What is Delhi Excise Policy Case: दिल्ली में चल रहे शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हिरासत में ले लिया गया है। यह इस मामले से जुड़े आम आदमी पार्टी (AAP) की किसी नेता की तीसरी हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी है।
यह घटनाक्रम दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा शराब नीति मामले में उन्हें गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार करने के बाद हुआ है। बता दें कि केजरीवाल को पूछताछ के लिए ईडी ने नौ बार समन जारी किया था और आखिरकार 21 मार्च को उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
लेकिन वास्तव में दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी मामला क्या है और केजरीवाल समेत आम पार्टी और दिल्ली सरकार पूर्व दो मंत्री के खिलाफ क्या आरोप हैं?
क्या है दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी मामला?
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में शराब की बिक्री को मॉडर्न बनाने के मकसद से एक नई एक्साइज पॉलिसी पेश की। हालांकि, इस कदम को लोगों से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिलीं। कुछ लोगों ने इसी सही बताया, जबकि कई लोगों ने इसके संभावित वित्तीय और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताईं।
इस बीच, पॉलिसी लागू होने के करीब छह महीने बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना को बताया कि नीति में उल्लंघन हुआ है, जिन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की सिफारिश की।
इसके बाद रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिल्ली सरकार की इसी नीति की वजह से सरकारी खजाने को 580 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। ईडी का आरोप है कि दिल्ली सरकार की शराब नीति को जानबूझकर इस तरह से बनाया गया कि शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचे।
इसमें आप नेताओं पर छूट, लाइसेंस शुल्क माफी और कोविड-19 महामारी के दौरान राहत जैसे तरजीही व्यवहार के बदले में शराब कारोबारियों से रिश्वत लेने का आरोप है।
ईडी ने आरोप लगाया कि इस “घोटाले” में शराब के थोक कारोबार को पूरी तरह से निजी कंपनियों के हाथों में दे दिया गया और इसमें हर हालत में 12 प्रतिशत का निश्चित मार्जिन भी तय किया गया।
सीबीआई ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और तीन अन्य को निशाना बनाते हुए छापेमारी की थी। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में सिसोदिया और 14 अन्य आरोपियों को नामित किया, जिसमें AAP संचार प्रभारी विजय नायर भी शामिल थे, जिन्हें सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
हाल ही में भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के कविता (K Kavitha) को भी नई दिल्ली एक्साइज नीति का लाभ प्राप्त करने के लिए AAP के शीर्ष नेताओं को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
नयी शराब नीति क्या थी ?
उदाहरण के रूप में समझाया जाए तो मान लीजिये कोई शराब का विक्रेता शराब बेचने के बाद कुछ पैसे अपने पास रखता है और कुछ पैसे दिल्ली सरकार को एक्साइज ड्यूटी के रूप में दे दिए जाते है।
मान लीजिए 200 रुपये 4 बियर का थोक प्राइस है और जॉन ने इसे 800 रुपये में खरीदा। विक्रेता को 600 रुपये का लाभ हुआ तो इस 600 रुपये के मुनाफे में से 500 रुपये दिल्ली सरकार के पास गए और शराब विक्रेता के पास गए 100 रुपये। पुरानी नीति में इस तरीके से होता था।
अब नयी नीति में इसका उलट हुआ। पहले 4 बियर खरीदने के बाद 600 रुपये सरकार को जा रहे थे और शराब विक्रेता के पास जा रहे थे 100 रुपये। लेकिन नई नीति में केवल 100 रुपये सरकार के पास गए और विक्रेता की जेब में गए 500 रुपये जाने लगे।
शराब घोटाले में अरविन्द केजरीवाल पर क्या है आरोप ?
ईडी ने दावा किया कि केजरीवाल खुद मुख्य आरोपी व्यक्तियों से जुड़े हुए थे और उनसे मामले में शामिल अन्य लोगों के साथ सहयोग करने का आग्रह कर रहे थे। अक्टूबर 2023 और मार्च 2024 के बीच नौ समन मिलने के बावजूद, दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी से राहत के लिए उनकी याचिका खारिज करने के बाद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इसके बाद ईडी ने 22 मार्च को एक निचली अदालत से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 10 दिन की हिरासत की मांग करते हुए कहा कि वह शराब घोटाले के मामले में अन्य मंत्रियों और आप नेताओं के साथ ‘मुख्य साजिशकर्ता’ थे।
ईडी ने राउज एवेन्यू अदालत में विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा से कहा कि केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 बनाने और उसे लागू करने के लिए ‘साउथ ग्रुप’ से रिश्वत के तौर पर कई करोड़ रुपये प्राप्त हुए।