देश में निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता वर्ष 2021 के लिए योजनाबद्ध देशव्यापी कोविड-19 प्रतिरक्षण अभियान में भाग लेने के लिए तैयार हो रहे हैं।
एक तरफ, सरकार ने अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकायों से बातचीत की है तो वहीं, उद्योग अपनी ओर से टीकाकरण के लिए रोडमैप का मसौदा तैयार कर रहे हैं। उद्योग के सूत्रों के अनुसार सरकार पहले ही उनसे दो टेम्प्लेट में संबंधित डेटा की मांग कर चुकी है जिसमें इस बात का विवरण होगा कि निजी क्षेत्र कितना मानव संसाधन जुटा सकते हैं, इसके लिए कितना सीएसआर फंड जुटाया जा सकता है, प्रत्येक दिन निजी क्षेत्र द्वारा कितना टीकाकरण कराया जा सकता है और वे कौन-कौन से क्षेत्रों को कवर कर सकते हैं। दूसरे टेम्प्लेट में कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स संबंधी डेटा होगा, जैसे निजी क्षेत्र के पास किस तरह की प्रशीतन सुविधाएं हैं, वे किस तरह की भंडारण सुविधाएं दे सकते हैं आदि।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री और हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया जैसे उद्योग निकाय सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जिससे एक बेहतर रोडमैप तैयार किया जा सके।
हिंदुजा अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी एवं भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष (स्वास्थ्य) जॉय चक्रवर्ती ने कहा कि सीआईआई की केंद्रीय समिति ने कोरोना के टीके के प्रशासन के लिए एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसका नेतृत्व सीआईआई के टीवी नरेंद्रन और एम्स, दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘नीति अयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल के नेतृत्व में टीका प्रशासन के राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के साथ एक बातचीत हो चुकी है।’
तो इस अभियान में निजी क्षेत्र की क्या भूमिका हो सकती है?
निजी क्षेत्र की डायग्नोस्टिक कंपनियों को लगता है कि ऐंटीबॉडी परीक्षण एवं टीकाकरण में वे अहम भूमिका निभा सकते हैं। एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के सीईओ आनंद के. ने बताया, ‘एक ही स्थान पर ऐंटीबॉडी परीक्षण और टीकाकरण करना व्यावहारिक विचार है। कोई व्यक्ति पहले ऐंटीबॉडी परीक्षण कराए और अगर उसके शरीर में पहले से ऐंटीबॉडी हैं तो उसे तुरंत टीके की आवश्यकता नहीं है। अगर उसमें ऐंटीबॉडी नहीं पाई जातीं तो उसका टीकाकरण किया जा सकता है। इसी तरह, प्रभावकारी टीकाकरण के आकलन के लिए भी ऐंटीबॉडी परीक्षण की आवश्यकता होगी। डायग्नोस्टिक लैब इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।’ एसआरएल के पास देशभर में 400 से अधिक प्रयोगशालाएं और 1,500 कलेक्शन केंद्र हैं।
निजी डायग्नोस्टिक क्षेत्र के कलेक्शन केंद्र देशभर में फैले हुए हैं। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की प्रवर्तक एवं प्रंबध निदेशक अमीरा शाह ने बताया कि छोटे तथा मझोले शहरों सहित देशभर में उनके 2500 केंद्र (रेफ्रिजरेटर एवं फीलबॉटोमिस्ट से लैस) हैं। उन्होंने कहा, ‘हम देश भर के 210 शहरों में मौजूद हैं। महानगरों तथा प्रमुख शहरों में हमारे अधिकतम 15 केंद्र होंगे, शेष सभी छोटे शहरों में हैं।’
फिक्की (स्वास्थ्य सेवा समिति) के चेयर और मेडिका समूह के अध्यक्ष आलोक रॉय बताते हैं कि भारत में लगभग 45 प्रतिशत डायग्नोस्टिक परीक्षण निजी क्षेत्र द्वारा किए जाते हैं। रॉय ने कहा, ‘अगर सरकार तेजी से टीकाकरण अभियान चाहती है, तो इसे निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से होना चाहिए। निजी क्षेत्र की क्षमताओं को कम करके नहीं आंकना चाहिए।’
जिस तरह अस्पतालों में बुखार क्लीनिक चलाए जाते हैं, उसी तरह टीकाकरण स्थल या क्लीनिक भी चलाए जा सकते हैं। रॉय कहते हैं, ‘हम अब बुखार क्लीनिक चला रहे हैं जहां रोजाना लगभग 200 मरीज आ रहे हैं। अगर हम यही तरीका टीकाकरण के लिए अपनाएं तो हम एक दिन में 400 लोगों को टीका लगा सकते हैं। इस तरह हम एक महीने में 10,000 व्यक्तियों को टीका लगा सकते हैं।’ हालांकि, उद्योग को सरकार से स्पष्ट नीतिगत दिशानिर्देशों का इंतजार है।
इस बीच, निजी उद्योग ने अपने स्तर पर योजना बनानी शुरू कर दी है। फोर्टिस हेल्थकेयर के ग्रुप हेड (मेडिकल स्ट्रेटजीज ऐंड ऑपरेशंस) डॉ. विष्णु पाणिग्रही का कहना है कि निजी संस्थानों ने प्रत्येक अस्पताल में अपनी क्षमता एवं मानव क्षमता को पहचानना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘हमें भंडारण की योजना भी बनानी होगी। एक बार टीम की पहचान होने के बाद टीके से संबंधित विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहला काम हमारे सभी स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण करना होगा। हम अपने सहयोगी अस्पतालों और नर्सिंग होम से भी जुड़ रहे हैं। इस पर और अधिक विस्तार के साथ काम करने की आवश्यकता है।’
उन्हें लगता है कि आमतौर पर प्रत्येक घंटे 6-8 लोगों का टीकाकरण किया जा सकता है।
चेन्नई स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने पहले ही संकेत दिया है कि वह प्रतिदिन एक लाख कोविड-19 टीके और हर साल 30 करोड़ टीकों का प्रबंध करने के लिए तैयार है। समूह की कार्यकारी उपाध्यक्ष शोभना कामिनेनी ने कहा है कि समूह ने देश भर में टीकों को पहुंचाने के लिए कोल्ड चेन एवं अन्य बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए पिछले कुछ समय में 200 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उनका अनुमान है कि भारत में 1.3 अरब खुराक देने की जरूरत है, जिसमें से 30 करोड़ अकेले अपोलो द्वारा दी जा सकती है। टीका लगाने के लिए अपोलो केंद्रों पर लगभग 10,000 अपोलो कर्मचारी तैनात रहेंगे।
