कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह नैशनल हेरल्ड मामले में सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी जैसे शीर्ष नेताओं को फंसाकर उनकी पार्टी को डराने-धमकाने का प्रयास कर रही है। वक्फ मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अधिनियम में हालिया संशोधन लोगों को बांटने की ‘भाजपा-आरएसएस की साजिश’ का हिस्सा है।
खरगे ने बक्सर के डलसागर स्टेडियम में पार्टी की ‘जय बापू, जय भीम और जय संविधान’ रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘सीबीआई, ईडी और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नैशनल हेरल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे हमारे नेताओं को फंसाकर कांग्रेस को डराने की कोशिश कर रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वे पार्टी की रीढ़ हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम किसी से नहीं डरते हैं और न ही किसी के सामने झुकेंगे। केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने मामले में तलाशी ली, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।’
खरगे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश शासन के दौरान ‘नैशनल हेरल्ड’ और ‘कौमी आवाज’ अखबार शुरू किए थे। उन्होंने आरोप लगाया, ‘इन समाचार पत्रों को शुरू करने का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनता के बीच जागरूकता पैदा करना था, ताकि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों की आवाज बुलंद की जा सके। दूसरी ओर, आरएसएस नेता अंग्रेजों के एजेंट थे और उनके लिए काम कर रहे थे।’
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नैशनल हेरल्ड मामले में धनशोधन के आरोप में कांग्रेस नेताओं-सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा समाज के ‘कमजोर वर्गों के कल्याण के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने दावा किया, ‘आरएसएस-भाजपा समाज की बेहतरी के बारे में नहीं सोच सकते। वे जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांटने में विश्वास करते हैं। संसद से पारित किया गया वक्फ संशोधन अधिनियम समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने की भाजपा और आरएसएस की साजिश है।’ भाषा