र और फिटनेस पर आधारित होगा। यह प्रमाणपत्र होने पर उस व्यक्ति से नए वाहन की खरीद पर कोई पंजीकरण शुल्क नहीं वसूला जाएगा और इस तरह के वाहन मालिक सड़क कर में कुछ रियायत पाने के हकदार होंगे।
चक्रिय अर्थव्यवस्था का बढ़ावा दिया जाना विकास की प्रक्रिया को सतत और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए बहुत जरूरी है। प्रदूषण में कटौती के अलावा इस नीति के जरिये भारत के वाहन और धातु क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद है और सामान्य व्यक्ति के लिए भी यह लाभकारी साबित होगी।
