कपास की कीमतें कुछ महीने में दोगुनी से अधिक हुई हैं और इसमें कमी आने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं जिसकी वजह से डेनिम निर्माताओं को ब्लेंडेड जींस के लिए मिश्रित कपड़ों पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि पुरानी जींस अब कम ही दिखेंगी जो लगभग 100 फीसदी कपास और इंडिगो डाई से बनती हैं। अन्य कच्चे माल के साथ-साथ कपास की कीमतों में भी तेजी दिख रही है जिसकी वजह से लागत 30 फीसदी तक बढ़ गई है।
कच्चे कपास की कीमतें दोगुनी होकर 2020 के मध्य में 356 किलोग्राम प्रति कैंडी 35,000 रुपये से बढ़कर 75,000 रुपये हो गईं। डेनिम उद्योग में देश के कपास की कम से कम 10 फीसदी खपत होती है और कीमतों में बढ़ोतरी से सभी तरह के खिलाडिय़ों पर असर पड़ा है।
हालांकि डेनिम निर्माता लागत में बढ़ोतरी का बोझ खरीदारों पर डालने में सक्षम रहे हैं जिससे निर्यात बाजार में बेहतर प्रदर्शन रहा। एक प्रमुख डेनिम निर्माता जिंदल वल्र्डवाइड लिमिटेड की सालाना क्षमता 14 करोड़ मीटर है और इसके कॉरपोरेट फाइनैंस एवं रणनीतिक पहल के प्रमुख गौरव दावडा का कहना है, ‘पिछले 12 महीने में वैश्विक आपूर्ति शृंखला की बाधाओं और कपास की कीमतें बढऩे की वजह से उद्योग की कीमतों में 25 से 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। घरेलू खुदरा स्तर के ग्राहकों को डेनिम परिधान में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी झेलनी पड़ी है। हालांकि अगर कपास की कीमतें मौजूदा स्तर पर रहती हैं तब अगले 3-6 महीने में कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।’ मौजूदा हालात में डेनिम निर्माता घरेलू बाजार में इनपुट लागत में बढ़ोतरी को खत्म करने के तरीके पर विचार कर रहे हैं। कुल कच्चे माल की लागत में करीब 70 फीसदी कपास का योगदान है। इसका एक समाधान यह है कि कुल उत्पाद मिश्रण में ब्लेंड की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए।
विशाल फैब्रिक्स लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी विनय थडाणी का कहना है, ‘डेनिम निर्माता कपास के धागे का विकल्प देख रहे हैं और इसका संभावित तरीका ब्लेंडेड उत्पाद हो सकता है। इस तरीके से उद्योग खुदरा ग्राहकों पर कम असर सुनिश्चित कर सकता है।’ थडानी के मुताबिक फिलहाल 6 से 10 फीसदी उत्पाद मिश्रण ब्लेंडेड उत्पादों का है जिसमें कच्चे माल के तौर पर विस्कोस और लाइक्रा का इस्तेमाल किया जाता है। थडानी का कहना है, ‘उत्पाद मिश्रण में ब्लेंडेड उत्पाद की हिस्सेदारी 25-30 फीसदी तक जा सकती है क्योंकि निर्माता कीमतें अधिक रहने की वजह से कपास आधारित उत्पाद को नजरअंदाज कर रहे हैं।’
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लेंडेड उत्पाद खुदरा ग्राहकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय नहीं है लेकिन इसके बावजूद कपास की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी से डेनिम निर्माता व्यावहारिक विकल्प के तौर पर इसे अपनाने के लिए बाध्य हैं। एक प्रमुख टेक्सटाइल सलाहकार कंपनी डायग्नल कंसंल्टिंग के पी आर रॉय ने कहा, ‘डेनिम निर्माता ब्लेंडेड उत्पाद तैयार करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि यह अभूतपूर्व वक्त है और कपास की कीमतें किस स्तर पर पहुंचेंगी इसका कोई अंदाजा नहीं है। इसके असर को कम करने का एक तरीका यह है कि घरेलू बाजार में अलग किस्म के कपास पर ध्यान दिया जाए जिनकी कीमतें कम हैं और जिनका इस्तेमाल ब्लेंड के तौर पर किया जा सके।’
वहीं दूसरी तरफ निर्यात बाजार अनुकूल रहा है क्योंकि उद्योग काफी हद तक इसके असर को ग्राहकों तक पहुंचाने में सफल रहा है। दावडा के मुताबिक विभिन्न कीमतों वाले विभिन्न उत्पादों की पेशकश अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खरीदारों को करने की वजह से जिंदल वल्र्डवाइड जैसी बड़ी कंपनियों पर कम असर पड़ेगा जिसके तहत कुछ निश्चित श्रेणियों में इनपुट लागत की बढ़ोतरी की अनुमति मिलती है। वह कहते हैं, ‘हम डेनिम फैब्रिक की पेशकश 100 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से करते हैं। डेनिम निर्माताओं के पास अधिक क्षमता नहीं है ऐसे में वे सभी कीमतों की रेंज में उत्पादों की पेशकश नहीं कर पा रहे हैं और साथ ही वे लागत में बढ़ोतरी का बोझ ग्राहकों पर भी डाल नहीं पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वे केवल 100 रुपये प्रति मीटर के दायरे में उत्पाद की पेशकश करने में सक्षम हैं जबकि 5 रुपये प्रति मीटर कीमत की बढ़ोतरी भी खरीदारों के लिए अधिक होती है।’
उद्योग अनुमान के मुताबिक भारत में डेनिम निर्माण क्षमता तकरीबन सालाना 1.5-1.6 अरब मीटर है जिनमें से आधी क्षमता सूचीबद्ध कंपनियों अरविंद लिमिटेड, जिंदल वल्र्डवाइड, नंदन डेनिम और विशाल फैब्रिक्स से जुड़ी है। देश में संगठित डेनिम निर्माण क्षमता का करीब 25-30 फीसदी हिस्सा बड़े खिलाडिय़ों के खाते में है।
