हिमाचल प्रदेश में फूलों के लिए विपणन सुविधाओं की कमी और पेशे में बिखराव के कारण इसकी खेती में बाधाएं आ रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि राज्य में फूलों की खेती को सही दिशा में बढ़ावा देने की बहुत जरूरत है। हिमाचल में फूलों की खेती की प्रगति का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1993-94 में जहां फूलों की खेती महज 30 हेक्टेयर में हुआ करती थी, वहीं वह 2008 में बढ़कर 588 हेक्टेयर तक पहुंच गई है।
सिर्फ फूलों की खेती के क्षेत्र में ही इजाफा नहीं हुआ है बल्कि राज्य से बाहर निर्यात बाजार में बढ़ोतरी हुई है। साल 2006 में फूलों का निर्यात 19.90 करोड़ रुपये का हुआ था जो 2007 में बढ़कर 22 करोड़ रुपये का हो गया। प्रदेश के फूलों का मुख्य बाजार चंडीगढ़ और दिल्ली है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फूलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या करीब 2200 है, इसके बावजूद यहां फूलों की खेती बिखरी हुई है।
राज्य के करीब 96 फीसदी छोटे और हाशिए पर छूटे किसान अभी भी यह मान रहे हैं कि फूलों की खेती में खतरा अधिक है और वे इस क्षेत्र में अधिक धन निवेश करने के इच्छुक नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में फूलों की खेती लगभग 70 हेक्टेयर में पॉली हाउस के अंतर्गत की जाती है लेकिन उन हाउस को वैज्ञानिक दृष्टि से विकसित नहीं किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि व्यवस्थित विपणन बुनियादी ढांचे के अभाव में किसान यहिमाचल प्रदेश में फूलों के लिए विपणन सुविधाओं की कमी और पेशे में बिखराव के कारण इसकी खेती में बाधाएं आ रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि राज्य में फूलों की खेती को सही दिशा में बढ़ावा देने की बहुत जरूरत है। हिमाचल में फूलों की खेती की प्रगति का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1993-94 में जहां फूलों की खेती महज 30 हेक्टेयर में हुआ करती थी, वहीं वह 2008 में बढ़कर 588 हेक्टेयर तक पहुंच गई है।ह महसूस करने लगे हैं कि फूलों की खेती में खतरा ज्यादा है। यह किसानों के सामने आने वाली सबसे बड़ी
बाधा है।