नोटबंदी और कोविड-19 महामारी जैसे तगड़े झटके झेलने के बाद लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) का मजबूत होकर उभरना इस बैंकिंग मॉडल की कामयाबी को दर्शाता है और आने वाले समय में इनके बड़ा बनने की उम्मीद भी बढ़ी है।
बिजऩेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट सम्मेलन के चौथे दिन बुधवार को एसएफबी पर केंद्रित सत्र का यही निहितार्थ रहा। देश के शीर्ष एसएफबी दिग्गजों ने इस सत्र में लघु वित्त बैंकों के भविष्य और कोविड संकट से मिले सबक को लेकर गहन चर्चा की। चर्चा का मुद्दा यह था कि एसएफबी क्या बड़ा रूप अख्तियार कर सकते हैं?
माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क के मुख्य कार्याधिकारी एवं निदेशक आलोक मिश्रा ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए हर साल 25 फीसदी ऋण वृद्धि की दरकार है। लेकिन परंपरागत बैंक अपनी ही विरासत का बोझ उठा रहे हैं। ऐसे में ऋण वृद्धि का बड़ा हिस्सा एसएफबी एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के जरिये अंजाम देना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने भी विश्वास जताया कि भविष्य में एसएफबी बड़ा स्वरूप ग्रहण करने में सफल होंगे लेकिन इसके लिए उन्हें सार्वभौम बैंक के बजाय वित्तीय सेवाएं देने वाले दिग्गज के तौर पर अपना विकास करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
जन स्माल फाइनैंस बैंक प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अजय कंवल ने कहा कि मौजूदा वक्त में एसएफबी के लिए बड़ा होना सबसे अहम चीज नहीं है। कंवल ने कहा, ‘समय के साथ स्वाभाविक तौर पर आकार बड़ा हो जाएगा। हम इस वक्तग्राहक सेवा, शासन एवं डिजिटलीकरण के संदर्भ में बेहतरीन होना चाहते हैं।’
सूर्योदय एसएफबी के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी आर भास्कर बाबू का मानना है कि कोविड महामारी ने असल में एसएफबी क्षेत्र के लचीलेपन का बहुत तगड़ा इम्तिहान लिया है। इस दौरान के वास्तविक तनाव परीक्षणों से यह पता चला कि एसएफबी की अपनी पूंजी ही पर्याप्त है।
उज्जीवन एसएफबी के संस्थापक समित घोष ने भी इस राय से सहमति जताते हुए कहा, ‘महामारी ने हमारे लचीलेपन को साबित भी किया। दशकों पहले लाइसेंस पाने वाले निजी बैंकों की तुलना में अब हम सभी व्यक्तिगत स्तर पर बने हुए हैं। दो संकटों से निकल आना अपने आप में उल्लेखनीय उपलब्धि है।’
इक्विटास एसएफबी के संस्थापक एवं एमडी पीएन वासुदेवन ने कहा कि आरबीआई को एसएफबी के लिए भी मानक अन्य बैंकों की तरह नहीं रखने चाहिए। फिनकेयर एसएफबी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राजीव यादव के मुताबिक, शुरू में ऋण स्थगन को लेकर यह डर था कि इससे एसएफबी प्रभावित होंगे लेकिन बाद में वह ठीक से हो गया।