साल 2018 में अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से करीब 12 लाख टीके राज्य के 11 जिलों में भेजे गए और इनकी आपूर्ति की पूरी प्रक्रिया शत प्रतिशत सटीक रही। इसी तरह तेलंगाना में सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना टी-चिट्स की मदद से 800 से ज्यादा चिट फंड योजनाओं की नीलामी में होने वाली हेरफेर से लेकर दूसरी कई तरह की धोखेबाजी को न्यूनतम कर दिया गया है। इसके अलावा, देश के पांच राज्यों में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भारत सरकार के ऑनलाइन कृषि-बाजार से जुडऩे के लिए दस लाख से अधिक किसानों ने हस्ताक्षर किए हैं ताकि उचित मूल्य पर व्यापार पारदर्शी तरीके से किया जा सके।
ये सभी लक्ष्य एक ही तकनीक, ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके हासिल किए जा रहे हैं, जो काफी समय तक केवल क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े रहने के बाद अब दूसरे क्षेत्रों में भी अपनी संभावनाएं तलाश रही है।
ब्लॉकचेन किसी बहीखाते की तरह होती है, जहां किसी रिकॉर्ड या लेनदेन की सूची होती है और प्रविष्टियों के जुडऩे पर यह बढ़ती रहती है। डेटाबेस में संग्रहीत रिकॉर्ड को बदला नहीं जा सकता लेकिन फिर भी सभी हितधारक इसे देख सकते हैं। यह अत्यधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि केवल किसी एक कंप्यूटर पर हमला करके ब्लॉकचेन के रिकॉर्ड को बदला नहीं जा सकता।
ब्लॉकचेन-डिजिटल आइडेंटिटी स्टार्टअप ऐसेट चेन टेक्लीजेंस के सह-संस्थापक मयूर झंवर कहते हैं, ‘ब्लॉकचेन एक तरह का डेटाबेस है। इसमें विकेंद्रीकरण के साथ अत्यधिक सुरक्षा जैसे फायदे हैं। यह भारत में स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा बीमा दावों में होने वाली छेड़छाड़ को रोकने में मदद कर रही है। निजी डेटा संरक्षण विधेयक 2019 के संसद से पारित हो जाने के बाद ब्लॉकचेन का अधिक उपयोग होगा और यह बड़ी भूमिका निभाएगा।’
वर्ष 2019 गार्टनर की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि ब्लॉकचेन साल 2030 तक प्रति वर्ष व्यापार मूल्य में 3 लाख करोड़ डॉलर उत्पन्न कर सकता है। विश्व आर्थिक मंच का अनुमान है कि साल 2025 तक वैश्विक जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत ब्लॉकचेन पर संग्रहीत किया जाएगा।
दवाइयों की समयबद्ध पहुंच
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत टीके अस्पताल में उपयोग होने से पहले खराब हो जाते हैं, जिसका अहम कारण अस्पतालों में टूट-फूट, तापमान नियंत्रण की कमी और शिपमेंट संबंधित मुद्दे होते हैं। आज के समय ब्लॉकचेन इस समस्या को कम करने में मदद कर रही है। उदाहरण के लिए, हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप स्टाट्विग की ब्लॉकचेन-संचालित तकनीक ने रियल टाइम इन्वेटरी डेटा के साथ अरुणाचल प्रदेश में टीकों को एक-जगह से दूसरी जगह भेजने में मदद की। यह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के सहयोग से संचालित किए गए स्मार्ट विलेज परियोजना का हिस्सा था।
स्टाट्विग के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सिड चक्रवर्ती कहते हैं, ‘हमारा अधिकांश काम इन्वेंट्री डेटा को नियंत्रित करना और शुरू से अंत तक टीकों के सफर पर नजर रखना था। हमने यह सुनिश्चित किया कि जालसाजी एवं चोरी जैसे सुरक्षात्मक मुद्दों पर काबू पाने के साथ साथ गुणवत्ता को बरकरार रखा गया।’
दवाई बनाने से लेकर बच्चों को दवाई देने तक की पूरी प्रक्रिया में प्रत्येक स्तर पर इससे जुड़ी जरूरी जानकारियां, जैसे तापमान, आद्र्रता, सहेजने की विभिन्न जगह आदि ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती हैं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों को डेटा उपलब्ध कराया जाता है।
इसके अलावा, प्रत्येक टीके या शिपमेंट को एक त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड के साथ टैग किया गया है। क्यूआर कोड उत्पाद के लिए विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करता है और जैसे ही उत्पाद आपूर्ति शृंखला में किसी दूसरे स्थान पर जाता है, इससे जुड़े हितधारक मोबाइल-आधारित ऐप्लिकेशन का उपयोग करके इसे स्कैन कर सकते हैं। डेटा में आमतौर पर मात्रा, उत्पाद की बैच संख्या, विनिर्माण और समाप्ति तिथियां शामिल होती हैं।
अभेद्य चिट-फंड रिकॉर्ड
चिट फंड देश की बैंकिंग व्यवस्था का सबसे पुराना स्वरूप है तथा इसके रिकॉर्ड के रखरखाव, धोखाधड़ी में कमी, धांधली एवं विजेताओं को भुगतान न करने जैसी स्थिति में सुधार करने के लिए ब्लॉकचेन की मदद ली जा रही है।
चिट फंड्स हर महीने सबस्क्राइबर से पैसा लेते हैं और सबस्क्राइबर उस महीने में कुल जमा राशि को उधार देने के लिए नीलामी में भाग लेते हैं। इसके बाद सबसे कम बोली लगाने वाले (या विजेता) को रुपया दे दिया जाता है। फोरमैन (चिट फंड प्रक्रिया को संभालने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति) को विजेता से कोलेटेरल भी मिलता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में परिणामों में छेड़छाड़, नीलामी में धांधली, अत्यधिक ब्याज दर और कमीशन जैसी अनियमितताएं काफी आम हैं।
लेकिन ब्लॉकचेन का उपयोग करने पर इनमें से प्रत्येक रिकॉर्ड की निगरानी की जा सकती है और नीलामी विजेताओं एवं ब्याज दरों को डिजिटल रूप में संग्रहीत किया जा सकता है। इससे किसी भी खामी को नियामक द्वारा ट्रैक किया जा सकता है।
नियामक तथा चिटफंड कंपनियों के साथ काम करने वाले एक तकनीकी स्टार्टअप चिटमोंक के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी पवन आदिपुरम कहते हैं, ‘ब्लॉकचेन तकनीक कई डिजिटल लेजर बनाकर इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सुरक्षित बनाती है। सबस्क्राइबर या नियामक एंड-टू-एंड प्रोसेस और फैसलों की निगरानी कर सकते हैं। इसमें 50 महीने पहले के फैसलों को भी ट्रैक किया जा सकता है, जो पारंपरिक तौर-तरीकों में नहीं होता।’
यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स-वित्त पोषित फर्म चिटमोंक के अनुसार, लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के प्रबंधन के वाली कुल संपत्ति के साथ भारत में लगभग 30,000 पंजीकृत चिट फंड कंपनियां संचालित हैं।
कृषि-तकनीक को सहारा
स्टाट्विग तेलंगाना सरकार के नागरिक आपूर्ति विभाग के साथ मिलकर किसानों से उचित मूल्य पर कृषि उपज से संबंधित मात्रा एवं गुणवत्ता से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने के लिए काम कर रही है।
कृषि क्षेत्र में ब्लॉकचेन के लाभ से जुड़े एक अन्य उदाहरण में, बिहार के लीची उत्पादकों को दूरदराज के स्थानों (लंदन तक) से खरीदार मिल रहे हैं। इस साल मई में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से पुणे स्थित फर्म एग्री10एक्स ग्लोबल द्वारा ब्लॉकचेन एवं कृत्रिम मेधा तकनीक की सहायता से निर्मित ई-मार्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है।
एग्री10एक्स के सह-संस्थापक एवं मुख्य तकनीकी अधिकारी सुदीप बोस कहते हैं, ‘लेन-देन के प्रत्येक स्तर पर ब्लॉकचेन तकनीक पहचानने तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने की सुविधा देती है, जिससे खरीदार एवं विक्रेता, दोनों के बीच विश्वास बढ़ता है।’ भले ही ब्लॉकचेन तकनीक भारत में बहुत नई तकनीक है, लेकिन सरकारें इसका लाभ उठाने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर देश में व्याप्त अनिश्चितता ब्लॉकचेन के तेज गति से अपनाने में बाधा बनेगी।
