अमेरिकी वाहन कंपनी फोर्ड ने आज कहा कि उसने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के विनिर्माण की योजना वापस ले ली है। कंपनी ने सरकार को भी सूचित किया है कि भारत में पीएलआई योजना के तहत उसका निवेश का इरादा नहीं है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद हमने निर्यात के मकसद के लिए भारत के किसी संयंत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण नहीं करने का फैसला लिया है। पीएलआई के तहत हमारे प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए हम सरकार के आभारी हैं और हम सहयोग करते रहेंगे और अपनी खोज जारी रखेंगे। फोर्ड इंडिया ने पहले योजना के मुताबिक कारोबारी पुनर्गठन जारी रखने का ऐलान किया था, जिसमें अपने विनिर्माण संयंत्र से अनन्य देशों को निर्यात शामिल था। हम यूनियन व अन्य हितधारकों के साथ काम जारी रखेंगे ताकि पुनर्गठन के असर को कम करने से लिए संतुलित योजना सामने रख सकें।
भारत की पीएलआई योजना के तहत फोर्ड के आवेदन को मंजूरी दी गई थी। चैंपियन ओईएम स्कीम्स के तहत भारी उद्योग मंत्रालय की तरफ से छांटे गए 20 वाहन निर्माताओं में फोर्ड शामिल थी। भारत में विनिर्माण बढ़ाने की खातिर वाहन निर्माताओं को सरकार 45,016 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दे रही है।
उस समय कंपनी ने कहा था कि वह भारत में अपने एक प्लांट में इलेक्ट्रिक कार बनाने की संभावना तलाश रही है, जिसका निर्यात किया जाएगा।
फरवरी में केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि अमेरिकी वाहन निर्माता अन्य इकाइयों के साथ पीएलआई योजना की पात्र हैं, जहां मुख्य मकसद आत्मनिर्भरता है। फोर्ड के मामले में यह स्पष्ट था कि इलेक्ट्रिक वाहनों व कलपुर्जे का उत्पादन विदेशी बाजारों के लिए होगा।
पिछले साल कंपनी ने कहा था कि वह भारत में वाहनों का उत्पादन बंद करेगी लेकिन इंजन निर्माण और तकनीकी सेवा भारतीय परिचालन के पुनर्गठन के तहत बनाए रखेगी। इस कदम से करीब 4,000 कामगारों पर असर पडऩे की संभावना है।
बढ़ते घाटे और भारत के यात्री वाहन बाजार में मंदी से कंपनी यह कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित हुई, जिसे कोविड महामारी ने और खराब कर दिया था।
भारतीय परिचालन को लेकर फोर्ड काफी समय से विचार कर रही है और यह साल 2019 में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा से बातचीत से पहले का ही मामला है। कंपनी ने सभी विकल्पों पर विचार के बाद उत्पादन बंद करने का फैसला लिया, जिसमें अनुबंध पर विनिर्माण शामिल है।
कमजोर बिक्री, उच्च परिचालन नुकसान, ज्यादा फिक्स्ड लागत और मूल कंपनी की उम्मीद करने वाले बाजार की वजह से पांच साल भी कम समय में भारतीय परिचालन सिकोडऩे वाली यह चौथी अमेरिकी वाहन कंपनी है, इससे पहले हार्ली डेविडसन, यूएम मोटरसाइकल और जनरल मोटर्स ने ऐसा कदम उठाया था।
