रोजमर्रा की आपाधापी के बीच कुछ लोग तो तय तारीख यानी 31 जुलाई, 2022 तक आयकर रिटर्न भरने से चूक ही जाते हैं। ऐसे लोग देर से यानी बिलेटेड रिटर्न भर सकते हैं। रिटर्न भरने की तारीख निकलने के बाद देर से रिटर्न भरने की सुविधा में दो बातें देखनी होती हैं – अंतिम तिथि से तीन महीने बाद तक की मियाद और आकलन पूरा होने की तारीख। इन दोनों में से जो भी तारीख पहले आती है, उससे पहले ही रिटर्न भरना होता है। इस तरह निर्धारण वर्ष 2022-23 के लिए देर से रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2022 है।
देर का खमियाजा
पहले रिटर्न भरने से चूकने पर उस वित्त वर्ष के अंत यानी 31 मार्च तक रिटर्न भरने की छूट थी। मगर 2021 के आम बजट में सरकार ने यह मियाद घटाकर 31 दिसंबर तक कर दी। टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी दीपक जैन कहते हैं, ‘धारा 234एफ में संशोधन किया गया है। इसके मुताबिक 31 दिसंबर तक रिटर्न दाखिल कर दिया गया तो अधिकतम 5,000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। मगर करदाता की कुल आय 5 लाख रुपये से कम हुई तो जुर्माना 1,000 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता।’ बहरहाल अगर आप 31 दिसंबर तक भी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं तो बाद में रिटर्न दाखिल करते समय आपसे 10,000 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।
देर से रिटर्न भरने वाले करदाता को जुर्माना तो भरना ही पड़ता है, कई तरह के फायदे भी उसके हाथ से निकल जाते हैं। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के असोसिएट पार्टनर सोएब कुरैशी सबसे बड़ा नुकसान समझाते हुए कहते हैं, ‘करदाता को अपने कारोबार या व्यवसाय से अथवा पूंजीगत लाभ के कारण जो भी नुकसान हो रहा है, उसे वह अगले साल में नहीं ले जा सकता यानी कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकता।’
आपने कर वक्त पर जमा कर दिया हो तब भी रिटर्न में देर करने पर आप घाटा कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते। जैन कहते हैं, ‘इस नियम से राहत केवल आवासीय संपत्ति से हुए घाटे के मामले में मिलती है क्योंकि देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी आप उसे कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।’
मामला जुर्माने या कैरी फॉरवर्ड से वंचित रहने तक ही सीमित नहीं रहता। कुरैशी बताते हैं कि जब तक कर चुका नहीं दिया जाता तब तक बकाया कर या कर के बकाया हिस्से पर करदाता को धारा 234ए के तहत हर महीने 1 फीसदी की दर से ब्याज भी चुकाना पड़ता है।
अगर करदाता ने वित्त वर्ष के दौरान ज्यादा कर (टीडीएस, टीसीएस या अग्रिम कर आदि) चुका दिया है और उसका कर रिफंड बनता है तो रिटर्न वक्त पर दाखिल करना उसके बहुत काम आता है क्योंकि रिफंड की राशि पर उसे कर निर्धारण वर्ष की 1 अप्रैल से ब्याज भी दिया जाता है। टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधना कहते हैं, ‘देर से रिटर्न दाखिल किया जाए तो रिफंड की राशि पर ब्याज उस तारीख से बनता है, जिस तारीख को रिटर्न भरा और जमा किया गया है।’
लगातार चूक से आफत
जिन लोगों की रिटर्न जमा नहीं करने या देर से जमा करने की आदत होती है और जो हमेशा ऐसा ही करते हैं, उन्हें बड़ी मुश्किल झेलनी पड़ती हैं। वाधवा बताते हैं, ‘उन्हें कर पर रिफंड नहीं दिया जाएगा। ब्याज और विलंब शुल्क भी वसूला जाएगा। धारा 276सीसी के तहत उन पर मुकदमा भी हो सकता है। साथ ही उनसे अधिक टीडीएस भी वसूला जा सकता है।’
पिछले साल के बजट में एक प्रस्ताव रखा गया था, जिसके मुताबिक रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों (जिन्होंने कर वसूली वाले साल से ठीक पहले के दो साल तक रिटर्न जमा नहीं किया है) को 5 फीसदी की दर से या सामान्य दर से दोगुनी दर से टीडीएस देना होगा। वाधवा बताते हैं, ‘यदि करदाता ने निर्धारण वर्ष 2021-22 यानी वित्त वर्ष 2020-21 का रिटर्न नहीं भरा है और उस वित्त वर्ष में उससे कुल 50,000 रुपये या अधिक टीडीएस तथा टीसीएस वसूला गया है तो 2022-23 में उससे ज्यादा टीडीएस लिया जाएगा।’
अगर कोई व्यक्ति वाकई में किसी परेशानी के कारण पिछले साल रिटर्न नहीं भर सका था तो वह देर होने की माफी मांगनी चाहिए और इजाजत मिलने पर रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए।
अपडेटेड रिटर्न
अद्यतन यानी अपडेटेड रिटर्न के लिए वित्त अधिनियम 2022 की धारा 139 में उपधारा (8ए) शामिल कर दी गई है, जिसका असर देर से रिटर्न दाखिल करने के मामलों पर पड़ता है। आरएसएम इंडिया के सुरेश सुराणा बताते हैं, ‘आयकर अधिनियम की धारा 139(8ए) के मुताबिक किसी व्यक्ति ने रिटर्न दाखिल किया हो या नहीं किया हो, वह अपनी आय अथवा किसी ऐसे व्यक्ति की आय, जिसका आकलन उसकी आय में किया जाना है, के लिए कर निर्धारण वर्ष समाप्त होने के 24 महीने के भीतर अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकता है। इसमें कुछ शर्तें होती हैं और अतिरिक्त कर भरना होता है।’
आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के पार्टनर मणीत पाल सिंह कहते हैं, ‘आईटीआर-यू (यू यानी अपडेटेड) पिछले दो साल के लिए दाखिल किया जा सकता है और बिलेटेड रिटर्न खास निर्धारण वर्ष के लिए होता है। बिलेडेट रिटर्न दाखिल करने वाला रिफंड का दावा कर सकता है, अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने वाला नहीं।’
ध्यान रहें ये बात
देर से रिटर्न दाखिल करने पर ‘फाइल्ड अंडर सेक्शन 139(4)-आफ्टर द ड्यू डेट’ विकल्प ही चुनें। याद रखें कि धारा 139(4) के तहत दाखिल किया गया बिलेटेड रिटर्न संशोधित भी किया जा सकता है।