ओला के चेयरमैन और ग्रुप सीईओ भवीश अग्रवाल ने गुरुवार को भविष्य की मोबिलिटी (न्यू मोबिलिटी) पर अपना विजन सामने रखा – इलेक्ट्रिक स्कूटर, कार से लेकर ड्रोन और फ्लाइंग कार। भारत में महज 2 फीसदी लोगों (3 करोड़) के पास चार पहिया वाहन है और सिर्फ 12 फीसदी यानी 16 करोड़ लोगों के पास दोपहिया। इसका मतलब यह है कि भारत के 100 करोड़ से ज्यादा लोग इस सिस्टम की मोबिलिटी यानी परिवहन के साधन का इस्तेमाल करते हैं। भाविश अग्रवाल ने कंपनी के ब्लॉग में ये बातें लिखी है।
न्यू मोबिलिटी सहजता से ऐसे साधन मुहैया कराकर इसे दुरुस्त कर रही है। ऐसे में साझेदारी वाले व व्यक्तिगत मोबिलिटी की भारत में काफी बढ़ोतरी होगी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों का अहम योगदान होगा।
अग्रवाल ने कहा कि सॉफ्टबैक समर्थित ओला नया मोबिलिटी इकोसिस्टम बना रही है, जिसके केंद्र में ग्राहक हैं। नई व्यवस्था के तीन स्तंभों में न्यू मोबिलिटी सर्विसेज, एनर्जी व्हीकल्स और ऑटो रिटेल शामिल होंगे। एकीकृत ओला न्यू मोबिलिटी प्लेटफॉर्म के हिस्से के तौर पर ये तीनों स्तंत्र एक दूसरे के प्रभाव बढ़ाएंगे।
आज ओला टैक्सी, ऑटो रिक्शा, दोपहिया आदि के जरिये 10 करोड़ लोगों को परिवहन का साधन मुहैया करा रही है। लेकिन यह भारत की महज 7 फीसदी आबादी है। अग्रवाल ने कहा, हम ओला ईवी के जरिये 130 करोड़ लोगों के लिए मल्टी मॉडल मोबिलिटी लेकर आएंगे।
अग्रवाल ने कहा, परिचालन के लिहाज से इलेक्ट्रिक वाहन 80 फीसदी तक सस्ते हैं, ऐसे में ये सेवाएं जेब के लिहाज से और हर किसी के पहुंच में होंगी।
कंपनी ओला की सेवा वाले 150 शहरों में अपने मल्टी मॉडल को तेजी से अपनाते हुए देख रही है। चूंकि फर्म 500 शहरों तक विस्तार कर रही है और साझे वाली सेवाएं 50 करोड़ लोगों तक ले जाएगी, ऐसे में मल्टी मॉडल पेशकश में काफी इजाफा होगा।
अग्रवाल ने कहा, भारत में 40 फीसदी वायु प्रदूषण वाहनों से फैलता है। ऐसा तब है जब आज सिर्फ 15 फीसदी भारतीयों के पास वाहन है। यह संख्या काफी बढ़ेगी क्यों कि फर्म साझा व व्यक्तिगत मोबिलिटी के और सस्ते विकल्प मुहैया करा रही है। ऐसे में हम इसे ईवी के जरिये अंजाम देंगे।
दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया फैक्टरी के जरिये कंपनी पहले ही इस मामले में आगे बढ़ चुकी है। वह कंपनी के स्कूटरों की पहली रेंज ओला एस-1 बना रही है। अग्रवाल ने कहा, आगामी तिमाहियों में हम अपने ईवी रेंज का विस्तार और स्कूटरों, बाइक्स व कारों के जरिए करेंगे।
