रोजमर्रा के सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली भारतीय कंपनियों को अब यह एहसास होने लगा है कि खर्च करने पर सोचने नहीं वाले बुजुर्ग अब खास उत्पादों पर अधिक खर्च करने के लिए भी तैयार रहते हैं। इसलिए अब वे उनकी जरूरतों के मुताबिक खाद्य पदार्थ और स्किन केयर (त्वचा देखभाल) उत्पादों की श्रृंखला पेश कर रही हैं। उदाहरण के लिए देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) बुजुर्गों के लिए फेस क्रीम और पोषण वाले उत्पाद भी पेश करती है। एक अन्य दूसरी बड़ी कंपनी आईटीसी ने भी 45 साल से अधिक उम्र के उपभोक्ताओं को साधने के लिए उत्पाद पेश किए हैं।
एचयूएल के एक प्रवक्ता ने ईमेल के जवाब में कहा, ‘हमारे पास ऐसे उत्पादों की एक बड़ी श्रृंखला है जो परिपक्व हो रहे लोगों की जरूरतें पूरी करते हैं। उदाहरण के लिए पॉन्ड्स के पास एज मिरेकल (बढ़ती उम्र के लिए स्किन केयर क्रीम) और लैक्मे के पास रिटिमोल एडवांस्ड रिन्यूअल रेंज है। दोनों उत्पाद बुजुर्गों की त्वचा के लिए है।’ प्रवक्ता ने कहा कि हॉर्लिक्स में भी कई तरह की रेंज मौजूद हैं, जिन्हें बढ़ती उम्र के साथ आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है। इनमें स्ट्रेंथ प्लस और डायबिटीज प्लस भी शामिल हैं।
इस साल की शुरुआत में आईटीसी ने राइट शिफ्ट बाजार में उतारा था। कंपनी ने ईमेल के जरिये कहा, ‘यह एक अधिक पोषण वाला भोजन है, जो 45 साल से अधिक उम्र के उन लोगों के लिए है जो अपने खानपान के प्रति समझदारी बरतते हैं।’
इस रेंज के जरिये आईटीसी का बढ़ती उम्र वाली धारणा बदलना चाहती है और उपभोक्ताओं को इस उत्पाद को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहती है। कंपनी ने कहा, ‘हम उम्र की परवाह किए बगैर उन्हें आगे बढ़ने, स्वतंत्र महसूस करने के लिए सक्षम बनाना चाहते हैं।’ इसमें गुड़ ओट्स वाली कुकीज, रोस्टेड स्नैक्स, उपमा मिक्स, बाजरा मसाला ओट्स, मल्टी ग्रेन आटा और कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।
जानकारों का मानना है इसका पूरा श्रेय बढ़ती ई-कॉमर्स, क्विक कॉमर्स और डाइरेक्ट टू कंज्यूमर प्लेटफॉर्म का है, जिससे इस खास क्षेत्र की मांग में तेजी आई है।
ईवाई इंडिया के उपभोक्ता उत्पाद एवं खुदरा के राष्ट्रीय प्रमुख अंशुमान भट्टाचार्य ने कहा, ‘ई-कॉमर्स खासकर ब्यूटी प्लेटफॉर्म और डीटूसी को धन्यवाद देना चाहिए जिससे जरूरत की इतनी छोटी से छोटी चीजें आसानी से मिल जा रही हैं। पारंपरिक कारोबार के जरिये पैमाना बढ़ाना जरूरी नहीं है, लेकिन डीटूसी चैनल, मार्केट प्लेस और क्विक कॉमर्स के जरिये ऐसा किया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि बढ़ती संपन्नता के कारण भी लोग अपनी जरूरतों की इच्छा पूरी कर रहे हैं। बड़ी कंपनियां भी अब यह देख रही हैं कि विशिष्ट और खास उत्पादों के जरिये कैसे अंतर को पाटा जाए क्योंकि अब भारत ही नहीं दुनिया भर के लोग अपनी जरूरतों पर खास ध्यान दे रहे हैं।
भले ही इन खास श्रेणियों को विकसित होने में समय लग सकता है मगर उन्होंने कहा कि कंपनियां आने वाले समय के विस्तार के लिए उन पर दांव लगा रही हैं, जिससे बाजार को छोटी-छोटी श्रेणियों में बांटकर वृद्धि के नए अवसर तैयार किए जा रहे हैं।
दक्षिण एशिया में डेलॉयट के उपभोक्ता उत्पाद और खुदरा क्षेत्र के प्रमुख आनंद रामनाथन ने भी इस बात का उल्लेख किया कि संपन्न परिवार उपभोक्ता क्षेत्र में खपत और प्रीमियमीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। खासकर वैश्विक महामारी के बाद से इसमें और तेजी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि खासकर शहरी भारत के कई संपन्न परिवारों में घर में रहने वाले लोगों की उम्र 45 साल से अधिक है। इसलिए, जैसे-जैसे बाजार परिपक्व होगा और भी अधिक विशिष्ट उत्पाद पेश किए जाएंगे।
हालांकि, उन्होंने यह माना कि भारत का समृद्ध उपभोक्ता आधार बढ़ रहा है और लोगों के पास खर्च करने की क्षमता भी है। वहीं, बेन ऐंड कंपनी इंडिया के पार्टनर रवि स्वरूप ने भी कहा कि बुजुर्ग तबके के लोग ब्रांड के प्रति अधिक चयनात्मक और स्थिर हैं। स्वरूप ने कहा, ‘सबसे अच्छी बात है कि वे डिजिटल तौर पर भी दक्ष हैं। भले ही ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स में उनका खर्च जेन जेड और मिलेनियल्स जैसा नहीं है मगर इसमें भी उनकी बेहतर पैठ है।’
नतीजतन, फार्मास्युटिकल और एफएमसीजी कंपनियां इस क्षेत्र में अवसर की तलाश कर रही हैं। जहां फार्मा कंपनियां इलाज के क्षेत्र को समझ में अव्वल हैं, वहीं एफएमसीजी कंपनियां उपभोक्ताओं के नजरिये और उनकी क्या मांग इसको बखूबी जान रही हैं।