ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किए गए टीके का क्लीनिकल परीक्षण ब्रिटेन में तब स्वेच्छा से रोक दिया जब इस टीके के संदिग्ध प्रतिकूल दुष्प्रभाव की जानकारी मिली। हालांकि परीक्षण प्रक्रिया में शामिल भारतीय इकाई ने यह प्रक्रिया जारी रखी है। आइए, जानें कि टीके का परीक्षण कब रोक दिया जाता है?
ब्रिटेन में कोविशील्ड का परीक्षण क्यों रुका?
कोविशील्ड परीक्षण की ब्रिटेन की इकाई ने गंभीर बीमारी की जानकारी देते हुए बताया कि जिस व्यक्ति पर यह परीक्षण हो रहा था उसे अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ गई थी। हालांकि इसका कोई ब्योरा नहीं दिया गया। ऐसे में इस बात की संभावना है कि टीका लगाए जाने की वजह से प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण परीक्षण में शामिल व्यक्ति को बीमार होने का अनुभव हो सकता है।
टीके के क्लीनिकल परीक्षण की सामान्य प्रक्रिया क्या है?
एक टीके की जांच के लिए क्लीनिकल परीक्षण कुछ चरण हैं। सबसे पहले इसका परीक्षण छोटे और बड़े दोनों तरह के जानवरों पर किया जाता है और इसे पूर्व क्लीनिकल परीक्षण कहा जाता है। जांचकर्ता आमतौर पर प्रतिरोधक तंत्र की प्रतिक्रिया और टीके के सुरक्षित होने की जांच करते हैं। ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका टीके के मामले में बंदरों पर परीक्षण किया गया था। मानव परीक्षण का पहला चरण शुरू होते हैं उन लोगों को टीका दिया जाता है जो सहमति जताते हुए स्वेच्छा से टीका लेना चाहते हैं। इसके जरिये फिर मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभावों की जांच की जाती है। दो तरह के प्रतिकूल प्रभाव होते हैं मसलन कि मानव शरीर के किसी भी ऊतकों (लक्षणों या रक्त में जैव रासायनिक मापदंडों द्वारा देखा जाए) पर कोई विषाक्त प्रभाव दिखे या यह देखा जाता है कि क्या कोई प्रतिकूल प्रतिरोधक प्रतिक्रियाएं दिख रही हैं।
क्लीनिकल परीक्षणों का पहला चरण आमतौर पर एक छोटे समूह ( कुछ दर्जन) पर आजमाया जाता है। शोधकर्ता इस बात की जांच करते हैं कि टीका सुरक्षित है या नहीं, जिसका अर्थ है कि यह मानव शरीर में किसी भी हानिकारक दुष्प्रभाव को बढ़ावा देता है या नहीं। परीक्षण का दूसरा चरण आमतौर पर कुछ सौ प्रतिभागियों के जरिये पूरा किया जाता है और इसमें ज्यादातर यह जांच की जाती है कि यह टीका शरीर में पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता है या नहीं। कई हजार प्रतिभागियों का तीसरा चरण सबसे व्यापक और ज्यादा वक्त लेने वाला है। तीसरे चरण के परीक्षण उन लोगों को शामिल किया जाता है जिन्हें पहले से कोई बीमारी या कमजोरी है। उनका सार्स-सीओवी-2 संक्रमण की आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव होनी जरूरी है। तीसरे चरण में कुछ प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं असामान्य नहीं हैं। प्रत्येक चरण के बाद डेटा का मिलान किया जाता है और इसे एक आचार समिति के सामने रखा जाता है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। एक बार जब समिति आंकड़ों से संतुष्ट हो जाती है तब यह अगले चरण में आगे बढऩे के लिए हरी झंडी देती है। प्रत्येक क्लीनिकल परीक्षण स्थल पर एक आचार समिति होती है।
क्या टीके का परीक्षण आखिरी चरण में छोड़ दिए गए हैं?
अधिकांश एचआईवी टीके का परीक्षण सफल नहीं हुआ है। जीएसके का एमएजी-ए3 टीका असर न दिखाने की कमी के कारण छोड़ दिया गया था। टाकीदा फार्मास्युटिकल के डेंगू का टीका परीक्षण के आखिरी चरण में वायरस के चार प्रकार में से एक के खिलाफ सुरक्षा देने में विफल रहा। सनोफी के डेंगू टीका डेंगवैक्सिया को इसका इलाज करने के लिए 2015 के आखिर में मंजूरी दी गई थी लेकिन यह टीका फिलीपींस में पेश किए जाने के बाद विवादों में फंस गया था। यह वास्तव में उन लोगों में भी डेंगू का खतरा बढ़ाने लगा जो इस बीमारी से पहले ग्रस्त नहीं हुए थे।
कोविशील्ड का परीक्षण कब फिर से शुरू किया जा सकता है?
टीके के परीक्षण की दोबारा शुरुआत ब्रिटेन के मेडिकल नियामक एमएचआरए पर निर्भर करेगा। एक बार जब यह स्थिति की समीक्षा करेगा और स्वेच्छा से परीक्षण से जुड़े व्यक्ति की अस्पष्ट बीमारी के कारण का विश्लेषण करेगा और वह आश्वस्त हो जाएगा कि टीका लगाना सुरक्षित है तब परीक्षण फिर से शुरू किया जा सकता है।
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