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पीतल नगरी में पीतल हुआ गुम, चल रहे स्टील, एल्युमीनियम

Last Updated- December 11, 2022 | 5:31 PM IST

एक जमाना था, जब शादी-ब्याह और दूसरे शुभ मौकों पर पीतल के बर्तन जमकर चलते थे और उन्हीं बर्तनों का लेनदेन किया जाता था। वक्त बदला और ज्यादा वजनी होने के कारण वे बर्तन घरों से बाहर हो गए। बर्तनों के साथ ही पीतल का सजावटी सामान भी चलन में नहीं रहा। पीतल के लिए लोगों की बेरुखी का आलम यह है कि ‘पीतल नगरी’ के नाम से मशहूर मुरादाबाद में भी अब पीतल का काम नहीं के बराबर रह गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह शहर पीतल का सबसे बड़ा अड्डा होता था और यहां के पीतल से बने बर्तन तथा हस्तशिल्प की मांग दुनिया भर में थी। मगर पीतल महंगा होने के कारण अब यहां भी दूसरी धातुओं के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। यहां की दुकानों और कारखानों में एल्युमीनियम, स्टील तथा लोहे का सामान बनाते कारीगर ही ज्यादा नजर आते हैं क्योंकि दाम कम रहने से बाजार में इनकी मांग अच्छी रहती है और मार्जिन भी पीतल के मुकाबले ज्यादा है। यह बात अलग है कि पीतल जैसा दिखने के लिए इन पर पॉलिश की जाती है।
मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय गुप्ता ने बताया कि पिछले 5-6 साल में शहर में पीतल के बजाय एल्युमीनियम, स्टील व लोहे के हस्तशिल्प उत्पादों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। इस समय 15 से 20 फीसदी उत्पाद ही पीतल से बन रहे हैं और 80 फीसदी उत्पाद एल्युमीनियम, स्टील तथा लोहे से बन रहे हैं।
पीतल से बेरुखी की सबसे बड़ी वजह इसका महंगा होना है। गनी हैंडीक्राफ्ट के अब्दुल गनी कहते हैं कि हस्तशिल्प में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होने वाला पीतल इस समय 450 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है। उसके मुकाबले स्टील 250 से 300 रुपये, एल्युमीनियम 190 से 220 रुपये और लोहा 110 से 120 रुपये किलो मिल रहा है। यही वजह है कि पीतल के उत्पाद एल्युमीनियम, स्टील व लोहे के उत्पादों की तुलना में दो से चार गुना महंगे होते हैं। पीतल से जो उत्पाद 1,000 रुपये में बनता है, एल्युमीनियम से वही उत्पाद 500 से 600 रुपये में बन जाएगा। पिछले कुछ साल में बार-बार आर्थिक हालात खराब होने से लोग अब महंगे उत्पाद खरीदने से परहेज करने लगे हैं। ज्यादातर ग्राहकों की दिलचस्पी अच्छे दिखने वाले मगर सस्ते उत्पाद खरीदने में रह गई है। गनी ने कहा कि ग्राहकों को कम कीमत में पीतल जैसे दिखने वाले एल्युमीनियम, स्टील के उत्पाद पसंद आते हैं।  निर्माताओं को इन पर पीतल के उत्पादों से ज्यादा मार्जिन मिल जाता है। पीतल के उत्पादों पर इस समय 5 से 6 फीसदी मार्जिन ही मिल रहा है, जबकि एल्युमीनियम, स्टील व अन्य धातुओं से बने उत्पादों पर 7-8 फीसदी मार्जिन मिल जाता है।
मुरादाबाद में बनने वाले हस्तशिल्प उपहार, यूटिलिटी उपकरण, बाथरूम, गार्डन में काम आने वाले उपकरण, घरेलू सजावटी सामान आदि की यूरोप, अमेरिका व अन्य देशों में खूब मांग रहती है। मगर कोरोना की मार से उबरा यह कारोबार मंदी की चपेट में आ गया है। खरीदार देशों में जरूरत से ज्यादा स्टॉक पड़ा होने के कारण अब ऑर्डर कम आ रहे हैं और पहले से दिए गए ऑर्डर टाले जा रहे हैं। हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव सतपाल कहते हैं कि पीतल के बने हस्तशिल्प उत्पादों की ज्यादातर मांग ईरान में ही रह गई है। बाकी देशों में तो अन्य धातुओं से बने उत्पादों की मांग है।   सतपाल के मुताबिक पिछले साल करीब 9,000 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जो इस साल घटकर 7,000 से 8,000 करोड़ रुपये रह सकता है। मुरादाबाद में 4,500 से 5,000 विनिर्माण इकाइयां हैं।

First Published - July 18, 2022 | 1:01 AM IST

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