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अस्पतालों पर बेड के लिए बढ़ता दबाव

Last Updated- December 12, 2022 | 5:56 AM IST

देश के प्रमुख शहरों, विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में बढ़ते कोविड-19 के दैनिक मामलों से न केवल अस्पतालों के बुनियादी ढांचा चरमराने लगा है बल्कि इसका कोविड से इतर बीमारियों के इलाज पर भी असर पड़ रहा है। वेंटिलेटर वाले और बिना वेंटिलेटर वाले इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के बेड लगभग 100 फीसदी भरे हैं। इससे स्थानीय और राज्य सरकारों को या तो बेडों की संख्या बढ़ाने या और अस्पतालों मे कोविड का इलाज शुरू करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
उदाहरण के लिए मुंबई में 14 अप्रैल को केवल 41 आईसीयू बेड बचे हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका के आंकड़ों से पता चलता है कि उसके पास 2,664 आईसीयू बेड की क्षमता है, जिनमें से 2,623 भरे हुए हैं। मुंबई में रोजाना करीब 8,000 मामले आ रहे हैं। शहर में केवल 3,790 बेड उपलब्ध हैं, जिनमें निजी अस्पतालों और सरकारी कोविड-19 प्रतिष्ठानों के बेड शामिल हैं। इनमें डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बेड और डेडिकेटेड कोविड स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
महाराष्ट्र के अन्य शहरों में भी स्थिति ऐसी ही है। उदाहरण के लिए पुणे में अब उसकी कुल बेड क्षमता के केवल 15 से 17 फीसदी उपलब्ध हैं। वहीं नागपुर में स्थिति और खराब है, जहां इस समय केवल 4 फीसदी बेड खाली हैं। राज्य में स्थानीय निकाय बेडों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वे इन शहरों के सभी वार्डों में वार रूम स्थापित कर रहे हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने बेडों के आवंटन में सहायता देने के लिए 24 वार्ड वाररूम स्थापित किए हैं।
मुंबई में अगले पांच से छह सप्ताह के दौरान तीन और जंबो फील्ड अस्पताल शुरू होने जा रहे हैं। ऐसे हर अस्पताल मेंं 2,000 बेड होंगे, जिनमें 200 आईसीयू बेड भी शामिल होंगे और 70 फीसदी बेडों पर ऑक्सिजन सपोर्ट होगा। इसके अलावा मुंबई प्रशासन डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में 1,100 बेड और बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए नए निजी नर्सिंग होम को जोड़ा जा रहा है।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका के एक अधिकारी ने कहा, ‘करीब 70 नए छोटे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को जोड़ा गया है। उनमें से कुछ पिछले साल कोविड का इलाज कर रहे थे और मामलों की संख्या घटने के बाद उन्होंने गैर-कोविड मरीजों का उपचार शुरू कर दिया था। इन जगहों पर जल्द ही कोविड बेड शुरू होंगे। इसमें कुछ सप्ताह का समय लगेगा।’
हालांकि दिल्ली सरकार ने इन अस्पतालों में कोविड बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिहाज से कोई लक्ष्य तय नहीं किया है, लेकिन वह अतिरिक्त उपकरण खरीदने की कोशिश कर रही है। दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में 593 अतिरिक्त कोविड बेड उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं 14 निजी अस्पतालों को पूरी तरह कोविड अस्पताल घोषित किया गया है। इससे निजी अस्पतालों में कोविड के कुल बेड बढ़कर 2,060 हो गए हैं।
हालांकि अहमदाबाद में वीएस हॉस्पिटल, एलजी और सिविल हॉस्पिटल समेत सभी प्रमुख सरकारी अस्पतालों को पूर्ण कोविड अस्पतालों में तब्दील कर दिया गया है, लेकिन निजी अस्पतालों में 92 फीसदी बेड भरे हुए हैं। इतना ही नहीं, 140 से अधिक निजी अस्पतालों के 5,794 बेडों मेंं से 5,327 भरे हुए हैं। आईसीयू और वेंंटिलेटर बेड 98 फीसदी भरे हुए हैं। अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने एएमसी कोटे के तहत सभी निजी अस्पतालों में 20 फीसदी बेड कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए आरक्षित किए हैं। शेष बेडों का इस्तेमाल स्व-भुगतान बेड के रूप में किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मंगलवार को 85 मौत हुईं और 18,021 नए मामले आए। इससे राज्य में कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 95,980 हो गई। इनमें से 50 फीसदी या 49,163 मरीज घर पर पृथकवास में हैं। वहीं 1,446 मरीजों का निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। वहीं शेष मरीजों का सरकारी अस्पतालों में उपचार चल रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार कोविड अस्पताल और बेड बढ़ा रही है, लेकिन डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों की भारी किल्लत है क्योंकि बड़ी तादाद में डॉक्टर एवं अन्य चिकित्साकर्मी खुद संक्रमित हैं और ड््यूटी पर नहीं हैं।
दिल्ली में कोविड के बढ़ते संकट के कारण कुछ डॉक्टरों को गैर-कोविड मरीजों को लौटाना पड़ रहा है। 14 अस्पतालों में से एक इंद्रप्रस्थ अपोलो के एक आंतरिक मेडिसिन विशेषज्ञ एस चटर्जी को अपने एक मरीज को बुधवार को दूसरे अस्पताल में भेजना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘वह वास्तव में बीमार था और सीने में दर्द एवं श्वास लेने में दिक्कत की शिकायत कर रहा था। मैं उन्हें अस्पताल में नहीं ले पाया क्योंकि वह कोविड संक्रमित नहीं थे।’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसे मरीज आ रहे हैं, जो हमसे लंबे समय से जुड़े हैं और उनका हमारे डॉक्टरों मेंं भरोसा है। इसलिए अगर हम उन्हें अस्पतालों में भेजते हैं और वे यह दावा करते हैं कि वे वहां किसी को नहींं जानते हैं तो हम वास्तव में खुद को असहाय महसूस करते हैं।’
इन अस्पतालों को केवल कोविड केंद्रों में तब्दील किए जाने के बाद उन्हें गैर-कोविड मरीजों को लेना बंद करना पड़ा। चटर्जी ने कहा कि अपोलो में एकमात्र अपवाद यह है कि कीमोथैरेपी जैसे इलाज के मामले में दिन में उपचार की मंजूरी है।
अपोलो 718 बेड का अस्पताल है, जहां मंगलवार के बाद इलेक्टिव एवं शेड्यूल्ड सर्जरी बंद कर दी गईं। यहां कोरोना मरीजों की तुलना में गैर-कोविड मरीज कई गुना आते हैं। इस सप्ताह रोजाना 40 से 50 गैर-कोविड बेड खाली किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गैर-कोविड मरीजों को धीरे-धीरे छुट्टी देने से पहले उनकी तबीयत स्थिर होना जरूरी है। पिछले सप्ताह तक अस्पतालों ने 300 बेड कोविड मरीजों के लिए आवंटित किए थे। इस संख्या को दोगुना करना मुश्किल काम है। चटर्जी ने कहा, ‘हमारे पास फिजिशियन और चेस्ट स्पेशलिस्ट की संख्या सीमित है, इसलिए अगर 600 कोविड मरीज होंगे तो उससे मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ेगा।’
मुंबई का शहरी निकाय अस्पतालों में भर्ती को लेकर कार्रवाई कर रहा है, जहां मामूली लक्षणों के भर्ती होने पर कड़ाई से रोक लगाई जा रही है। बृहन्मुंबईमहानगरपालिका ने एक आदेश में कहा कि किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में बिना लक्षणों और बिना किसी अन्य बीमारी वाले कोविड मरीजों को बेड नहीं दिया जाएगा।
यह ऐसे समय में हुआ है जब महाराष्ट्र के मंत्री असलम शेख ने अस्पतालों में बेड की कमी के लिए मशहूर हस्तियों और क्रिकेटरों को दोषी ठहराया। शेख ने मंगलवार को कहा कि फि ल्म क्षेत्र से जुड़ी मशहूर हस्तियां और क्रिकेटरों ने कोविड के कोई गंभीर लक्षण नहीं होने के बावजूद प्रमुख निजी अस्पतालों में बेड पर कब्जा कर लिया है। शहर के प्रमुख प्राइवेट अस्पताल हिंदुजा के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) जॉय चक्रवर्ती ने कहा कि शहर में कोविड-19 से जुड़े बेड 100 फीसदी भर गए हैं जबकि 50 फ ीसदी गैर-कोविड बेड उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि गैर-कोविड मरीज अब यथासंभव जोखिम से बच रहे हैं और लॉकडाउन की वजह से आवाजाही पर प्रतिबंध लगने से भी लोगों को अस्पताल पहुंचने में दिक्कत हो रही है।
मुंबई के एक अन्य निजी अस्पताल के प्रबंधक ने बताया कि बेड के अलावा अब प्रशिक्षित कर्मचारियों का भी संकट है। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरों और नर्सों के लिए मरीजों की देखभाल भी अब समस्या बन रही है। कुछ डॉक्टर बीमार हैं। हालांकि जिन लोगों को टीका लगाया गया था वे लोग अब गंभीर नहीं हैं। लेकिन नर्सिंग स्टाफ की कमी अब देखी जा रही है।’
हालांकि, ग्लोबल हॉस्पिटल्स ने कहा कि यह अपने मुंबई के अस्पताल में कोविड और गैर-कोविड दोनों तरह के मरीजों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। मुंबई में ग्लोबल हॉस्पिटल्स के मुख्य नर्सिंग अधिकारी जेसिका डिसूजा ने कहा, ‘हमने पिछले साल के मुकाबले कोविड बेड की तादाद में बढ़ोतरी की है और पिछले साल के विपरीत हम निरंतर गैर-कोविड मरीजों की भर्ती भी कर रहे हैं जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की जरूरत है। हमने अस्पताल को तीन क्षेत्रों में बांटा है जिसमें कोविड, गैर-कोविड और प्रत्यारोपण सर्जरी वाले फ्लोर हैं। इसके मुताबिक ही हमने कर्मचारियों, उपकरणों के जाने के लिए अलग रास्ते कर दिए हैं। ईआर में मरीजों की जांच सख्ती से हो रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड, गैर कोविड और प्रत्यारोपण वाले मरीजों का कोई मेल न हो।’ अहमदाबाद हॉस्पिटल्स ऐंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (एएचएनए) के अध्यक्ष भरत गाधवी ने बताया कि एसोसिएशन की अस्पतालों से बातचीत चल रही थी ताकि कोविड मरीजों के बेड की संख्या में वृद्धि की जा सके ताकि भीड़ में कमी की जा सके। उन्होंने कहा, ‘लगभग 6,000 बेड उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा कर्मचारियों की कमी से भी हालात मुश्किल हो रहा है।ष् गाधवी ने कहा कि शहर के निजी अस्पतालों में भी धीरे-धीरे घर पर देखभाल देने की सेवाएं भी बढ़ाई जा रही हैं।’
गुजरात सरकार केंद्र और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ अहमदाबाद के एक कन्वेंशन सेंटर में 900 बेड का कोविड अस्पताल तैयार कर रहा है। अगले कुछ हफ्ते में 150 बेड वाले आईसीयू सुविधा वाले अस्पताल की शुरुआत हो सकती है। अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को ऑक्सीजन के निर्माताओं को निर्देश देने के लिए कहा है ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 100 फीसदी आपूर्ति की जा सके क्योंकि इसकी भारी कमी देखी जा रही है। वर्तमान में, गुजरात में तैयार होने वाले 70 प्रतिशत ऑक्सीजन का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवा के लिए अनिवार्य किया जाएगा।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कोविड से संक्रमित पाए गए हैं। उन्होंने बुधवार को अधिकारियों को एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर के 25,000 टीके लाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। गुजरात के अहमदाबाद से आपातकालीन खेप सरकारी हवाई जहाज से लाई जाएगी।

First Published - April 14, 2021 | 11:22 PM IST

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