facebookmetapixel
Year Ender: 42 नए प्रोजेक्ट से रेलवे ने सबसे दुर्गम इलाकों को देश से जोड़ा, चलाई रिकॉर्ड 43,000 स्पेशल ट्रेनें2026 में भारत-पाकिस्तान में फिर होगी झड़प? अमेरिकी थिंक टैंक का दावा: आतंकी गतिविधि बनेगी वजहपर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिशों के बावजूद भारत में पर्यटन से होने वाली कमाई इतनी कम क्यों है?क्या IPOs में सचमुच तेजी थी? 2025 में हर 4 में से 1 इश्यू में म्युचुअल फंड्स ने लगाया पैसानया साल, नए नियम: 1 जनवरी से बदल जाएंगे ये कुछ जरूरी नियम, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा!पोर्टफोलियो में हरा रंग भरा ये Paint Stock! मोतीलाल ओसवाल ने कहा – डिमांड में रिकवरी से मिलेगा फायदा, खरीदेंYear Ender: क्या 2026 में महंगाई की परिभाषा बदलेगी? नई CPI सीरीज, नए टारगेट व RBI की अगली रणनीतिGold–Silver Outlook 2026: सोना ₹1.60 लाख और चांदी ₹2.75 लाख तक जाएगीMotilal Oswal 2026 stock picks: नए साल में कमाई का मौका! मोतीलाल ओसवाल ने बताए 10 शेयर, 46% तक रिटर्न का मौकाYear Ender: 2025 में चुनौतियों के बीच चमका शेयर बाजार, निवेशकों की संपत्ति ₹30.20 लाख करोड़ बढ़ी

आसां नहीं है डगर झरिया की

Last Updated- December 07, 2022 | 4:02 AM IST

कोयले की आग के ढेर पर बसे झरिया को उजाड़ कर नई जगह बसाने की जद्दोजहद आज भी जारी है। निस्संदेह यह एक चुनौती भरा काम है।


लिहाजा कोयला कंपनियों के समक्ष बहु-प्रतीक्षित झरिया पुनर्वास योजना का कार्यान्वयन करना बेहद कठिन कार्य होगा। इस काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया है देश की दो जानी-मानी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों भारत कोकिंग कोल कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफिल्ड लिमिटेड (ईसीएल) ने।

योजना की लागत 6,300 करोड़ रुपये है। झारखंड सरकार ने हाल ही में इस योजना को मंजूरी दी है। हालांकि केंद्रीय कोयला मंत्रालय और उसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की सहमति का इंतजार किया जा रहा है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगर प्रस्तावित झरिया पुनर्वास योजना को हरी झंडी मिल जाती है तो झारखंड स्थित झरिया क्षेत्र में रह रहे लाखों लोगों को विस्थापित करना होगा। हालांकि, बीसीसीएल अपने सभी कर्मचारियों के लिए सुरक्षित जोन में करीब 80,000 मकानों का निर्माण करेगी। सूत्रों ने बताया कि बीसीसीएल के कर्मचारियों अलावा, झरिया कार्य योजना के तहत उद्योगों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों से जुड़े लोगों को भी बसाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के रानीगंज क्षेत्र के कुछ भाग भी झरिया कार्य योजना के अंतर्गत आते हैं। लिहाजा इस जोन से भी कुछ आबादी को खाली कराकर सुरिक्षत जगह पर ले जाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इसी साल झारखंड सरकार ने झरिया पुनर्वास योजना को मंजूरी दी है। इस बाबत संबंधित कोयला कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। यह बैठक 7 मई को रांची में हुई। बैठक की अध्यक्षता कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कर रहे थे।

उद्योग से जुड़े सूत्रों की माने तो अपने अपनी जड़ों से उखड़े लोगों को प्रस्तावित निवास में स्थानांतरित करने में अभी भी बाधा उत्पन्न हो रही है। हाल ही में, वहां के स्थानीय निवासियों सहित झरिया बचाओ समिति ने केंद्रीय व्यापार संघ और कई सारी राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर एक नए प्रस्ताव को अपनाया है। ये लोग ऐतिहासिक झरिया शहर को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं।

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) के वरिष्ठ नेता ए के झा के मुताबिक झारखंड सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड किसी खास मकसद से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और कोयला कंपनी देश की सबसे ऐतिहासिक शहर को बर्बाद कर देना चाहती हैं।

झा ने बताया कि लाखों लोगों की जिंदगी और उनकी जमापूंजी को बर्बाद करने के बजाए भूमिगत आग पर काबू पाने की उपायों पर कंपनी को सोच विचार करना चाहिए। बिहार के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ आईएनटीयूसी नेता ओ पी लाल भी झरिया कार्य योजना का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोयला कंपनियों को चाहिए कि जमीन से निकल रही आग को रोकने के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करें।

उन्होंने बताया कि जमीन के भीतर से निकल रही आग की वजह से झरिया के 86 से भी अधिक जगहों पर विध्वंस की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि शहर के लोगों को जड़ों से उखाड़ने की बजाए उनकी सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए।

First Published - June 6, 2008 | 9:52 PM IST

संबंधित पोस्ट