facebookmetapixel
Ramesh Damani की एंट्री से इस शेयर ने भरी उड़ान, 2 दिन में 10% उछला; 3 साल में 330% रिटर्नGold silver price today: चांदी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, भाव 2.50 लाख पार; जानें सोने के रेटStocks to Buy: चार्ट पैटर्न में दिखी मजबूती, ये 3 शेयर दिला सकते हैं 15% तक रिटर्न; जानिए एनालिस्ट की रायStock Market Update: सपाट शुरुआत के बाद बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 200 अंक टूटा; निफ्टी 26 हजार के नीचे फिसलाAI इम्पैक्ट समिट में भारत के नवाचार से होंगे दुनिया रूबरूअदाणी का रक्षा क्षेत्र में 1.8 लाख करोड़ रुपये का बड़ा निवेशRolls-Royce भारत में करेगा बड़ा निवेश, नई पीढ़ी के एरो इंजन पर फोकससऊदी अरब के ताइफ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट की रेस में जीएमआर और टेमासेक आगेStocks To Watch Today: Coforge, Vedanta से लेकर PNB तक हलचल, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरAI की एंट्री से IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव, मेगा आउटसोर्सिंग सौदों की जगह छोटे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट

सब्सिडी योजनाओं में बरबादी पर कड़ा रुख

Last Updated- December 11, 2022 | 7:00 PM IST

वित्त मंत्रालय ने सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाएं लागू करने वाले मंत्रालयों व इकाइयों से फिजूलखर्ची में तेजी से कटौती करने को कहा है।  इस समय चल रही भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण सरकार को खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर बजट अनुमान से ज्यादा बोझ वहन करना पड़ रहा है।
खाद्य सब्सिडी के मोर्चे पर भारतीय खाद्य निगम और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग से कहा गया है कि मूल्य शृंखला में अकुशलता को दूर किया जाए। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘खरीद और निर्गम लागत में कोई कमी नहीं होगी। संबंधित विभागों से कहा गया है कि अगर भंडारण, लॉजिस्टिक्स, ढुलाई और विलंब शुल्क में कोई फिजूलखर्ची हो रही है तो उसे खत्म किया जाना चाहिए।’  
उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि उल्लेखनीय बचत की जा सकती है।’
इसी तरह से पीएम-किसान और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर संबंधित मंत्रालयों से कहा गया है कि दिखावटी लाभार्थियों व फर्जी खातों आदि को चिह्नित करने के काम में तेजी लाई जाए। केंद्रीय नीति निर्माता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कोविड-19 महामारी के पहले लाभार्थियों की संख्या करीब 5 करोड़ थी, जो आर्थिक मंदी के कारण 7 करोड़ के करीब हो गई। लेकिन अभी यह आंकड़े महामारी के पहले के स्तर पर नहीं आए।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘इसकी खामियों को दूर किया जाना चाहिए। विभागों को कहा गया है कि वे आकांक्षी जिलों का खाका तैयार करें और तुलनात्मक रूप से विकसित जिलों से तुलना करें। अगर किसी राज्य में विकसित जिलों में आकांक्षी जिलों की तुलना में ज्यादा लाभार्थी हैं, तो इसका मतलब यह है कि कल्याणकारी योजनाओं में फर्जी लाभार्थी घुसे हुए हैं।’
इसके अलावा वित्त मंत्रालय पीएम-किसान जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का करदाताओं के आंकड़ों से भी मिलान करने की योजना बना रहा है। अधिकारियों ने कहा कि यह कवायद फर्जी खातों औऱ लाभार्थियों को अलग करने को लेकर है, जिसके लिए राज्य सरकारों की मदद की जरूरत होगी।
केंद्र सरकार ने राज्यों को पहले ही परामर्श जारी कर दिया है कि वे अपात्र किसानों को पीएम-किसान योजना से अलग करें। खासकर ऐसे मामलों को चिह्नित किया जाए, जिसमें परिवार के एक या एक से ज्यादा सदस्य करदाता हैं।
जैसा कि पहले खबर दी गई थी, केंद्र का उर्वरक सब्सिडी पर खर्च बढ़कर 2.1 से 2.3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है, क्योंकि जिंसों व तेल के दाम में यूक्रेन युद्ध के कारण तेजी आई है। इस साल उर्वरक सब्सिडी का खर्च अब तक का सर्वाधिक हो सकता है। वित्त वर्ष 23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी खर्च का अनुमान लगाया गया था।
इसके साथ ही मोदी सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को सितंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे खाद्य सब्सिडी पर वित्त वर्ष 23 के लिए आवंटन बढ़कर 2.87 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि सरकार ने बजट में 2.07 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया था। अधिकारियों ने साफ किया कि 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय करने की केंद्र की योजना में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसे में यह जरूरी है कि फिजूलखर्ची कम करके व्यय घटाया जाए।
इसके लिए तमाम कदम उठाए गए हैं। केंद्रीय पूल में खरीद के लिए सभी किसानों का पंजीकरण अनिवार्य रूप से जोड़ा गया है, जिससे एमएसपी असल किसानों तक पहुंच सके।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह से आगे आकर गेहूं की बिक्री करने वाले किसानों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।
सरकार धान खरीद योजना में लीकेज के मामले में ज्यादा चिंतित नजर आ रही है। इसमें खामी दूर करने के लिए धान की खरीद को जिले में औसत पैदावार से जोड़ा जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि केवल असल किसान एमएसपी पर धान की बिक्री करें और बिचौलियों व कारोबारियों को इस व्यवस्था में न घुसने दिया जाए। कुछ राज्यों में लागू इस नियम को अब देश भर में लागू कर दिया गया है।
राज्य खरीद पोर्टलों पर भूमि रिकॉर्ड अपलोड करना भी अनिवार्य कर दिया गया है और अब इसे केंद्र के आंकड़ों से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा हर राज्य के पोर्टल को धीरे-धीरे केंद्रीकृत व्यवस्था से जोड़ा जाएगा, जिससे केंद्र सरकार खरीदे गए अनाज की मात्रा और धन हस्तांतरण की निगरानी कर सकेगी।

First Published - May 16, 2022 | 12:35 AM IST

संबंधित पोस्ट