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जागरूकता में आयुष चिह्न की सफलता : उद्योग

Last Updated- December 11, 2022 | 7:41 PM IST

देश में निर्मित गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए आयुष चिह्न होने के कदम का हालांकि देश के आयुष उद्योग ने स्वागत किया, लेकिन कुछ लोगों ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग का निर्धारण करने में यह बात महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी कि वैश्विक एजेंसियां ​​​​आयुष चिह्न को किस प्रकार मान्यता देती हैं और स्वीकार करती हैं। ‘आयुष’ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को दर्शाता है। वैश्विक आयुष निवेश और नवोन्मेष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत जल्द ही आयुष चिह्न की शुरुआत करेगा, जो देश के गुणवत्ता वाले आयुष उत्पादों को प्रामाणिकता प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने बुधवार को कहा था कि यह चिह्न नवीनतम तकनीक का उपयोग करते हुए पुनरीक्षित उत्पादों को दिया जाएगा। इससे दुनिया के लोगों को इस बात का भरोसा होगा कि वे गुणवत्ता वाले आयुष उत्पाद खरीद रहे हैं।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ​​ने कहा कि आयुष चिह्न की शुरुआत से आयुर्वेद के संबंध में अधिक जागरूकता पैदा करने और वैश्विक बाजार में इसकी स्वीकार्यता में सुधार करने में काफी मदद मिलेगी।
मल्होत्रा ने कहा ‘कोविड-19 के बाद दुनिया में आयुर्वेद और आयुर्वेदिक उत्पादों को उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने वाले गुणों के लिए पहचाना जा रहा है। सरकार भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने और बीमारियों से लडऩे के लिए च्यवनप्राश तथा काढ़ा जैसी आयुर्वेदिक दवाओं के उपयोग कासमर्थन करने वाले दिशानिर्देश जारी करती रही है। मल्होत्रा ​​​​ने कहा कि आयुर्वेद के इस्तेमाल और फायदों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को योग को बढ़ावा देने के लिए की गई पहल के अनुरूप ही बड़े स्तर वाले प्रचारात्मक प्रयास करने चाहिए। उन्हें लगता है कि इससे आयुर्वेद को काफी लोकप्रियता मिलेगी और इसे मुख्य धारा बनने में मदद मिलेगी।
सीधे उपभोक्ता तक पहुंचने वाले आयुर्वेदिक पोषण ब्रांड कपिवा सह-संस्थापक और बैद्यनाथ समूह के अध्यक्ष ए. शर्मा ने बताया कि कई कंपनियां विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ‘अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) के मानकों का पालन करने वाले गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का उत्पादन करने के लिए नवीनतम तकनीक में निवेश कर रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि आयुष चिह्न होने से इस बड़े स्तर पर असंगठित उद्योग में काफी जरूरी विनियमन आएगा। मुझे उम्मीद है कि कंपनियां इस ओर कदम बढ़ाएंगी तथा संयंत्रों और मशीनरी में निवेश करेंगी। सरकार के अलावा उद्योग को भी उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने के लिए अपने उत्पादों में आयुष चिह्न को बढ़ावा देने की जरूरत है।
डाबर के मल्होत्रा ​​ने कहा कि वे आयुर्वेद के आधुनिकीकरण और समकालीन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं तथा उपयोग के लिए तैयार प्रारूपों में उत्पाद पेश कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों ने महसूस किया कि वैश्विक स्तर पर मांग इस बात पर निर्भर करेगी कि वे इस मान्यता के संबंध में जागरूकता पैदा करने में कितने सक्षम हैं। निशीथ देसाई एसोसिएट्स की लीडर (आईपी प्रैक्टिस) अपर्णा गौड़ ने कहा कि कुछ जांच के बाद उत्पादों को आयुष चिह्न दिया जाएगा, लेकिन दुनिया भर में मांग की कुंजी इस बात में होगी कि हम जागरूकता पैदा करने में कितनी अच्छी तरह से सक्षम हैं।

First Published - April 21, 2022 | 11:40 PM IST

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