बीमा नियामक निकाय के सदस्य राकेश जोशी ने गुरुवार को कहा कि भारत में बीमा क्षेत्र के विस्तार के लिए भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) जल्द ही प्रत्येक ग्राम पंचायत में “बीमा वाहक” तैनात करेगा।
जोशी ने BFSI Insight Summit 2022 में कहा, “प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ‘बीमा वाहक’ होगा, जिसे बीमा विस्तार यानी स्वास्थ्य, संपत्ति, जीवन और व्यक्तिगत दुर्घटना को कवर करने वाले सरल पैरामीट्रिक बंडल बीमा उत्पादों को बेचने का काम सौंपा जाएगा।”
उन्होंने कहा, “इस बंडल उत्पाद को बीमित राशि (sum insured) की इकाइयों में खरीदा जा सकता है। पॉलिसीधारक को यह सुविधा आसानी से मिले , यह सुनिश्चित करने के लिए ऐप-आधारित बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।”
जोशी ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियां राज्य सरकारों के साथ मिलकर राज्य स्तरीय बीमा योजनाएं विकसित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “बीमा कंपनियों ने एक-एक राज्य को अपनाया है और राज्य सरकारों की मदद से राज्य-स्तरीय बीमा योजनाएं विकसित करने पर विचार कर रही हैं, जैसा कि बैंकों में किया गया है।”
जोशी ने कहा, “तर्कसंगत रूप से अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग परिचालन मायने रखता है , उसी तरह जैसे हमारे पास एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस संस्थान हैं।”
उन्होंने कहा कि इनके लिए पूंजी की आवश्यकता उतनी बड़ी नहीं हो सकती जितनी कि राष्ट्रीय स्तर के मार्केट प्लेयर के लिए। इससे उन क्षेत्रों में पहुंच में सुधार होगा जिन पर बड़ी कंपनियों का अधिक ध्यान नहीं लगता है।
जोशी ने यह भी कहा कि देश में बीमा कवरेज को लेकर एक बड़ा अंतर है, और यह बीमा कंपनियों और देखभाल करने वालों के लिए सहयोग करने और व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए एक “तत्काल आवश्यकता” थी।
जोशी ने कहा, “हमारे 50 फीसदी वाहन बिना बीमा के हैं और संपत्ति बीमा का कवरेज बहुत कम है। हमारे एमएसएमई पर्याप्त रूप से कवर नहीं हैं। इस बड़े अंतर को पाटने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “आबादी का एक बड़ा वर्ग है जो वित्तीय सहायता और बीमा की सुविधाओं से वंचित है।”
जोशी के अनुसार, बीमा क्षेत्र इतना सुचारू होना चाहिए कि कोई भी बीमा धारक अपने दावे के क्लेम को लेकर परेशान न हो । सभी सेवाओं और दावों को तुरंत प्रदान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “आबादी के सभी वर्गों तक पहुंच के बिना बीमा क्षेत्र का विकास पूरा नहीं होता है, पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वालों को बाहर करना और उच्च-आय वर्ग को लक्षित करने के परिणामस्वरूप लंबे समय में विकास के उद्देश्य इकहरे/ अधूरे रह जाएंगे।”