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ऑटो कंपनियों को भायीं पहाड़ी वादियां

Last Updated- December 07, 2022 | 4:04 PM IST

उत्तराखंड में राज्य सरकार की ओर से दी जा रहीं कर रियायतें ऑटो कंपनियों को खासी भा रही हैं। इसीलिए तो वे देश के दूसरे हिस्सों से अपनी उत्पादन इकाइयों को हटा कर राज्य में लगा रही हैं।


दरअसल, कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से ऑटो कंपनियों पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है और ऐसे में वे किसी तरीके से अपने लागत मूल्य को कम करने में लगी हुई हैं। जहां दूसरे राज्यों में 14 फीसदी का उत्पाद शुल्क वसूला जाता है वहीं उत्तराखंड में उत्पाद शुल्क में 100 फीसदी की छूट दी जा रही है।

पहले पांच साल के लिए आयकर में भी 100 फीसदी की छूट दी जा रही है और साथ ही पांच साल के लिए केवल 1 फीसदी की दर पर केंद्रीय ब्रिकी कर वसूला जा रहा है। जबकि, दूसरे राज्यों में यह दर 2 फीसदी है। यही वजह है कि हीरो होंडा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और बजाज ऑटो जैसी कंपनियां या तो अपने मौजूदा उत्पादन संयंत्रों को उत्तराखंड ले जा रही हैं या फिर अगर पहले से ही राज्य में उनके उत्पादन संयंत्र हैं तो कंपनियां उन इकाइयों में उत्पादन बढ़ाने में जुटी हुई हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो होंडा का कहना है कि हरिद्वार स्थित इकाई में उत्पादन बढ़ाने से कंपनी 10 फीसदी से अधिक का कर बचा सकेगी। वहीं कंपनी गुड़गांव और धारूहेड़ा स्थित अपनी इकाइयों से उत्पादन को कम करने जा रही है। इस तरह पहले जहां किसी उत्पाद पर 31.5 से 32 फीसदी के करीब कर लगता था वहीं अब इस पर 22 फीसदी की दर से कर वसूला जाएगा।

हीरो होंडा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य वित्तीय अधिकारी रवि सूद कहते हैं, ‘हम हरिद्वार स्थित संयंत्र से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहेंगे जहां इस साल अप्रैल में परिचालन शुरू किया गया था। हम दूसरी दो इकाइयों से उत्पादन को कम करने का मन बना रहे हैं। फिलहाल हरिद्वार से हर दिन 1,100 इकाइयों का उत्पादन हो रहा है जिसे बढ़ाकर 2,000 इकाई प्रतिदिन करने की योजना है।’

वहीं राजस्व के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स एस मिनी ट्रक बनाने वाली पुणे स्थित इकाई को वहां से हटाकर उत्तराखंड के पंतनगर इकाई में स्थानांतरित करने जा रही है। पुणे स्थित मौजूदा इकाई को वहां से हटाने से कंपनी की पांच एकड़ जमीन खाली हो जाएगी जहां सुमो, सफारी और इंडिका का उत्पादन किया जा सकेगा।

टाटा मोटर्स के पंत नगर संयंत्र से सालाना 2.5 लाख एस का उत्पादन किया जा सकता है जबकि, पुणे स्थित संयंत्र की क्षमता सालाना महज 60,000 इकाइयों के उत्पादन की है। उत्तराखंड में पहले विभिन्न कंपनियों ने उत्पादन इकाइयों को इस वजह से तैयार किया था ताकि उत्पादन खर्च को कम किया जा सके और इसका फायदा उपभोक्ताओं को मिल सके, पर अब कंपनियों के लिए इन संयंत्रों की ओर रुख करने की एक बड़ी वजह लागत मूल्य में बढ़ोतरी से निपटना है।

टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रवि कांत ने कंपनी की पहली तिमाही के नतीजे जारी करते हुए कहा, ‘हमें अपने घटते मार्जिन को सुधारना है।’ कंपनी का इस तिमाही में कुल मुनाफा 30 फीसदी घटा है। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या कंपनी उत्पाद शुल्क में छूट का फायदा उपभोक्ताओं को मुहैया कराएगी।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने 2005 में 70 करोड़ रुपये के निवेश से तीन पहिया वाहनों के निर्माण के लिए हरिद्वार में एक संयंत्र की स्थापना की थी। अब कंपनी बाजार की मांग को देखते हुए इस संयंत्र की मौजूदा उत्पादन क्षमता को 35,000 इकाई से बढ़ाकर 1 लाख इकाई करने जा रही है।

अशोक लीलैंड के मुख्य वित्तीय अधिकारी के श्रीधरन कहते हैं, ‘उत्पादन शुल्क में छूट और दूसरी वित्तीय सुविधाओं से आकर्षित होकर ऑटो कंपनियां अपनी उत्पादन इकाइयों को हटाकर उत्तराखंड में लगा रही हैं। उत्पाद शुल्क में 14 फीसदी की रियायत से कंपनियां 10 फीसदी बचा सकेंगी।’ अशोक लीलैंड 2,000 करोड़ रुपये के निवेश से कमर्शियल वाहनों के निर्माण के लिए एक इंटीग्रेटेड प्लांट का निर्माण कर रही है। इस प्लांट में 2010 में उत्पादन शुरू किया जाएगा।

उत्तराखंड में उत्पाद शुल्क में 100 फीसदी की छूट
ऑटो कंपनियां संयंत्र उत्तराखंड में कर रही शिफ्ट

First Published - August 9, 2008 | 12:38 AM IST

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