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Business Standard EV Dialogues: 2030 तक 16 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है EV बाजार: गडकरी

रकम जुटाने, नई तकनीक के प्रति उपभोक्ताओं की हिचक और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर चिंता को देखते हुए इस बात पर मंथन जरूरी है कि ईवी का सफर अगले पड़ाव तक कैसे पहुंचेगा।

Last Updated- July 20, 2023 | 11:21 PM IST
Nitin gadkari
BS

भारत में पिछले कुछ साल में कई उतार-चढ़ाव देख चुका इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग अब तेज रफ्तार पकड़ चुका है। मगर रकम जुटाने, नई तकनीक के प्रति उपभोक्ताओं की हिचक और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर चिंता को देखते हुए इस बात पर मंथन जरूरी है कि ईवी का सफर अगले पड़ाव तक कैसे पहुंचेगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड ईवी डायलॉग्स में केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ईवी की आगे की राह पर खुलकर बात की। प्रमुख अंश:

क्या आपको लगता है कि नीतियों के स्तर पर ईवी के लिए स्थिति बेहतर होनी चाहिए थी?

100 फीसदी। नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2030 तक ईवी बाजार 16 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। साथ ही हमें इससे ज्यादा निर्यात होने की भी उम्मीद है। हमारा वाहन उद्योग चौथे नंबर पर था। एक महीने पहले हमने जापान को पछाड़ दिया और अब हम तीसरे स्थान पर हैं। अव्वल नंबर पर चीन, दूसरे पर अमेरिका और तीसरे पायदान पर भारत है।

भारतीय वाहन उद्योग को कम से कम 30 लाख करोड़ रुपये का बनाना ही मेरा सपना और मिशन है। सभी नामचीन वाहन ब्रांड भारत में मिलते हैं और मुझे लगता है कि बड़ी संख्या में निर्यात भी होगा। इलेक्ट्रिक बसों के लिए हमारे यहां बहुत संभावना हैं। मुझे लगता है कि पांच साल में ही 60 फीसदी बसें इलेक्ट्रिक हो जाएंगी। फिलहाल केवल 1 फीसदी हैं।

इनमें निजी बसें भी शामिल हैं?

बिल्कुल। परिवहन मंत्री के तौर पर मैं हमेशा ही लंदन के परिवहन से प्रभावित रहा हूं। वहां नौ ऑपरेटर हैं और बसें सार्वजनिक-निजी निवेश के साथ ऑपरेटरों की होती हैं। कंडक्टर परिवहन निगम के होते हैं और चालक निगम तथा निजी ऑपरेटरों के होते हैं।

अब उनमें कैमरे भी होंगे, जिनके जरिये आप बस में घुसते और निकलते समय अपने कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से हम घाटा कम कर सकते हैं। यही सोचकर मैं कंपनियों से उस डिजाइन की बसें बनाने को कह रहा हूं। इससे हमारे राज्य परिवहन को मुनाफे में लाना 100 फीसदी मुमकिन हो जाएगा।

2030 के लक्ष्य की बात करें तो आंकड़े बहुत बड़े हैं। इस राह में क्या चुनौतियां हैं और आपको लगता है कि ये आंकड़े हासिल कर लिए जाएंगे?

भारत के ईवी बाजार में बिक्री का आंकड़ा 2030 तक बढ़कर सालाना 1 करोड़ वाहन होने और इससे 5 करोड़ प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रोजगार मिलने का अनुमान है, जो बहुत अच्छा होगा। मगर हम फ्लेक्स फ्यूल वाहनों पर भी काम कर रहे हैं। हमने हाल ही में डीजल में 20 फीसदी मेथनॉल मिलाने की प्रायोगिक परियोजना बेंगलूरु में शुरू की है।

अशोक लीलैंड और टाटा के पास भी ऐसी बस और ट्रक हैं, जिनमें डीजल इंजन हाइड्रोजन का इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए काफी कुछ चल रहा है और मुझे लगता है कि वैकल्पिक ईंधन से देश को बहुत फायदा होगा। नीति आयात करने, बदलने, किफायती रखने, प्रदूषण मुक्त बनाने और स्वदेशी की है।

क्या इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए यह जियो सरीखा दौर है?

यह तो शुरुआत है। जब आप कोई नई तकनीक, नए उत्पाद शुरू करते हैं तो आरंभ में कुछ दिक्कतें तो आती ही हैं। मैं यही मानता हूं कि समय गुजरने के साथ हम समस्याओं का समाधान कर लेंगे। अगस्त में टोयोटा भी फ्लेक्स इंजन वाला अपना वाहन उतारने जा रही है।

सब्सिडी पर आपके क्या विचार हैं?

फिलहाल यह वित्त मंत्री की इजाजत से लिया गया एक नीतिगत निर्णय है। मैंने वित्त मंत्री तथा अन्य संबंधित लोगों से चर्चा की है लेकिन यह मेरे कार्य क्षेत्र से बाहर का विषय है।

परंतु इससे उलट अगर हम विश्व स्तर पर अन्य देशों द्वारा उठाए गए कदमों को देखें तो क्या हम सही सब्सिडी दे रहे हैं या फिर क्या इसे सही ढंग से दिया जा रहा है?

अगर विनिर्माण का आंकड़ा बढ़ा है तो मेरा मानना है कि हमें सब्सिडी की आवश्यकता नहीं है। परंतु बात यह भी है कि सरकार सहायता कर रही है। वैसे भी इस बारे में कोई भी निर्णय वित्त मंत्रालय ही ले सकता है।

क्या आपको लगता है कि भारत में ईवी क्रांति के लिए टेस्ला एक निर्णायक मोड़ होगी या फिर हमारे घरेलू विनिर्माता भी अच्छे हैं?

भारत में ईवी क्रांति शुरू हो चुकी है। यहां सभी का स्वागत है और मैं स्वयं एक बिजली से चलने वाली कार में आया हूं। भारतीय विनिर्माता भी अच्छे ईवी बना रहे हैं। मेरा अनुभव भी बहुत अच्छा रहा है। इसके साथ ही अगर टेस्ला आना चाहती है तो हमें कोई समसया नहीं है। हम उनका सहयोग करेंगे।

क्या टेस्ला ने आपसे भी चर्चा की थी?

हमने कई बार इस मुद्दे पर चर्चा की। दरअसल प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के समय भी बातचीत हुई थी। मुझे लग रहा है कि समय आने पर टेस्ला भी भारत आएगी। क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है और यह बात दोनों के लिए फायदेमंद होगी।

हमने आत्मनिर्भरता पर भी एक सत्र किया। क्या भारत ईवी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकता है? आपका इस बारे में क्या सोचते हैं?

जम्मू और कश्मीर में खनन विभाग ने लीथियम की खदानों का पता लगाया है। हम हर वर्ष 1,200 टन लीथियम आयन का आयात करते हैं। जब मैं जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल के साथ था तो मैंने खनन सचिव से कहा था कि जितनी जल्दी संभव हो खनन आरंभ करवाएं क्योंकि अगर उस खदान से लीथियम आयन का उत्खनन होगा तो हमारा आयात कम होगा। इसके साथ ही हम जिंक, एल्युमीनियम आयन, सिलिकन आयन आदि जैसे विकल्पों पर भी काम कर रहे हैं। एल्युमीनियम आयन का प्रयोग सफल रहा है।

ईवी पर 5 फीसदी जीएसटी जबकि पुरानी कारों को बिजली चालित बनाने पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है। क्या इससे बाजार का विस्तार प्रभावित नहीं होगा?

मैं यह प्रस्ताव वित्त मंत्री के पास ले जाऊंगा। पुराने वाहनों को ईवी में बदलना भी अच्छा है क्योंकि इससे दोपहिया, तिपहिया वाहनों और कारों को बदला जा सकता है जो गरीबों के लिए भी अच्छी बात होगी। हम इसका समर्थन करेंगे। अगर इस क्षेत्र के उद्योगपति अच्छे विकल्प दे पाएंगे तो ग्राहक भी खरीदेंगे।

First Published - July 20, 2023 | 11:21 PM IST

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