उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब गरीबों के मकानों की रजिस्ट्री भी सस्ते दामों पर करने की तैयारी कर रही है। प्रदेश सरकार की नई योजना के लागू होने के बाद गरीबों के लिए विभिन्न योजनाओं में बनाए गए मकानों की रजिस्ट्री महज 500 रुपये स्टांप शुल्क पर की जा सकेगी।
रजिस्ट्री की ये दरें नए बन रहे गरीबों के मकानों के साथ ही पुराने व खाली पड़े मकानों पर भी लागू हो सकेंगी। प्रदेश में बड़े पैमाने पर बन रहे प्रधानमंत्री आवास योजना व मुख्यमंत्री योजना के तहत गरीबों के मकानों की रिजस्ट्री अब तक बाजार दर पर ही की जा रही है। नए प्रावधान लागू होने के बाद गरीबों को मकानों को अपने नाम कराने के लिए ज्यादा पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा।
आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर सहमित बन गई है और जल्दी ही इसे अनुमोदन के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक में पेश किया जाएगा। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले गरीबों को सरकार की ओर से यह बड़ी सौगात दी जाएगी। प्रस्ताव के मुताबिक आवास विकास परिषद और विकास प्राधिकरण के साथ ही निजी बिल्डरों द्वारा बनाए जाने वाले ईडब्ल्यूएस मकानों की रजिस्ट्री भी 500 रुपये के स्टांप शुल्क पर कराने की सुविधा दी जा सकेगी। इससे गरीबों को सस्ते मकान मिलने का रास्ता साफ होगा।
आवास विभाग ने प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों से ऐसे मकानों की सूची मांगी थी। ऐसे करीब 7,000 मकान चिह्नित किए गए हैं। लखनऊ, बरेली, वाराणसी, बस्ती, कुशीनगर, कपिलवस्तु और सोनभद्र में बने ईडब्ल्यूएस मकानों की संख्या का पता अभी नहीं चल पाया है। आवास विभाग का मानना है कि 500 रुपये के स्टांप पर रजिस्ट्री की सुविधा देकर गरीबों को बड़ी राहत दी जा सकती है।
गौरतलब है कि अभी तक शासन की योजनाओं का लाभ लेकर बिल्डर कीमत और आवंटन तो सरकारी मानक के अनुसार रखते हैं, लेकिन उसकी रजिस्ट्री कीमत के हिसाब से सात या पांच फीसदी स्टांप शुल्क पर होती है। इससे गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ ठीक नहीं मिल पा रहा है। नए प्रस्ताव के लागू होने के बाद न केवल मकान सस्ते मिलेंगे, बल्कि उन्हें अपने नाम पर भी कम कीमत खर्च कर कराया जा सकेगा। आवास विभाग के आकलन के मुताबिक इस प्रस्ताव को लागू करने से स्टांप एवं पंजीयन विभाग को सालाना 15 करोड़ रुपये का नुकसान होगा जिसकी भरपाई की व्यवस्था की जा सकती है।
