एक  बार इस्तेमाल के बाद खुद नाकाम हो जाने वाले ऑटो-डिसेबल (एडी) सिरिंज की  आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियां निजी अस्पतालों में कोविड टीकाकरण अभियान की  सफलता पर सवालिया निशान लगा सकती हैं। कोविड-19 टीकाकरण के दूसरे चरण में  निजी अस्पतालों को भी मंजूरी देने के बाद एडी सिरिंज के लिए मांग काफी बढऩे  की उम्मीद है। दरअसल टीके लगाए जाने की मांग बढ़ता देख निजी अस्पतालों के  लिए एडी सिरिंज की उपलब्धता सुनिश्चित कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
इस  चरण में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45  साल से अधिक उम्र के लोगों को कोविड टीका लगाया जाना है। इसके लिए सरकार ने  सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के चुने हुए  अस्पतालों को भी कोविड का टीका लगाने की मंजूरी दी है।
एडी  0.5 मिली के सिरिंज इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि वे शीशी में से 0.5  मिलीलीटर से अधिक दवा खींच ही नहीं सकते हैं। टीकाकरण में लगाए जाने वाले  कर्मचारियों को एडी सिरिंज के साथ ही प्रशिक्षित किया गया है। निजी अस्पताल  इसी वजह से एडी सिरिंज की उपलब्धता पर ही जोर दे रहे हैं।
एएमआरआई  ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के समूह मुख्य कार्याधिकारी एवं निदेशक रूपक बरुआ  कहते हैं, ‘इस दवा के टीका होने से टीकाकरण संबंधी प्रक्रिया एकदम दुरुस्त  होनी चाहिए। दवा लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सिरिंज खास तौर पर डिजाइन  की गई है जिसमें ऐसी लॉकिंग व्यवस्था है कि टीके में से 0.5 मिलीलीटर से  अधिक खुराक निकाली ही नहीं जा सकती है। गिने-चुने विनिर्माता यह सिरिंज  मुहैया करा रहे हैं और वे सिर्फ सरकार को यह सिरिंज बेच रहे हैं। लिहाजा  निजी अस्पतालों के पास ऑटो-डिसेबल सिरिंज की किल्लत है।’
अभी तक निजी अस्पतालों को इस सिरिंज की आपूर्ति सरकार ही कर रही थी लेकिन अब सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।
बरुआ  कहते हैं, ‘एक दिन पहले ही हमें बताया गया है कि सरकार अब एडी सिरिंज की  आपूर्ति नहीं कर पाएगी और हमें उसे बाजार से खरीदना होगा। हम बाजार से यह  सिरिंज खरीदने की कोशिश भी कर रहे हैं लेकिन उसकी उपलब्धता ही बहुत कम है।  अगर हालात नहीं सुधरते हैं तो फिर टीकाकरण की दर में गिरावट आएगी। हमारे  पास 1-2 दिनों का ही स्टॉक मौजूद है और हम बाजार में उपलब्ध सिरिंज खरीदने  की कोशिश में लगे हैं।’
आम  तौर पर एडी सिरिंज का इस्तेमाल भारत सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में  करती है और निजी क्षेत्र में टीके के लिए अमूमन डिस्पोजबल सिरिंज का  इस्तेमाल होता है।
उद्योग जगत  के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय की राय यह है कि निजी अस्पताल कोविड-19 के  टीके लगाने में डिस्पोजबल सिरिंज का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ राज्य  सरकारें निजी अस्पतालों के भुगतान के लिए तैयार होने पर एडी सिरिंज की  आपूर्ति करने पर सहमत नजर आई हैं। मसलन, मुंबई में अस्पताल नगर निकायों से  सिरिंज खरीदने के बारे में स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं।
मुंबई  के हिंदुजा अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉय चक्रवर्ती ने कहा कि खास  तरह के इस सिरिंज की आसान उपलब्धता नहीं होने पर नगर निकाय के महामारी रोग  प्रकोष्ठ से दिशानिर्देशों का इंतजार करेंगे।मणिपाल ग्रुप जैसे कुछ  अस्पताल समूहों ने कोविड-19 टीकाकरण में ट्यूबरक्यूलिन सिरिंज का इस्तेमाल  करने का फैसला किया है। यह सिरिंज भी एक तय मात्रा की खुराक ही खींचने का  काम करती है। अस्पताल इसका बोझ खुद ही उठा रहा है। अब सवाल उठता है कि  अचानक तेजी कैसे आ गई? भारत सरकार ने हिंदुस्तान सिंरिंजेस ऐंड मेडिकल  डिवाइसेस (एचएमडी) सहित दूसरी कंपनियों को एडी सिरिंजों के बड़े ऑर्डर दिए  हैं। सरकार ने पहले 23 करोड़ सिरिंजों के ऑर्डर दिए थे, जो अप्रैल तक मिलने  थे। अब सरकार ने 35 करोड़ सिरिंज तैयार करने के लिए कहा है। इनकी आपूर्ति  सितंबर तक होगी। अव्वल बात यह कि यूनिसेफ जैसी दुनिया की गैर-लाभकारी  संस्थाएं भी कोविड-19 और सामान्य टीकाकरण अभियानों के लिए सिरिंजों का  ऑर्डर दे रही हैं।  सिरिंज विनिर्माताओं कंपनियों द्वारा सरकार को सौंपे  दस्तावेज के अनुसार भारत में सालाना 1.08 अरब 0.5 मिलीलीटर एडी सिरिंज  बनाने की क्षमता है।
एचएमडी  (72 करोड़), इस्कॉन सर्जिकल्स (18 करोड़) और बेक्टॉन डिकिंसन (18 करोड़) ये  टीके बनाती हैं। ये तीनों कंपनियां अपनी सालाना क्षमता बढ़ाकर 2021 के  मध्य तक 1.42 अरब करना चाहती हैं।एचएमडी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक  राजीव नाथ ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपनी क्षमता बढ़ाकर 80 करोड़ कर ली  है और जून तिमाही तक इसे बढ़ाकर 1.2 अरब सिरिंज तक करना चाहती है। कंपनी  अप्रैल तक सरकार को 17.7 करोड़ सिरिंजों की आपूर्ति करेगी और सितंबर अंत तक  अतिरिक्त 26.5 करोड़ सिरिंज देगी। नाथ ने कहा, ‘हमें यूनिसेफ ने भी करीब  42.5 करोड़ एडी सिरिंज तैयार करने के ऑर्डर दिए हैं। इनमें करीब 16 करोड़  सिरिंज सामान्य टीकाकरण के लिए इस्तेमाल होंगे, जबकि शेष कोविड-19 के लिए  उपयोग किए जाएंगे।’ एचएमडी ने यूनिसेफ को पहले ही 14 करोड़ टीकों की  आपूर्ति कर चुकी है। एचएमडी सिरिंज उत्पादन का आधा हिस्सा भारत और शेष  वैश्विक स्तर पर जरूरतों केलिए देने की योजना तैयार की थी। अब नाथ का कहना  है कि कम से कम सितंबर तक वह दो तिहाई हिस्सा भारत सरकार को देगी।