देश में औपचारिक रोजगार सृजन में 18 से 21 साल के आयु वर्ग की हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में पिछले चार साल में खोले गए नए खातों की संख्या में तेज गिरावट भी इसका संकेत देते हैं। अर्थशास्त्रियों और शोधार्थियों का कहना है कि नए रोजगार में कमी का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि खोले गए शुद्ध ईपीएफ खातों में इस आयु वर्ग की हिस्सेदारी 2018-19 में 37.9 फीसदी थी, जो 2021-22 में घटकर 24.1 फीसदी रह गई है। नए ईपीएफ खातों से पता चलता है कि कितनी नई औपचारिक नौकरियां लगी हैं।
यह आयु वर्ग सुर्खियों में रहा है। पिछले महीने सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे। इस योजना के जरिये सरकार का लक्ष्य सशस्त्र बलों में चार साल की अवधि के लिए हर साल 17.5 से 21 साल आयु वर्ग के 46,000 युवाओं को भर्ती करने की है। इनमें से 25 फीसदी को नियमित सेवा में ले लिया जाएगा। केवल इस साल के लिए अग्निपथ के तहत भर्तियों में आयु सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी गई है। भारतीय वायु सेना ने अग्निपथ के तहत 24 जून से भर्तियां शुरू करने का ऐलान किया था और खबरों के अनुसार पहले सात दिन में ही उसे करीब 2.72 लाख आवेदन मिल चुके हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि 18 से 21 साल आयु वर्ग में कुल शुद्ध रोजगार सृजन में कमी आ गई है। वास्तव में इस आयु वर्ग के लोगों द्वारा खोले गए नए ईपीएफ खातों में 2020-19 से 2021-22 के दौरान करीब 26 फीसदी की वृद्धि हुई है। मगर इस दौरान सभी आयु वर्ग के लिए कुल शुद्ध रोजगार सृजन तकरीबन 98 फीसदी की दर से बढ़ा है और इसके आंकड़े करीब दोगुने हुए हैं। इस लिहाज से 18 से 21 साल का आयु वर्ग पीछे रहा है।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद में वरिष्ठ फेलो राधिका कपूर ने कहा, ‘इस तरह का रझान पहले भी रहा है और कोविड के बाद यह तेजी से बढ़ा है। वरिष्ठ और अनुभवी लोगों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है।’
कोविड-19 के बाद 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आते ही पहले बाहर किए गए लोगों की तुलना में ज्यादा लोग श्रमबल में शामिल हुए हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछली साल नौकरी गंवाने वाले संगठित क्षेत्र में लौट आए हों। हालांकि 18 से 21 साल और 18 साल से नीचे के लोगों में नौकरी गंवाने वालों की संख्या दोबारा नौकरी पाने वालों की तुलना में अधिक है। संगठित क्षेत्र में फिर नौकरी पाने वाले लोगों में से नौकरी गंवाने वाले लोग घटा दिए जाएं तो 18 से 21 साल आयु वर्ग में नौकरियां गंवाने वाले लोगों की शुद्ध संख्या में पुरुषों की तादाद अधिक है।
औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान में असोसिएट प्रोफेसर सात्यकि रॉय ने कहा, ‘विनिर्माण, निर्माण और रिटेल क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट आई है और जब भी इन क्षेत्रों में गिरावट आती है तो नए रोजगार के अवसर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।’
कपूर और रॉय दोनों ने संकेत दिया कि ईपीएफ आंकड़ों में केवल औपचारिक रोजगार सृजन आता है और समूचे रोजगार क्षेत्र की बानगी उससे नहीं मिलती। ईपीएफ के अलावा राष्ट्रीय पेंशन योजना के खाते भी औपचारिक रोजगार के संकेतक हैं, लेकिन 18 से 21 साल आयु वर्ग के लिए अलग से एनपीएस का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
