भले ही दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लघु उद्योगों के विकास के लिए कोई कसर न छोड़ी हो, लेकिन वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र आज भी चमकने का इंतजार कर रहा है।
खास बात यह है कि पिछले तीन सालों में यहां एक भी नई औद्योगिक इकाई स्थापित नहीं हो पाई है। वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना 60 के दशक में की गई थी। लेकिन आज भी यहां उद्योगों के विकास के लिए कई बुनियादी सुविधाओं का टोटा लगा हुआ है।
वजीरपुर में एक केमिकल फैक्टरी के मालिक आर एस सिंह का कहना है कि वजीरपुर में चमड़ा, प्लास्टिक, तेजाब, रसायन, हार्डवेयर और स्टील से संबधित औद्योगिक इकाइयां स्थित है। लेकिन यहां सड़क और सीवेज की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण माल ढोने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
इस बाबत वजीरपुर लघु उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष सीताराम बंसल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हमारे एसोसिएशन में इस औद्योगिक क्षेत्र की 450 से 500 इकाइयां सदस्य है। वैसे तो इस औद्योगिक क्षेत्र में बिजली, पानी की पर्याप्त सुविधा है लेकिन सड़कों और सीवेज की सही व्यवस्था के ठीक न होने के कारण थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
बंसल ने बताया कि जितनी भी औद्योगिक इकाइयां वजीरपुर से गई है। वे सभी अपने व्यक्तिगत कारणों की वजह से गई है न कि ऐसी किसी असुविधा के चलते। इस औद्योगिक क्षेत्र में किसी नई औद्योगिक इकाई के आने के सवाल पर एसोसिएशन के अधिकारियों का कहना है दिल्ली सरकार ने लघु उद्योग आरक्षित क्षेत्रों में अब तरह-तरह की सुविधाएं दे रखी है। इसलिए यहां कौन आएगा।
अगर गौर किया जाए तो दिल्ली सरकार ने राजधानी में लघु उद्योगों के विकास के लिए सड़क निर्माण, बागवानी, वाटर टैंक, जल संरक्षण ,सार्वजनिक शौचालयों, सीवेज, कचरा, स्ट्रीट लाइटों की सुविधाएं दी है। लेकिन वजीरपुर में इनमें से ज्यादातर सुविधाएं नदारद है। इस बाबत हार्डवेयर का व्यापार करने वाले रमेश नांरग का कहना है कि हमें तो इनमें से ज्यादातर सुविधाओं के बारे में पता भी नहीं हैं।
खास बात यह है कि 1997 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्णय के तहत औद्योगिक प्रदूषण को रोकने और पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने के लिए राजधानी में 15 सीईपीटी (कॉमन एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) क्षेत्रों को चुना है। उनमें से एक वजीरपुर भी है। इन क्षेत्रों में प्रदूषण को रोकने के लिए केन्द्र और दिल्ली सरकार द्वारा 45 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।