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‘एकसमान जनसंख्या नीति बने’

Last Updated- December 11, 2022 | 2:03 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि देश में सभी समुदायों के लिए एकसमान जनसंख्या नीति बननी चाहिए। इस नई जनसंख्या नीति में किसी भी समुदाय को किसी भी तरह से छूट नहीं मिलनी चाहिए।  
हमें अपने देश की महिलाओं की रचनात्मक शक्ति को जगाकर उनकी आजादी और समानता को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस नई जनसंख्या नीति का उद्देश्य समाज के किसी भी धार्मिक समुदाय के प्रति भय पैदा करना नहीं होना चाहिए। हमें अपने देश के अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुस्लिम से इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखनी चाहिए।
भागवत ने नागपुर स्थित मुख्यालय में संगठन के वार्षिक विजयादशमी उत्सव के अवसर  पर संघ के कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इस कार्यक्रम में पर्वतारोही संतोष यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।
संघ प्रमुख ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब कोई महिला संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में  पधारी हैं। इसके पहले भी संघ ने राजकुमारी अमृता कौर सहित कई अन्य महिलाओं को अपने कार्यक्रम में अतिथि के रूप में बुलाया था।
महिलाओं का सशक्तीकरण किए बिना देश विश्व में वह स्थान कभी नहीं पा सकता जिसका वह हकदार है। उन्होंने अन्य कई मुद्दों पर बात की जो देश को पीछे घसीट रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को आगे बढ़ने के लिए अस्पृश्यता, अंधविश्वास और हठधर्मिता को दूर करना होगा। भारत सभी भारतीयों के लिए है। यहां सभी नागरिकों से एकसमान व्यवहार होना चाहिए और भारत से  छुआछूत को पूरी तरह जड़ से मिटा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनसंख्या संसाधनों की मांग करती है। यदि संसाधनों के निर्माण किए बिना जनसंख्या बढ़ती रही तो यह देश के लिए भार साबित होगी। वहीं अगर योजना के साथ इस पर कार्य किया जाए तो यह देश के लिए मानव पूंजी बन सकती है। नई जनसंख्या नीति बनाते समय हमें इन दोनों पहलुओं को अपने विचार में रखना होगा।
लेकिन उन्होंने अपनी बात बढ़ाते हुए  कहा कि धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन से इनकार नहीं किया जा सकता है। जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं में बदलाव का कारण बनती है। जन्मदर और मृत्युदर में अंतर के अलावा जनसंख्या असंतुलन में धर्मांतरण बड़ा कारक है। यह धर्मांतरण भय या लालच के कारण किया जाता है।  जनसंख्या असंतुलन देश टूटने का कारण बनता है। उन्होंने जनसंख्या असंतुलन के कारण नए बने देशों पूर्वी तिमोर, कोसोवो और दक्षिण सूडान का उदाहरण देते हुए ये बातें कहीं।
देश में अल्पसंख्यकों की चिताओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों के बीच यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि संघ की वजह से अल्पसंख्यकों को खतरा है। यह हिंदुओं और संघ की विचारधारा के विपरीत है। संघ भाईचारा, मेल-जोल या एकता और शांति में विश्वास करता है।
उन्होंने कहा कि अमरावती और उदयपुर में हिंदुओं के सिर काटने जैसी घटनाओं की सभी को निंदा करनी चाहिए, जोकि भारतीय जनता पार्टी की एक नेता के द्वारा पैंगबर मोहम्मद साहब पर की गई एक टिप्पणी के जवाब में की गई थीं। मुस्लिम समुदाय के दक्षिणपंथी विचारधारा के नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की थी।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं को भी संविधान और कानून की सीमाओं को नहीं लांघना चाहिए। देश के संविधान और कानून का पूरी निष्ठा से पालन करना चाहिए। 
संघ प्रमुख ने भारत द्वारा श्रीलंका की सहायता की सराहना की और इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत सरकार की तटस्थता  और शांति की अपील को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह संतोष का विषय है कि आज दुनिया भारत को सुन रही हैं। उन्होंने कोरोना की परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार की नीतियों की सराहना की।
इसके अलावा कोविड-19 के मामलों में कमी आने तक  लोगों की आजीविका प्रदान करने में भी सरकार के प्रयासों की सराहना की। 
भागवत ने कहा कि नौकरी देना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। वह यह नहीं कह रहे कि सरकार को रोजगार देने से पूरी तरह पीछे हट जाना चाहिए। लेकिन हमारे जैसे संगठन समेत समाज को भी रोजगार सृजन के लिए आगे आना चाहिए। हमने देश के 275 जिलों में छोटे उद्योग शुरू करके लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान किए हैं।
अभी हम आगे भी इस पर कार्य करते रहेंगे। समाज के सभी लोगों को ऐसे कार्यों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 के समय को याद दिलाते हुए कहा कि उस समय देश में शहरों से गांवों की ओर भारी प्रवास देखा गया लेकिन संघ ने रोजगार सृजन में देश की मदद की। 
संघ प्रमुख ने मातृभाषा के महत्त्व के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने हिंदी का नाम लिए बगैर मातृभाषा में शिक्षा  को बढ़ावा  देने वाली वाली नई शिक्षा नीति (एनईपी) के बारे में सहमतिपूर्वक बात की। उन्होंने कहा कि हम भी यह मानते हैं कि करियर में आगे बढ़ने के लिए अंग्रेजी जरूरी है। इसलिए हम अपने बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा दिलाते हैं। लेकिन हममें से कितने ऐसे  लोग है जो अपनी मातृभाषा को महत्त्व देते हैं?
 संघ प्रमुख ने सभी भारतीयों से ऐसी शक्तियों से सावधान रहने को कहा है जो भारत को पीछे ले जाना चाहती है। कुछ ऐसे भी लोग है जो आपके पास हमारे समर्थक बन कर आएंगे और समाज में अराजकता और कानून के शासन के प्रति असंतोष फैलाने का कार्य करेंगे। ऐसे लोगों से सावधान रहिए। हम ऐसे लोगों के खिलाफ  प्रशासन और देश के साथ खड़ा होना चाहिए। 

First Published - October 5, 2022 | 10:40 PM IST

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