कांग्रेस ने एक खबर का हवाला देते हुए शनिवार को दावा किया कि मॉरीशस में अदाणी समूह से संबंधित दो निवेश फंड के विरुद्ध नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की गई है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि आखिर इस मामले में भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) नींद से कब जागेगी?
अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाये जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमले और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग कर रही है।
अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था और उसका कहना था कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है।
रमेश ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर पोस्ट किया, ‘समूह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और ‘राउंड-ट्रिपिंग’ के आरोप और भी मजबूत हो गए हैं। सेबी के मॉरीशस समकक्ष ‘वित्तीय सेवा आयोग’ (FSC) ने वित्तीय सेवा अधिनियम, प्रतिभूति अधिनियम सहित कई कानूनों का उल्लंघन करने के लिए मई 2022 में अदाणी से संबंधित दो निवेश फंड के नियंत्रक शेयरधारक के लाइसेंस रद्द कर दिए।’
उनका कहना था, ‘भले ही सेबी असहाय नजर आ रही हो, लेकिन विडंबना यह है कि मॉरीशस के नियामकों ने अदाणी से जुड़ी संदिग्ध संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।’
रमेश ने दावा किया, ‘ध्यान रहे कि ‘इमर्जिंग इंडिया फंड मैनेजमेंट ने उन दो कोषों को नियंत्रित किया जो विनोद अदाणी के सहयोगियों नासिर अली शाबान अली और चांग चुंग-लिंग के लिए माध्यम थे। अली और चांग ने इन्हीं कोष के जरिये अदाणी समूह कंपनियों में संदिग्ध निवेश किया।’
इमर्जिंग इंडिया फंड मैनेजमेंट का लाइसेंस गंभीर आरोपों के आधार पर रद्द कर दिया गया। उन्होंने सवाल किया, ‘क्या सेबी अपनी मोदी निर्मित नींद से जागेगी? रमेश ने कहा कि अदाणी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जांच जरूरी है।