बैंक ऑफ अमेरिका के एशिया-पैसिफिक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रमुख पीटर गेंठार्ड्ट कहते हैं, नए जमाने की कंपनियों (new-age टेक्नोलॉजी कंपनियों) के शेयरों में गिरावट वैश्विक स्तर पर देखी जा रही है लेकिन भारत में इन कंपनियों के आईपीओ (IPO) को लेकर निवेशकों का उत्साह बना रहेगा। बाजार की चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बावजूद बैंक ऑफ अमेरिका ने हाल के महीनों में कई बड़े share sales को हैंडल किया है। सुंदर सेतुरामन को दिए गए इंटरव्यू में पीटर गेंठार्ड्ट कहते हैं कि आपको IPO को सफल बनाने के लिए एक बुल मार्केट (bull market) की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पूर्वानुमान (predictability) और स्थिरता (stability) की आवश्यकता है।
जहां तक फंड रेजिंग एक्टिविटी का संबंध है, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अब तक यह वर्ष कैसा रहा है?
साल 2020 में कोविड-19 के शुरुआती झटके के बाद और 2021 के दौरान, आम तौर पर पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में बाजार बेहद अनुकूल था। हमने 2021 की दूसरी छमाही में नरमी देखी, खासकर चीन में जो 2022 में भी जारी है। भारत और थाईलैंड जैसे कुछ अन्य बाजारों में हम 2022 में मजबूत गतिविधि देख रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इनमें से अधिकांश बाजारों में मजबूत घरेलू तरलता (domestic liquidity ) और काफी अनुकूल आर्थिक पृष्ठभूमि है। हालांकि कोई भी बाजार वैश्विक उथल-पुथल (global turmoil) से पूरी तरह से अछूता नहीं है।
वर्ष के बाकी दिनों के लिए आपका दृष्टिकोण क्या है?
बाजार ब्लॉक ट्रेड (block trades) और क्यूआईपी (Qualified institutional placements) जैसे लेनदेन के लिए खुला है, जिसे कम अवधि में एग्जीक्यूट (execute) किया जा सकता है। IPO को लेकर गतिविधि वैश्विक स्तर पर बेहद कम रहेगी। भारत में एक IPO को लॉन्च से लेकर पूरा होने तक चार हफ्ते लगते हैं। अनिश्चितता और अस्थिरता को देखते हुए यह अनुमान लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण है कि चार सप्ताह तक बाजार का व्यवहार कैसा करेगा। ब्लॉक ट्रेड (block trades) और फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (follow-on public offer या FPO) को एग्जीक्यूट करना आसान है क्योंकि आपके पास एक रेफरेंस मूल्य है, और आप इसे जल्दी से एग्जीक्यूट कर सकते हैं।
हाल के कुछ घरेलू आईपीओ को वैल्यूएशन में कटौती करनी पड़ी। क्या यह आगे भी जारी रहेगा?
IPO के मूल्य निर्धारण (pricing) में कई पहलू शामिल होते हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, आपके पास एक पीयर ग्रुप बेंचमार्क होगा। अगर बेंचमार्क नीचे आता है, तो हो सकता है कि आपका रेफरेंस प्राइस कम हो जाए। दूसरी बात यह है कि बाजार में अस्थिरता के कारण आपके पास शायद एक ऐसी स्थिति बन सकती है जहां निवेशक अपने जोखिम के बदले बेंचमार्क की तुलना में बड़ी छूट की उम्मीद करें। तो, आप सही कीमत पर IPO में शेयर प्राप्त कर सकते हैं लेकिन उनका वैल्यूएशन छह महीने या 12 महीने पहले की तुलना में कम हो सकता है। व्यवसाय की पूर्वानुमेयता (predictability) भी महत्वपूर्ण है। फिलहाल निवेशक ऐसी कंपनियों में नहीं जाना चाहते हैं जहां बहुत कुछ साइक्लिकल (cyclical) हो। फिलहाल वे ग्रोथ देखना चाहते हैं और चाहते हैं कि ऐसी कंपनियां हों जो या तो प्रॉफिटेबल हों या प्रॉफिटेबिलिटी के रास्ते पर हों।
पिछले साल new-age टेक कंपनियों के IPO ने दिखाया कि निवेशक उन कंपनियों को भी सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं जिनके प्रॉफिटेबल होने की संभावना नहीं दिख रही है। क्या इस स्थिति में कोई बदलाव आया है?
मुझे नहीं लगता कि भारतीय बाजार में new-age टेक कंपनियों को लेकर उत्साह में कोई कमी आई है। वैश्विक स्तर पर टेक वैल्यूएशन (valuation) में गिरावट आई है। अमेरिका के साथ-साथ चीन में भी ऐसा ही है। अच्छी भारतीय टेक कंपनियां अगर बाजार में आती हैं तो निवेशक उनको लेकर अभी भी उत्साह दिखाएंगे।
हमने भारत को सेकेंडरी मार्केट में वैश्विक समकक्षों (global peers) से बेहतर प्रदर्शन करते देखा है। क्या इस तरह की उम्मीद डील-मेकिंग में भी दिखती है?
विश्व के अन्य देशों की तुलना में यह स्थिति दिख रही है। भारत एक ऐसी जगह है जहां निवेशक बाजार के मौजूदा माहौल में निवेश करके खुश हैं। भारत IPO मार्केट के साथ-साथ follow-up मार्केट दोनों में global equity capital market (ECM) कैलेंडर में कुछ bright spots में से एक बना हुआ है। आपको बस सही प्राइसिंग पर ध्यान देने की जरूरत है।
भारत वैश्विक बाधाओं से कितना अछूता रह सकता है? हम इस महीने एफपीआई (foreign portfolio investors) की तरफ से बिकवाली देख रहे हैं। यहां तक कि घरेलू निवेशकों का भी समर्थन कम होता जा रहा है। इस तरह के कारक डील पाइपलाइन को कैसे प्रभावित करेंगे?
फिलहाल यह कहना सही होगा कि निवेशक सतर्क हैं। लेकिन हमें डील करने में सक्षम होने के लिए जरूरी नहीं है कि हमारे पास एक bull market हो। IPO की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज बाजार को लेकर भविष्यवाणी और स्थिरता है। अमेरिकी ब्याज दरें कहां होंगी इस पर स्पष्टता होने के बाद हम सौदे कर पाएंगे। बढ़ी हुई अनिश्चितता के कारण सौदे करने के लिए यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वातावरण है। एक बार जब बाजार में कुछ स्थिरता दिखती है, भले ही आउटलुक बेहतर न हो या ब्याज दरें 12 महीने पहले की तुलना में अधिक हों, निवेशकों को पैसा लगाने में खुशी होगी, क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। बाजार में उठापटक सबसे बडी समस्या के तौर पर सामने आती है जब आप IPO में निवेश करना चाहते हैं।