रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी तमिल पुजारियों से सुनहरा राजदंड यानी सेंगोल प्राप्त करेंगे। इस तरह का समारोह चोल साम्राज्य के दौरान होता था जो एक राजा से दूसरे को सत्ता हस्तांतरण को दर्शाता है। न्यायपूर्ण शासन के प्रतीक के तौर पर सेंगोल को सदन में अध्यक्ष के आसान के करीब स्थापित किया जाएगा।
सरकार को उम्मीद है कि नई संसद का उद्घाटन भारतीय परंपरा, ऐतिहासिक मिसाल और प्रतीक को प्रतिबिंबित करेगा। इसी तरह के समारोह में 75 साल पहले 15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को अपने भाषण से कुछ घंटे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल स्वीकार किया था, जो अंग्रेजो से भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था।
रविवार के समारोह की महत्ता पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सी राजगोपालाचारी ने नेहरू को वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन से सत्ता हस्तांतरण को दर्शाने के लिए चोल साम्राज्य की परंपरा के तहत सेंगोल को शामिल करने का सुझाव दिया था।
शाह ने कहा कि नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद और अन्य लोगों की उपस्थिति में सेंगोल स्वीकार किया था। इसे टाइम मैगजीन सहित कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किया गया था लेकिन बाद में इसे भुला दिया गया। वह सेंगोल प्रयागराज के इलाहाबाद संग्रहालय में पिछले सात दशक से रखा हुआ है।
शाह ने कहा कि सेंगोल को स्थापित करने का उद्देश्य तब भी स्पष्ट था और अभी भी है। गृह मंत्री ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण महज हाथ मिलाना या किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना नहीं है बल्कि इसे आधुनिक समय को ध्यान में रखते हुए स्थानीय परंपराओं से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन देश की भव्य विरासत और परंपराओं के साथ आधुनिकता को जोड़ने वाला नया भारत बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का प्रमाण है।
‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’। चांदी से बने सेंगोल पर सोने की परत चढ़ाई गई है और इसके शीर्ष पर न्याय के प्रतीक के तौर पर पवित्र ‘नंदी’ विराजमान हैं। शाह ने कहा, ‘सेंगोल उसी भावना का प्रतिनिधित्व करता है जिसका अहसास 14 अगस्त, 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने किया था।’
उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नया संसद भवन बनाने वाले 60,000 श्रमिकों को भी सम्मानित करेंगे।
जब माउंटबेटन ने नेहरू से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक समारोह के बारे में पूछा था तो उन्होंने राजाजी की ओर रुख किया। राजाजी ने तमिलनाडु के तंजावुर जिले में शैव संप्रदाय के धार्मिक मठ-तिरुवदुथुराई अधीनम से संपर्क किया था।
अधीनम के प्रमुख ने चेन्नई के जौहरी बुम्मिडी बंगारू चेट्टी को सेंगोल (5 फुट लंबा) तैयार करने का जिम्मा सौंपा।
शाह ने कहा कि सेंगोल को बनाने वाले 96 वर्षीय बुम्मिडी एथिराजुलू और 88 वर्षीय बुम्मिडी सुधाकर शिल्पकार भी रविवार को समारोह में शामिल होंगे।