अनेक राज्यों की खादी समितियां बड़े अरमान के साथ यहां अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में शिरकत करने आईं, लेकिन हुआ उसका बिल्कुल उल्टा।
मेले में बिक्री के ग्राफ को देखा जाए, तो वह पिछले साल के मुकाबले 30 से 35 फीसदी गिर गया है। हालांकि कारोबारियों ने यह माना है कि लोगों का रुझान खादी उत्पादों को लेकर बढ़ता जा रहा है।
कारोबारियों ने यह भी कहा है कि उनके स्थानीय बाजारों में जो मेला लगता है, वे उसमें यहां से ज्यादा लाभ कमाते हैं। घाटे के बावजूद कारोबारियों का कहना है कि वे मेले के जरिये अपने उत्पादों को राष्ट्रीय फलक पर एक पहचान देना चाहते हैं।
क्या कहते हैं व्यापारी
व्यापार मेले में उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली, गुजरात, जम्मू कश्मीर, झारखंड आदि राज्यों की खादी समितियों ने भाग लिया है। ग्राम स्वराज परिषद, रंगिया, असम के स्टॉल मालिक देवेंद्र दास ने कहा, ‘इस बार ग्राहकों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी कम है। लोग तो काफी संख्या में आ रहे हैं और उत्पादों की सराहना कर रहे हैं, लेकिन बिक्री काफी कम हो रही है।’
उद्योग भारती, राजस्थान के पीआरओ दुर्गेश जडेजा ने बताया कि हमलोग अपने यहां के स्थानीय मेले में रोजाना 1 लाख रुपये का कारोबार कर लेते हैं। लेकिन यहां तो एक दिन में 10 हजार रुपये की भी बिक्री नहीं हो पाती है।
झारखंड राज्य खादी और ग्रामीण उद्योग बोर्ड के स्टॉल मालिक राजेश कुमार झा ने कहा, ‘वैसे तो अन्य दिनों में आने वाले लोगों की संख्या कम रही, लेकिन शनिवार और रविवार को काफी संख्या में लोग स्टॉल पर आए। अब जैसे जैसे मेला समाप्त होने की तारीख नजदीक आ रही है, लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।’
कश्मीर खादी संघ के अमानुल्लाह खान ने कहा, ‘शनिवार और रविवार को बिक्री काफी अधिक रही है। घाटा थोड़ा कम जरूर हुआ है। हमलोग खुश हैं, क्योंकि लोग खादी उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं।’
किसकी है मांग
ऐंडी सिल्क, मुगा सिल्क, पाट सिल्क, सूती खादी और पॉलीवस्त्र की मांग सबसे अधिक है। लोग रेडिमेड कपड़ों की खरीदारी अधिक कर रहे हैं।
शहद, सरसों तेल, मसाले, मोमबत्ती, अगरबत्ती, डिटजर्ट पाउडर, हस्त निर्मित कागजों के आइटम काफी बिक रहे हैं। राजस्थान स्टॉल के अनिल यादव ने कहा कि लोग मारवाड़ी प्रिंट शर्ट की मांग काफी कर रहे हैं।