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निजी हाथों में होगी परिवहन की कमान

Last Updated- December 05, 2022 | 10:44 PM IST

उत्तर प्रदेश में परिवहन क्षेत्र को मजबूत बनाने और विक सित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत निजी क्षेत्र की कंपनियों से अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए हैं।


ईओआई के लिए विज्ञापन आगामी 25 अप्रैल को प्रकाशित किया जाएगा और इसके बाद आरएफपी के लिए भी न्यौता दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के परिवहन प्रधान सचिव देव दीपक वर्मा ने कहा कि हमनें उत्तर प्रदेश में परिवहन की स्थिति सुधारने के लिए निजी निवेश को मौका देने का मन बनाया है।


सरकार परिवहन सुधार के लिए निजी सार्वजनिक भागीदारी का मॉडल अपनाएगी और इसमें सरकार द्वारा नाममात्र का ही वित्तीय सहयोग दिया जाएगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इओआई और आरएफपी के बाबत किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई है। लेकिन उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करने तक सरकार पर निजी आपरेटरों को परमिट जारी न करने की रोक लगा रखी है।


वर्मा ने कहा कि राज्य के प्रस्तावित 460 रुटों में बस चलवाने के लिए उन आपरेटरों को ही बोली में शिरकत करने का मौका मिलेगा, जिनके पास कम से कम 1 हजार बसों का स्वामित्व हो। छोटे बस आपरेटर भी संघ बना कर इस बोली में भाग लें सकेंगे, लेकिन कम से कम 1 हजार बसों के स्वामित्व होने की शर्त यहां भी जारी रहेगी। इसके अलावा इस बोली में विदेशी कंपनियों को शिरकत करने का मौका भी मिलेगा।


राज्य की बहुजन समाज पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने वर्ष 2007 में राज्य के  परिवहन क्षेत्र को विकसित करने के उद्देश्य से नई परिवहन नीति की घोषणा की थी। पिछली जनवरी को राज्य सरकार ने राज्य के 460 रुटों के निजीकरण करने की घोषणा की थी। इसके पहले इन रुटों पर परिवहन की जिम्मेदारी यूपीएसआरटीसी के कंधो पर थी।


इस समय यूपीएसआरटीसी लगभग 6,700 बसों को राज्य और राष्ट्रीय मार्गो पर चलवा रहा है। इसके अलावा यूपीएसआरटीसी लगभग 700 बसों को निजी क्षेत्र से समझौते के आधार पर लेकर चलवा रहा है। इन रुटों पर परिवहन की व्यवस्था देख रहें यूपीएसआरटीसी और अन्य पक्ष परिवहन की इस नई नीति के खिलाफ है। उनका मानना है कि ऐसा करके सरकार समस्त परिवहन क्षेत्र का राज किसी बड़ी कं पनी को सौंप देगी।

First Published - April 21, 2008 | 10:03 PM IST

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