उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में कांग्रेस नेताओं ने काफी विचार मंथन के बाद ‘नव संकल्प’ की घोषणा की जिससे पार्टी के कामकाज में व्यापक बदलाव दिखने की संभावना है। इस घोषणापत्र के मुताबिक पार्टी जनसंपर्क कार्यक्रमों को बढ़ावा देगी जिसके तहत राहुल गांधी देश भर में पदयात्रा करेंगे। हालांकि इस चिंतन शिविर में शामिल कई लोगों ने कहा कि यह बैठक चुनाव से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने से जुड़ी रणनीति बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अपने भाषण में पार्टी नेता राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि लोगों और पार्टी के बीच का संपर्क टूट गया है और उन्होंने इसे फिर से इस संबंध को मजबूत करने का वादा किया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने भारत माता से एक रुपया भी नहीं लिया है और मुझे किसी बात का डर नहीं है। मैं फिर से संघर्ष करूंगा।’ परिवार को कई पार्टी ट्रस्टों के कामकाज की जांच का सामना करना पड़ रहा है जिनके प्रतिनिधि परिवार के विभिन्न सदस्य हैं।
पार्टी द्वारा अपनाए गए उदयपुर घोषणा पत्र के अनुसार, पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी पदाधिकारी पांच साल से अधिक समय तक अपने पद पर न रहे। सीडब्ल्यूसी से लेकर, सभी पार्टी संगठनों में 50 वर्ष से कम उम्र के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य होंगे। आरक्षण के माध्यम से दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को पार्टी में सभी स्तरों पर प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
पार्टी ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नियम पर अमल करेगी और एक ही परिवार के दो सदस्य तभी पद धारण करने के पात्र होंगे जब दोनों ने संगठन में कम से कम पांच साल लगाए हों।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा पार्टी में परिवर्तन को लेकर दिए गए सुझावों पर भी चर्चा नहीं की गई जिन्होंने प्रस्ताव देते हुए यह सुझाव दिया था कि गांधी परिवार, पार्टी के वास्तविक संचालन से खुद को अलग कर लें यानी राहुल गांधी की भूमिका पार्टी संगठन तक सीमित हो जाए और पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक गैर-गांधी की नियुक्ति हो। कांग्रेस पार्टी के 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह के सदस्य मसलन गुलाम नबी आजाद, पृथ्वीराज चव्हाण और मनीष तिवारी भी उदयपुर में मौजूद थे जिनकी संसदीय बोर्ड के पुनरुद्धार जैसी महत्त्वपूर्ण मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया।
उदयपुर घोषणा में राजनीतिक और चुनावी प्रबंधन से संबंधित अन्य पहलुओं का जिक्र किया गया जिसको लेकर उदयपुर में मौजूद अधिकांश प्रतिनिधियों ने किसी न किसी तरीके से आवाज उठाई कि पार्टी को प्रभावी तरीके से चुनाव लडऩे पर जोर देना चाहिए। इसके लिए भाजपा से प्रेरणा लेते हुए पार्टी ने मंडल स्तर पर विशेष जोर देते हुए प्रखंड, जिला और राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्तियों को भरने का संकल्प लिया है।
आम आदमी पार्टी (आप) के मॉडल को अपनाते हुए कांग्रेस पार्टी, नीतिगत और प्रशासनिक कामकाज के लिए सुझाव पाने के लिए जनता की राय जानने का आग्रह करेगी। इसके लिए एक नया पब्लिक इनसाइट विभाग स्थापित किया जाना है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के इतिहास और राजनीतिकविचारधारा में प्रशिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा। इस मकसद के लिए अहम संस्था के रूप में केरल स्थित राजीव गांधी विकास अध्ययन संस्थान की परिकल्पना की गई। पार्टी नेतृत्व को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए विशिष्ट योजनाओं पर सलाह देने के लिए एक सामाजिक न्याय सलाहकार परिषद का गठन किया जाएगा।
आर्थिक संकल्प
पार्टी ने 1990 के दशक के अपने आर्थिक उदारीकरण और सुधार पहलों की सराहना करते हुए अपने आर्थिक संकल्प में इस बात पर भी जोर दिया कि रोजगार को अब देश की प्राथमिकताओं की आधारशिला बनाने की जरूरत है। पार्टी ने पर्याप्त विचार किए बिना किए गए निजीकरण का विरोध करने का भी वादा किया। इसके अलावा पार्टी ने विशेष रूप से मुनाफे में रहने वाले सरकारी उद्यमों को बेचने से पहले सामाजिक न्याय के लिए कोई अहम प्रावधान न किए जाने का भी विरोध करने की बात कही। इसने केंद्र-राज्य संबंधों के लगातार बिगड़ते माहौल की ओर ध्यान दिलाया।
पार्टी के अगले घोषणापत्र में चुनाव प्रणाली से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) हटाने की बात कही जा सकती है और कांग्रेस केंद्र में सत्ता में वापसी करने पर कागजी मतपत्र का प्रचलन शुरू करने का वादा करेगी।
अपने भाषण में, राहुल गांधी ने मुस्कराते हुए टिप्पणी की कि पार्टी के कुछ सदस्य असफलताओं पर ‘उदास’ हो गए। यह इशारा जी-23 और इनकी कांग्रेस में संरचनात्मक सुधारों की मांगों की ओर किए गए सार्वजनिक संदर्भ में था। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता के साथ फिर से जुडऩे का कोई शॉर्टकट नहीं है और पार्टी को इसके लिए पसीना बहाना ही होगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से अपील की, किसानों और मजदूरों के बीच सिर्फ एक या दो दिन नहीं, बल्कि महीनों बिताएं।
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई एक क्षेत्र है जिसमें भाजपा बेहतर है तो वह है संचार, संवाद। उनके पास पैसा है और संसाधन है। हमें अपने संचार में सुधार करना होगा और लोगों के साथ जुडऩा होगा। जब हम जमीनी स्तर पर पार्टी के ढांचे को आक्रामक रूप से बदलते हैं तो हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुकाबला करने में सक्षम होंगे।’
राहुल ने कहा कि भारत के लोकतंत्र में ‘बातचीत की परंपरा’ को खत्म करने के संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रयासों से हर उस कांग्रेसी को लडऩा होगा जो भारत के लोकतंत्र में भरोसा करते हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘हम जीत हासिल करेंगे, हम जीतेंगे, हम इससे उबरेंगे।’ उन्होंने कहा कि पार्टी में सुधार के बलबूते संगठन 2024 के आम चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होगा।
